68500 Assistant Teacher Written Exam Agriculture Study Material in Hindi
68500 Assistant Teacher Written Exam Agriculture Study Material in Hindi
कृषि (Agriculture)
भारत में मुख्यत: तीन फसलों की बुआई की जाती है-
रबी फसल-बुआई : अक्टूबर-नवंबर, कटाई : मार्च-अप्रैल।
प्रमुख फसलें– गेहूँ, जौ, चना, मटर, सरसों, मसूर, आलू इत्यादि।
खरीफ फसल-बुआई : जून-जुलाई, कटाई : अक्टूबर-नवंबर ।
प्रमुख फसलें-चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, तिल, मूंगफली इत्यादि।
जायद फसल– मार्च-जुलाई (ग्रीष्मकालीन फसल)
प्रमुख फसलें-तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, खीरा, भिंडी आदि विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती।
- दोमट या दोमट बनावट वाली मिट्टी, अच्छी संरचना और मध्यम जल धारण क्षमता के साथ गेहूं की खेती के लिए आदर्श होती हैं।
- नकदी फसलों (Cash Crops) के अंतर्गत गन्ना (Sugarcane), कपास (Cotton), जूट (Jute), तंबाकू (Tobacco), तिलहन (Oilseeds) आदि प्रमुख हैं।
- काली मिट्टी कपास की खेती के लिए अत्यधिक उपयुक्त होती है। इनमें लोहा, चूना, कैल्शियम, पोटाश, एल्युमीनियम एवं मैग्नीशियम कार्बोनेट की अधिकता तथा नाइट्रोजन, फास्फोरस और जैविक पदार्थों (ह्रूमस) की कमी पाई जाती है।
- महाराष्ट्र में काली मिट्टी का व्यापक विस्तार है, जो कपास की कृषि के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मिट्टी मानी जाती है। कपास को ही महाराष्ट्र में ‘श्वेत स्वर्ण’ (White Gold) के नाम से जाना जाता है।
- ब्राजील कॉफी का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
- जूट भारत में कपास के बाद एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक फाइबर फसल है।
- व्यापार और उद्योग में कच्चे जूट और मेस्ता का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।
- जूट की खेती उन्हीं स्थानों में की जाती है जहां प्रति वर्ष नदियां उपजाऊ मिट्टी लाकर बिछाती हैं।
- पश्चिम बंगाल के डेल्टाई क्षेत्र में अधिक जूट पैदा किया जाता है।
- भारत की प्रमुख तिलहनी फसलें (Oilseed Crops) तोरिया, सरसों, तिल, अलसी, सोयाबीन, सूर्यमुखी, अरण्डी और बिनौला हैं।
- कर्नाटक भारत का सबसे बड़ा रेशमी वस्त्र उत्पादक राज्य है। इस दृष्टि से असम का दूसरा स्थान है।
- रेशम कीट का जीवन-चक्र 4 चरणों का होता है, अंडा, इल्ली, प्यूपा तथा शलभ।
- दालें- अरहर, चना, मूंग, उड़द, मसूर, खेसारी आदि अनाजों से प्राप्त होता है। यह अनाज दलहन कहलाते हैं तथा इनकी फसलों को दलहनी फसलें कहते हैं।
कृषि क्रांति | उत्पादन क्षेत्र |
हरित क्रांति | खाद्यान्न उत्पादन |
श्वेत क्रांति | दुग्ध उत्पादन |
पीली क्रांति | तिलहन उत्पादन |
नीली क्रांति | मत्स्य उत्पादन |
रजत क्रांति | अंडा/मुर्गी पालन |
लाल क्रांति | मांस एवं टमाटर उत्पादन |
रजत रेशा क्रांति | कपास उत्पादन |
स्वर्ण रेशा क्रांति | जूट उत्पादन |
गोल्डेन क्रांति | फल एवं सब्जी उत्पादन |
भूरी (धूसर) क्रांति | उर्वरक उत्पादन |
गोल क्रांति | आलू उत्पादन |
कृष्ण क्रांति | पेट्रोलियम उत्पाद |
गुलाबी क्रांति | प्याज, झींगा उत्पादन |
- राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की स्थापना वर्ष 1984 में की गई थी। इसका मुख्यालय गुड़गांव (हरियाणा) में स्थित है।
- भारत में बागानी कृषि (Plantation Crops) के अंतर्गत उगाई जाने वाली प्रमुख फसलें-चाय (Tea), कहवा (Coffee), रबर (Rubber)एवं नारियल (Coconut) हैं।
- भारत में कहवा (Coffee)की दो प्रमुख किस्में अरैबिका और रोबस्टा, पैदा की जाती हैं।
- भारत में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य असम है। क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों ही दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य है।
- भारत चाय का सबसे बड़ा उत्पादक तथा उपभोक्ता है।
- भारत का सबसे बड़ा रबर उत्पादक राज्य केरल है।
- एर्नाकुलम, कोट्टायम, कोझिकोड एवं कोल्लम केरल के प्रमुख रबर उत्पादक जिले हैं।
- नारियल का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य तमिलनाडु है। इस संदर्भ में केरल का दूसरा एवं कर्नाटक का तीसरा स्थान है।
- देश में आम की लगभग 1000 प्रजातियां पाई जाती हैं। परन्तु व्यापारिक स्तर पर अलफांसो, केसर, आम्रपाली, तोतापुरी और बनारसी लंगड़ा प्रमुख हैं।
- आम की बीजरहित (Seedless) प्रजाति सिन्धु (Sindhu) है। यह विश्व की एकमात्र बीजरहित प्रजाति है।
- आम की आम्रपाली किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा द्वारा वर्ष 1971 में दशहरी एवं नीलम के क्रॉस से विकसित की गई थी।
- दशहरी आम के उत्पादन में उत्तर प्रदेश अग्रणी है जो मुख्य रुप से मलीहाबादी क्षेत्र (लखनऊ के समीपवर्ती क्षेत्र) में उत्पादन किया जाता है।
- केरल में कई प्रकार की मसाला फसलों के उगाए जाने के कारण इसे ‘मसालों का बागान’ कहा जाता है।
