CTET UPTET 2018 Alankar Practice Question Paper in Hindi
CTET UPTET 2018 Alankar Practice Question Paper in Hindi
निर्देश (प्र.सं. 1-40) निम्नलिखित प्रश्नों के पद्यांशों में प्रयुक्त अलंकार के भेद का चयन दिए गए विकल्पों में से कीजिए।
- कुन्द इन्दु सम देह, उमा रमन करुण अयन।
- उपमा
- प्रतीप
- श्लेष
- दृष्टांत
- चरन धरत चिन्ता करत, भावत नींद न शोर।सुबरन को खोजत फिरत, कवि व्यभिचारी चोर।।
- यमक
- उत्प्रेक्षा
- दृष्टान्त
- श्लेष
- अजौ तरयौना ही रह्यों, श्रुति सेवत इक अंग।नाक बास बेसिर लह्यौं, बसि मुक्तन के संग।।
- रुपक
- उत्प्रेक्षा
- यमक
- श्लेष
- को तुम? हैं घनश्याम हम, तो बरसो कित जाए।
- उपमा
- वक्रोक्ति
- अनुप्रास
- भ्रान्तिमान
- ऊधौ, मेरा हृदय तल था एक उद्यान न्यारा।शोभा देती अमित उसमें कल्पना-क्यारियाँ थीं।।
- उत्प्रेक्षा
- रुपक
- यमक
- उपमा
- भूरि-भूरि भेदभाव भूमि से भगा दिया।
- यमक
- रुपक
- अनुप्रास
- उत्प्रेक्षा
- हृदय घाव मेरे पीर रघुवीरै।
- प्रतीप
- व्यतिरेक
- असंगति
- उल्लेख
- मुन्ना तब मम्मी के सर पर देख-देख दो चोटी।भाग उठा भय मानकर सर पर साँपिन लोटी।।
- उपमा
- सन्देह
- भ्रान्तिमान
- यमक
- काशी पुरी की कीरति महा, जहाँ देह देइ, पुनि देह न पाइए।
- ब्याज स्तुति
- अतिशयोक्ति
- मानवीकरण
- ब्याज निन्दा
- तू रुप है किरण में, सौन्दर्य है सुमन में। तू प्राण है पवन में, विस्तार है गगन में।।
- रुपक
- उल्लेख
- यमक
- अतिशयोक्ति
- ध्वनि-मयी करके गिरि-कंदरा। कलित-कानन केलि-निकुंज को।।
- अतिशयोक्ति
- लाटानुप्रास
- छेकानुप्रास
- वृत्यानुप्रास
- भर लाऊँ सीपी में सागर। प्रिय! मेरी अब हार विजय क्या?
- रुपक
- उल्लेख
- विभावना
- विरोधाभास
- बसै बुराई जासु तन, ताही को सन्मान। भलो भलो कहि छोड़िए, खोटे ग्रह जप दान।।
- अनुप्रास
- उपमा
- दृष्टान्त
- भ्रान्तिमान
- बहुरि विचार कीन्ह मन माहीं। सीय वचन सम हितकर नाहीं।।
- सन्देह
- यमक
- रुपक
- प्रतीप
- हैं गरजते घन नहीं बजते नगाड़े। विद्युल्लता चमकी न कृपाण जाल से।।
- उत्प्रेक्षा
- यमक
- अपहुति
- रुपक
- जुग उरोज तेरे अली। नित-नित अधिक बढ़ायँ। अब इन भुज लतिकान में, एरी ये न समायँ।।
- रुपक
- यमक
- अतिशयोक्ति
- दृष्टान्त
- अधरों पर अलि मँडराते, केशों पर मुग्ध परीहा।
- सन्देह
- उपमा
- रुपक
- भ्रान्तिमान
- गर्व करउ रघुनन्दन जिन मन माँहा। देखउ आपन मूरति सिय के छाँह।।
- रुपक
- प्रतीप
- व्यतिरेक
- उल्लेख
- मुख बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ।
- अनुप्रास
- उपमा
- उत्प्रेक्षा
- पुनरुक्त
- तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
- यमक
- अनुप्रास
- रुपक
- उत्प्रेक्षा
- माला फेरत जुग गया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।।
- रुपक
- अनुप्रास
- यमक
- उल्लेख
