68500 Assistant Teacher Bharti Sandhi Study Material in Hindi
68500 Assistant Teacher Bharti Sandhi Study Material in Hindi
संधि
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
Very Short Question Answer
प्रश्न – संधि किसे कहते हैं?
उत्तर – दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे संधि कहते हैं। इस प्रकार संधि के लिए दोनों वर्णों का निकट होना आवश्यक होता है। वर्णों की इस निकट स्थिति को संहिता भी कहा जाता है।
प्रश्न -संधि के कितने भेद है?
उत्तर – संधि के तीन भेद होते हैं-
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
प्रश्न – स्वर संधि के कितने उप भेद हैं?
उत्तर – स्वर संधि के छ: उपभाग होते हैं- दीर्घ, यण, अयादि, वृद्धि, गुण और पूर्ण रुप स्वर संधि।
प्रश्न – दीर्घ संधि को स्पष्ट करें।
उत्तर – जब लघु या दीर्घ अ, इ, उ, ऋ, लृ के उपरान्त लघु या दीर्घ समान स्वर आएं, तो दोनों के स्थान पर दीर्घ हो जाता है। जैसे- अ + अ = आ, इ + इ = ई, ई + ई = ई, उ + ऊ = ऊ, ऋ + ऋ = ऋ
प्रश्न – यण संधि को स्पष्ट करें।
उत्तर – जब लघु या दीर्घ इ, उ, ऋ, लृ के उपरान्त कोई असमान स्वर आएं तो इ, उ, ऋ, लृ के स्थान पर क्रमश: य, व, र, ल हो जाता है। जैसे इ + अ = य, अ + ऊ = व, ऋ + अ = र
प्रश्न – अयादि संधि को स्पष्ट करें।
उत्तर – जब ए, ऐ, ओ, औ के बाद कोई स्वर आए तो ए, ऐ, ओ, औ के स्थान पर क्रमश: अय्, आय्, अव, आव् हो जाता है। जैसे – ए + अ = अय, = ओ + अ = अव, आँ + अ = आव
प्रश्न – वृद्धि संधि को स्पष्ट करें।
उत्तर – जब लघु या दीर्घ ‘अ’ के उपरान्त ए, ऐ, ओ, औ आए, तो ए और ऐ क स्थान पर ‘ऐ’ तथा ओ और औ की जगह ‘औ’ हो जाता है। जैसे- अ + ए = ऐ, अ + ओ = औ
प्रश्न – गुण संधि को स्पष्ट करें।
उत्तर – जब अ या आ के उपरान्त लघु या दीर्घ इ, उ, ऋ आए, तो दोनों के स्थान पर क्रमश: ए, ओ, अर हो जाता है। जैसे – अ + इ = ए, अ + उ = ओ
प्रश्न – पूर्व रुप संधि क्या है?
उत्तर – जब ‘अ’ ए या ओ के बाद आए, तो अ के स्थान पर पूर्व रुप अर्थात चिन्ह् S हो जाता है। जैसे – हरे + अव = हरेSव
प्रश्न – व्यंजन संधि को स्पष्ट करें।
उत्तर – जिन दो वर्णों में संधि होती है, उनमें से पहला वर्ण यदि व्यंजन हो और दूसरा वर्ण यदि व्यंजन अथवा स्वर हो तो जो विकार होगा, उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
- यदि सकार या तवर्ग के साथ सकार या चवर्ग आए, तो सकार और तवर्ग के स्थान पर क्रम से शकार और चवर्ग हो जाते हैं। जैसे- सत + चयन = सच्चयन।
- यदि सकार या तवर्ग के साथ ष् या टवर्ग आए तो सकार और तवर्ग की जगह क्रम से ष और अवर्ग हो जाते हैं। जैसे रामस + टीकते = रामष्टीकते।
- य र ल व और अनुनासिक व्यंजन को छोड़कर और किसी व्यंजन के पश्चात् झश् (किसी वर्ग का तृतीया या चतुर्थ वर्ण) आए, तो पहले वाले व्यंजन जश (ज् ब् म् ड् द्) में परिवर्तित हो जाते हैं। जैसे – योध + धा = योद्धा