- भारत में हरित क्रांति का पिता (Father of the Green Revolution) डॉ. एम.एस.स्वामीनाथन को माना जाता है।
- भारत में हरित क्रांति का प्रारंभ वर्ष 1965 से हुआ माना जाता है। जब भारत में उच्च उत्पादक बीजों (High Yielding Varieties) का प्रयोग प्रारंभ हुआ।
- भारत में हरित क्रांति का उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों में सर्वाधिक लाभ गेहूं की फसल को प्राप्त हुआ।
- नीली क्रांति मत्स्य उत्पादन से संबंधित है। इस क्रांति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड’ की स्थापना 9 सितंबर, 2006 को एक स्वायत संस्था के रुप में की गई, जिसका मुख्यालय हैदराबाद में है।
- पीत या पीली क्रांति (Yellow Revolution) का संबंध तिलहन उत्पादन से है।
- पीत क्रांति की शुरुआत ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’ (Indian Council of Agricultural Research) द्वारा चलाए गए “तिलहन पर तकनीकी मिशन” (Technology Mission on Oilseeds) से वर्ष 1986 में हुई।
- भारत में हरित क्रांति लाने में कृषि विश्वविद्यालय, पंत नगर का महत्वपूर्ण योगदान रहा, इसलिए इसे हरित क्रांति की जन्मस्थली कहा जाता है।
- श्वेत क्रांति की गति तेज करने के उद्देश्य से ऑपरेशन फ्लड चलाया गया, जिसका संबंध ‘दुग्ध उत्पादन’ से है।
- श्वेत क्रांति की शुरुआत वर्ष 1970 में ‘राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड’ ने की थी, जिसके सूत्रधार डॉ.वर्गीज कुरियन थे।
- ऑपरेशन फ्लड के कारण ही भारत का विश्व दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान है।
- झूम (Jhum) एक स्थानांतरित कृषि (Shifting Cultivation) पद्धति है जो जनजातियों द्वारा जंगल को साफ करके की जाती है।
- झूम खेती उत्तर-पूर्वी राज्यों के पहाड़ी क्षेत्रों में काफी प्रचलित है।
- चलवासी कृषि असम और बिहार (2001 से पूर्व, वर्तमान झारखंड) की मुख्य समस्या है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के समतुल्य निम्न विश्वविद्यालय हैं-
1.भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली, 2. राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, 3. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर तथा 4. केंद्रीय मत्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई।
प्रमुख राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान
- केंद्रीय धान अनुसंधान संस्थान, कटक
- विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा।
- भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर
- केंद्रीय तंबाकू अनुसंधान संस्थान, राजामुंद्री
- भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ
- गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयम्बटूर
- केंद्रीय कपास संस्थान, नागपुर
- केंद्रीय जूट एवं संबद्ध रेशे अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर
- भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी
- भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर
- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ
- केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान, बीकानेर
- केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर
- भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी
- 15.केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला
- केंद्रीय रोपण फसलें अनुसंधान संस्थान, कासरगोड
- केंद्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पोर्ट ब्लेयर
- भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कालीकट
- केंद्रीय मृदा और जल संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, देहरादून
- भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल
- केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल
- केंद्रीय शुष्क भूमि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद
- केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर
- केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल
- केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मुंबई
- राष्ट्रीय जूट एवं संबद्ध रेशे प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, कोलकाता
- भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली
- केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदुम
- केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार
- केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर
- केंद्रीय समुद्री मत्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, कोच्चि
- केंद्रीय अंत: स्थलीय मत्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर
- केंद्रीय मत्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान, कोच्चि
- केंद्रीय ताजा जल जीव पालन संस्थान, भुवनेश्वर
- राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद