CTET UPTET अपठित गद्दांश Apathit Gaddaansh Unreadable deprivation StudyMaterial in Hindi
CTET UPTET अपठित गद्दांश Apathit Gaddaansh Unreadable deprivation Study Material in Hindi
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अपठित गद्दांश अपठित गद्दांश Apathit Gaddaansh Unreadable deprivation StudyMaterial in Hindi
अपठित गद्दांश प्राय: पाठ्य-पुस्तकों के अंश नहीं होते इनमें पूछे गए प्रशनों के माध्यम से परीक्षार्थियों की बौद्धिक क्षमता और भाषा –दक्षता को परखा जाता है। साथ ही इनसे उनकी तर्क क्षमता, संवेदनशीलता और स्वतन्त्र अध्ययनशीलता की भी जाँच की जाती है। लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में अपठित गद्दांशों पर आधारित प्रश्न पूछे जाते है, प्रत्येक प्रश्न के चार विक्ल्प दिए गए होते है। परीक्षार्थी को एकाग्रता और धैर्यापूर्वक सर्वाधिक उपयुक्त विक्ल्प का चयन, उत्दतर के रूप में करना होता है।
ध्यान दें Apathit Gaddaansh Unreadable deprivation StudyMaterial in Hindi
अपठित गद्दांश को ध्यानपूर्वक दो- तीन बार अवश्य पढ़ना चाहिए, जिससे उसका अर्थ और भाव पूर्णत: स्पष्ट हो जाए।
प्रत्येक प्रश्न का उत्तर गद्दांश में ही ढूँढना चाहिए। गद्दांश स बाहर के मिलते-जुलते भाव वाले उत्तरों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
शीर्षकों पर विचार करक दिए गए विकल्पों से सबसे उपयुक्त शीर्षक का चयन करना चाहिए। शीर्षक सदैव सरल तथा संक्षिप्त होने चाहिए।
गद्दांश 1 CTET UPTET Apathit Gaddaansh Unreadable deprivation Study Material in Hindi
468 Long
अनुशासन और स्वतन्त्रता के सम्बन्ध में की लोग इनमें परस्पर विरोध समझते है, किन्तु वास्तव में यह भ्रम है। अनुशासन से स्वतान्त्राता नहीं छिन जाती, बल्कि दूसरों की स्वचन्त्रता की रक्षा होती है। सड़क पर चलने के लिए हम स्वतन्त्र हैं। हमें बाई और चलना चाहिए किन्तु हम चाहें तो बीच में भी चल सकते है। ऐसा करने से हम अपने प्राण तो संकट में डालेंगे ही, दूसरों की स्वतन्त्रता भी छीनते हैं। विद्दार्थी भारत के भावी राष्ट्र- निर्माता हैं। उन्हें अनुशासन के गुणों का अभ्यास अभी से करना चाहिए, जिससे वे भारत के सच्चे सपूत कहला सके
- अनुशासन और स्वातन्त्रता का परस्पर सम्बन्ध है
- तीन और छ: का
- तीन और तीन का
- नौ और ग्यारह का
- तीन और नौ का
- विद्दार्थी भारत के भावी राष्ट्र- निर्माता है इसीलिए
- उन्हें अनुशासनप्रिय बनना है
- उन्हें स्वेच्छाचारी बनना है
- उन्हे दूसरों को ठेलकर आगे बढ़ना है
- उन्हें सपूत बनना है
- हम सड़क पर चलने के लिए स्वतन्त्र हैं फिर बाई और ही क्यों चलें
- दूसरों के बीच में चलने देने के लिए
- सड़क पर हमारा स्वामित्व न होने से
- अपने प्राणों की रक्षा के लिए
- दूसरों को स्वातन्त्रता देने के लिए
- अनुशासन में स्वातन्त्रता
- छिन जाती है
- छिनती नहीं बल्कि दूसरों की स्वतन्त्रता की रक्षा होती है
- का अभाव रहता है
- का होना जरूरी नहीं है
- अनुशासन में स्वतन्त्रता छिन जाना मात्र एक
- भ्रम है
- क्रान्ति है
- तृष्णा है
- उपाय है
गद्दांश 2 अपठित गद्दांश Apathit Gaddaansh Unreadable deprivation StudyMaterial in Hindi
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किसी भी राष्ट्र की संस्कृति तब तक गूँगी रहती है, जब तक राष्ट्र की अपनी वाणी नहीं होती। राजनीतिक परधीनता की हमारी बेड़ियाँ जरू र कट गई है, किन्तु अंग्रेजी अंग्रेजों की दासता के रूप में हमारे मनोजगत् में विद्दमान है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि भाषा परिधान मात्र नहीं वरन् राष्ट्र का व्यक्तित्व है। हमारे बहुभाषा –भाषी देश के ही समान रूस भी बहुत सी भाषाओं वाला देश है जहाँ 66 भाषाएँ बोली और लिखी जाती है, किन्तु उनकी राष्ट्रभाषा रूसी है। हमारी संस्कृति के गोमुख से निकली हूई सब भारतीय भाषाएँ राष्ट्र्भाषा के रूप में स्वीकार किया गया है। केवल संविधान में लिए दे मात्र से यह बात पूरी नहीं हो पाती, इसे राष्ट्र के जीवन में प्रतिष्ठित करना होगा, अन्यथा इस स्वतन्ता का क्या मूल्य है? विश्व चेतना जगाने से पहले हमें अपने देश में राष्ट्रभाषा की चेतना जागृत करनी चाहिए
- किसी भी राष्ट्र की संकृति तब तक गूँगी रहती है
- जब तक राष्ट्र की अपनी वाणी नहीं होती
- जब तक राष्ट्र पराधीन रहता है
- जब तक राष्ट्र में चेतना नहीं आती
- जब तक संस्कृति स्वयं नहीं बोलने लगती
- भाषा परिधान मात्र नहीं बल्कि
- राष्ट्र का गौरव है
- राष्ट्र का सौन्दर्य़ है
- राष्ट्र का व्यक्तित्व है
- राष्ट्र का आभूषरण है
- हमारे देश के अतिरिक्त वह कौन-सा देश है, जहाँ अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं?