- यदि झल प्रत्याहार वर्ण के आगे स्वर प्रत्याहार के वर्ण (वर्गों का प्रथम, द्वितीय तथा श् ष् स् में कोई) हों, तो झल की जगह पर चर प्रत्याहार के अक्षर (क् च् ट् त् प्) हो जाते हैं। जैसे – विपद + काल: = विपत्काल:
- यदि किसी पद के अन्त में म आया हो और उसके बाद कोई व्यंजन वर्ण हो, तो उसकी जगह अनुस्वार हो जाता है। जैसे – गृहम् + गच्छति = गृहंगच्छति
प्रश्न – विसर्ग संधि को स्पष्ट करें।
उत्तर – विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलाने से जो विकार उत्पन्न होता है उसे विसर्ग-संधि कहते हैं।
- यदि विसर्ग से पहले और बाद भी ‘अ’ हो, तो पहले ‘अ’ और विसर्ग के स्थान पर ‘ओ’ हो जाता है। जैसे – अ + अ = ओ
- यदि विसर्ग के बाद च, छ या श हो, तो विसर्ग का ‘श’ हो जाता है। जैसे – क: + चित = कश्चित
- यदि विसर्ग के बाद क, ख, प या ष हो, तो ऐसी स्थिति में विसर्ग का रुप नहीं बदलता है। जैसे – रज: + कण = रज:कण।
- यदि विसर्ग के बाद ट, ठ या ष हो, तो विसर्ग का ‘ष’ हो जाता है। जैसे – दु: + ट = दुष्ट।
- यदि विसर्ग के पहले ‘अ’ या ‘आ’ के अलावा कोई अन्य स्वर और इसके पश्चात पाँचों वर्गों के तीसरे, चौथे, पाँचवें, वर्ण य, र, ल, व, ह अथवा कोई स्वर हो, तो विसर्ग का ‘र’ हो जाता है। जैसे – नि: + गुण = निर्गुण
- यदि विसर्ग के पहले कोई स्वर हो और बाद में ‘र’ हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है और यदि विसर्ग का पूर्व स्वर हृस्व हो, तो दीर्घ हो जाता है। जैसे – नि: + रस = नीरस
- यदि विसर्ग के पहले और बाद में ‘अ’ हो, तो पहले ‘अ’ को ‘ओ’ हो जाता है और दूसरे ‘अ’ का लोप हो जाता है और ‘अ’ के स्थान पर चिन्ह ‘S’ बना देते हैं। जैसे – प्रथम: + अध्याय = प्रथमोध्याय
- यदि विसर्ग के पहले ‘अ’ आ जाता है और बाद में ‘अ’ के अतिरिक्त अन्य कोई स्वर आ जाता है, तो विसर्ग का लोप हो जाता है। जैसे – अ: + एव = अएव
- विसर्ग के पहले ‘अ’ या ‘आ’ हो और बाद में पाँचों वर्गों के तीसरे, चौथे या पाँचवें वर्ण अथवा य, र, ल, व, ह हों तो ‘अ’ का ‘ओ’ हो जाता है। जैसे- मन: + ज = मनोज
प्रश्न – अत्यल्प में कौन-सी संधि है?
उत्तर – अत्यल्प में यण संधि है क्योंकि जब किसी लघु या दीर्घ इ के उपरांत कोई असमान स्वर आता है तो इ के स्थान पर य होता है।
प्रश्न – पावन में कौन-सी संधि है?
उत्तर – पावन में अयादि संधि है क्योंकि ए, ऐ, ओ, और औ के बाद जब कोई स्वर आता है, तब ए के स्थान पर ‘अय्’, ओ के स्थान पर ‘अव’, ऐ के स्थान पर ‘अय्’ तथा औ के स्थान पर ‘आव्’ हो जाता है।
प्रश्न – दिगम्बर में कौन-सी संधि है?
उत्तर – दिगम्बर अर्थात् दिक् + अम्बर में व्यंजन संधि है। यदि क, च, ट, त, प के परे वर्गों तृतीय अथतवा चतुर्थ वर्ग (ग, घ, ज, झ, ढ, द, ध, ब, भ) अथवा य, र, ल, व अथवा कोई स्वर हो, तो क्, च्, ट्, त्, प् के स्थान पर उसी वर्ग का तीसरा अक्षर हो जाएगा।
प्रश्न – निष्पाप में कौन-सी संधि है?