- लेवत मुख में घास मृग मोर तजत नृत जात। आँसू गिरियत जर लता, पीरे-पीरे पात।।
- रुपक
- उल्लेख
- अतिशयोक्ति
- विरोधाभास
- यह मुख है नीले अंबर में या यह चंद्र विमल है। अंधेरे में दीप जला, या सर में खिला कमल है।।
- उपमा
- रुपक
- उल्लेख
- सन्देह
- अति मलीन, वृषभानु कुमारी। अधमुख रहित, उरध नहीं चितवत्, ज्यों गथ हारे पकित कुम्हिलानो, ज्यों नलिनी हिसकर की मारी।।
- रुपक
- उपमा
- उत्प्रेक्षा
- प्रतीप
- कमल नैन को छांड़ि महातम, और देव को ध्यावै।
- अनुप्रास
- श्लेष
- यमक
- रुपक
- पट-पीत मानहुँ तड़ित रुचि, सुचि नौमि जनक सुतावरं।
- अतिशयोक्ति
- यमक
- रुपक
- उपमा
- तीन बेर खाती थीं, वे तीन बेर खाती हैं।
- यमक
- उत्प्रेक्षा
- श्लेष
- रुपक
- जग प्रकाश तब जस करै, वृथा भानु यह देख।
- यमक
- उपमा
- प्रतीप
- उत्प्रेक्षा
- मंगन को देख पट देत बार-बार है। दाता अस सूम दोनों किए इक सार है।।
- श्लेष
- उपमा
- विरोधाभास
- पुनरुक्ति
- बढ़त-बढ़त सम्पति सलिल मन-सरोज बढ़ जाए। घटत-घटत फिर न घटै करु समूल कुम्हिलाय।।
- रुपक
- यमक
- उल्लेख
- विभावना
- नदियाँ जिनकी यशधारा-सी। बहती हैं अब भी निशि-वासर।।
- यमक
- उपमा
- रुपक
- श्लेष
- हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निसाचर भाग।।
- रुपक
- उत्प्रेक्षा
- यमक
- अतिशयोक्ति
- यह देखिए, अरविन्द से शिशुवृन्द कैसे सो रहे।
- उत्प्रेक्षा
- श्लेष
- अनुप्रास
- उपमा
- नाक का मोती अधर की क्रान्ति से, बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से।देखकर सहसा हुआ शुक मौन है। सोचता है अन्य शुक यह कौन है?
- यमक
- रुपक
- विभावना
- भ्रान्तिमान
- नहिं पराग नहिं मधुर, मधु, नहिं विकास इहि काल। अली कली ही सों बंध्यो, आगे कौन हवाल।।
- अन्योक्ति
- अतिशयोक्ति
- उपमा
- उत्प्रेक्षा
- सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात। मनहुं नील मनि सैल पर आतप परयो प्रभात।।
- उत्प्रेक्षा
- यमक
- रुपक
- भ्रान्तिमान
- दिवसावसान का समय, मेघमय आसमान से उतर रही है। वह संध्या-सुन्दरी परी-सी, धीरे-धीरे-धीरे।।
- अनुप्रास
- उपमा
- वक्रोक्ति
- अन्योक्ति
- मखमल के झूले पड़े हाथी-सा टीला।
- अनुप्रास
- उपमा
- उत्प्रेक्षा
- विरोधाभास
- अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी।
- रुपक
- अन्योक्ति
- उत्प्रेक्षा
- यमक
- माया महाठगिनी हम जानी। तिरगुन फाँस लिए कर डोलै, बोलै मधुरी बानी।।
- रुपक
- श्लेष
- उपमा
- प्रतीप
CTET UPTET 2018 Alankar Answer
1.(1) 2.(4) 3.(4) 4.(2) 5.(2) 6.(3) 7.(3) 8.(3) 9.(4) 10.(2) 11.(4) 12.(4) 13.(3) 14.(4) 15.(3) 16.(3) 17.(4) 18.(2) 19.(2) 20.(2) 21.(2) 22.(3) 23.(4) 24.(2) 25.(4) 26.(4) 27.(3) 28.(3) 29.(1) 30.(1) 31.(2) 32.(4) 33.(4) 34.(4) 35.(1) 36.(1) 37.(2) 38.(1) 39.(1) 40.(2)