- चीन
- जापन
- रूस
- पाकिस्तान
- रूस में कितनी भाषाएँ बोली जाती हैं?
- 60
- 62
- 64
- 66
- भारतीय शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय बताइए
- तीय
- ईय
- य
- ई
गद्दांश 3 अपठित गद्दांश Apathit Gaddaansh Unreadable deprivation StudyMaterial in Hindi
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यो तो भारतीय सन्त अति प्रचीनकाल से अहिंसा का उपदेश देते आ रहे हैं, परन्तु महात्मा गाँधी ने अहिंसा की नवीन परिभाषा दी उन्होंने बताया कि यद्दपि अहिंसा का शाब्दिक अर्थ हिंसा न करना मात्र है, परन्तु यथार्थ में यह मनुष्य के ह्रद्य का स्वाभाविक तथा सक्रिय गुण है। व्यापक प्रेम, आत्मनिर्भरता, निर्भयता, सत्य, भगवान पर विश्वास, पड़ोसियों के प्रति सद्व्यवहार आदि अहिंसा पालन के आवश्यक तत्व हैं। यदि विद्दालय में अहिंसा का पालन होने लगे तो अनुशासन की समस्या ही न रहे, क्योंकि पड़ों का सम्मान, सत्य पालन तथा पारस्परिक प्रेम अहिंसा के प्राण हैं।
- अहिंसा का शाब्दिक अर्थ है
- पड़ोसियो स सद्व्यवहार
- हिंसा न करना
- आत्मनिर्भरता
- चोरी न करना
- अहिंसा का मूलभूत तत्व है
- आत्मनिर्भरता
- निर्भयता
- व्यापक प्रेम
- मित्रता
- अहिंसा की नई परिभाषा दी
- महात्मा बुद्ध ने
- महात्मा गाँधी ने
- भगवान महावीर ने
- कबीरदास ने
- उपरोक्त अवरतरण का शीर्षक हो सकता है
- गाँधीजी की अहिंसा
- अहिंसा की परिभाषा
- अहिंसा की उपादेयता
- अहिंसा और धर्म
- लेखक ने किसे अहिंसा का प्राण नहीं कहा है?
- बड़ो का सम्मान
- सत्य पालन
- पारस्परिक प्रेम
- न्याय
गद्दांश 4 अपठित गद्दांश Apathit Gaddaansh Unreadable deprivation StudyMaterial in Hindi
जगत यथार्थ में आध्यात्मिक दृष्टि से एक इकाई है। भले ही वह देखनें में अनेक रूप है। वास्तव में जगत एक ही है ज अपने को अनेकता में व्यक्त करता है। यह अनेकता इस प्रकार है जिस प्रकार संगीत तो एक है जो टुकड़ों या विषय रागों में व्यक्त होता है। तीसरे भारतीय दर्शन औपचारिक रूप से सत्य की खोज करता है और साथ में व्यावरहारिक जीवन पद्धति की खोज करके उस लागू करता है। यह उसका व्यावहारिक पक्ष है। भारतीय दर्शन जीवन के लक्ष्य की खोज करक उस पाने की प्रक्रिया भी बताता है। लक्ष्य को पा लेना से केवल जानना नहीं है, बल्कि उसका अंश हो जाना है, इस उपलब्धि में प्रमुख बाधा है अज्ञान जिसे दर्शन ही दूर कर सकता है। इस प्रकार दार्शनिक को स्वयं अनुशासित होना पड़ता है ताकि वह यथार्थ से एकाकार हो जाए। इसी नाते अनुशासित आचारण का पालन सभी मनु,यों को करना होता है।
- इनमें स कौन अपने को अनेकता में व्यक्त करता है?
- जगत
- ईश्वर
- अध्यात्म
- दर्शन
- भारतीय दर्शन औपचारिक रूप से किसकी खोज करता है?
- सत्य
- अंहिसा
- ईश्वर
- यथार्थ
- लेखक के अनुसार अज्ञान को कौन दूस कर सकता है?
- ज्ञान
- दर्शन
- अनुशासन
- चरित्र
- अनेकता में प्रयुक्त प्रत्यय है
- इता
- ता
- अन
- आ
- इस गद्दांश का उपयुक्त शीर्षक होगा
- दर्शन
- भारतीय दर्शन के तत्व
- व्यावहारिक जीवन के लक्ष्य
- अनुशासन और दर्शन
उत्तरमाला (अपठित गद्दांश Apathit Gaddaansh Unreadable deprivation StudyMaterial in Hindi)
गद्दांश 1
- (b) (a) 3. (c) 4. (b) 5. (a)
गद्दांश 2
- (a) (b) 3. (c) 4. (b) 5. (a)
गद्दांश 3
- (b) (c) 3. (b) 4. (a) 5. (d)
गद्दांश 4
- (a) (a) 3. (b) 4. (b) 5. (b)