उत्तर – निष्पाप में विसर्ग संधि है। नियम के अनुसार विसर्ग के पहले यदि इ या उ हो और विसर्ग के बाद क, ख या प, फ हो, तो इनके पहले विसर्ग के बदले ‘ष’ हो जाता है। जैसे निष्पाप = नि:+पाप।
प्रश्न – वनौषधि में कौन-सी संधि है?
उत्तर – वनौषधि में वृद्धि संधि होगी। नियम के अनुसार, जब अ अथवा आ के बाद ‘ओ’ अथवा ‘औ’ आवे तो दोनों के स्थान पर ‘औ’ हो जाता है।
प्रश्न – सूर्योदय में कौन-सी संधि है?
उत्तर – इसमें गुण संधि होगी। नियम के अनुसार, चूंकि प्रथम शब्द के अन्त में अ है और पुन: दूसरे शब्द के आदि में उ है, तो अ+उ = ओ हो जायेगा, यथा-सूर्योदय = सूर्य + उदय।
प्रश्न – आविष्कार में कौन-सी संधि है?
उत्तर – इस प्रश्न में आविष्कार के लिए विसर्ग संधि होगी। नियमत: विसर्ग के पहले यदि इ या उ हो तथा विसर्ग के बाद क, ख या प, फ हो, तो इनके पहले विसर्ग के बदले ‘ष’ हो जाता है।
प्रश्न – सच्चरित्र में कौन-सी संधि है?
उत्तर – सच्चरित्र में व्यंजन संधि होगी। नियमानुसार ‘त्’ या ‘द्’ के बाद च अथवा छ हो, तो त् या द् के स्थान पर च् हो जाता है।
प्रश्न – सप्तर्षि में कौन-सी संधि है?
उत्तर – सप्तर्षि में गुण संधि होगी। नियमत: यदि प्रथम शब्द के अन्त में हृस्व या दीर्घ अ हो, तो दूसरे शब्द के आदि में ऋ हो, तो अ + ऋ = अर् हो जाता है। जैसे सप्त + ऋषि।
प्रश्न – मनोबल का सही संधि विच्छेद बताइए।
उत्तर – मनोबल का सही विग्रह मन: + बल होगा। नियमानुसार, यदि विसर्ग के पहले अ हो और वर्गों के प्रथम तथा द्वितीय वर्ण को छोड़कर अन्य कोई वर्ण अथवा ब, य, र, ल, व, ह हो, तो अ और विसर्ग का ‘ओ’ हो जाता है।
प्रश्न – वाग्जाल का सही संधि विच्छेद बताइए।
उत्तर – वाग्जाल का सही विग्रह वाक् + जाल होगा। नियमानुसार, यदि क, च, ट, त, य के बाद वर्गों का तृतीय अथवा चतुर्थ वर्ण हो, तो इन वर्गों का तीसरा वर्ण हो जाता है।
प्रश्न – तथैव का संधि विच्छेद क्या होगा?
उत्तर – तथैव का सही विच्छेद तथा + एव है। नियमानुसार जब अ अथथवा आ के बाद ए या ऐ आवे तो दोनों के स्थान पर ऐ की वृद्धि हो जाती है।
प्रश्न – गंगोदक का संधि विच्छेद क्या है?
उत्तर – गंगोदक का गंगा + उदक सही विग्रह होगा। गुण संधि के नियमानुसार, यदि प्रथम शब्द के अंत में हृस्व या दीर्घ अ हो और दूसरे शब्द के आदि में उ हो तो आ + उ का ओ हो जाता है।
प्रश्न – यशोधरा का संधि विच्छेद क्या है?
उत्तर – विसर्ग संधि के नियमानुसार, यदि विसर्ग के पहले अ हो और वर्णों के प्रथम तथा द्वियीय वर्ण को छोड़कर अन्य कोई वर्ण अथवा य, र, ल, व, ह हो, तो अ और विसर्ग का ‘ओ’ हो जाता है।