CTET UPTET 2018 Chhand Verse Model Question Paper in Hindi
CTET UPTET 2018 Chhand Verse Model Question Paper in Hindi
- गणों की संख्या कितनी है?
- 4
- 10
- 9
- 8
- छन्द मुख्यता कितने प्रकार के होते हैं?
- एक
- दो
- तीन
- चार
- जिन छन्दों में प्रत्येक चरण में मात्राएँ या वर्ण समान हों, उन्हें कहा जाता है
- असम छन्द
- सम छन्द
- अर्द्धसम छन्द
- ये सभी
- यति का सामान्य अर्थ है
- लय
- अन्तिम वर्णों की आवृत्ति
- विराम
- इनमें से कोई नहीं
- छन्दशास्त्र के प्रणेता माने जाते हैं
- डिंगल
- पिंगल
- पतंजलि
- मनु
- कितने अक्षरों के समूह को गण कहा जाता है?
- दो
- तीन
- चार
- पाँच
- किस छन्द का प्रथम व अन्तिम अक्षर एक-सा होता है?
- चौपाई
- सोरठा
- कुण्डलियाँ
- मालिनी
- दोहा में कितने चरण होते हैं?
- 2
- 4
- 6
- 8
- चौपाई के प्रत्येक चरण में कितनी मात्राएँ होती हैं?
- 12
- 14
- 16
- 18
- ‘हरिगीतिका’ छन्द के प्रत्येक चरण में कितनी मात्राएँ होती हैं?
- 22
- 24
- 26
- 28
- दोहा के सम चरणों में कितनी मात्राएँ होती हैं?
- 11
- 13
- 16
- 18
- निम्नलिखित में से कौन-सा मात्रिक छन्द हैं?
- दोहा
- चौपाई
- रोला
- ये सभी
- निम्नलिखित में से कौन-सा वर्णिक छन्द है?
- दोहा
- चौपाई
- रोला
- सवैया
- निम्नलिखित में से कौन-सा वर्णिक छन्द है?
- इन्द्रवज्रा
- सवैया
- कवित्त
- ये सभी
- कौन-सा छन्द 22 से 26 वर्ण और चार चरणों वाला है?
- दोहा
- सोरठा
- सवैया
- कवित्त निर्देश (प्र.सं.) प्रत्येक पद को पढ़कर सही छन्द चुनिए।
- चम्पक हरवा अंगमिलि अधिक सुहाय। जानि परे सिय हियरे जब कुमिलाय।।
- दोहा
- चौपाई
- बरवै
- कुण्डलियाँ
- मूक होई वाचाल, पंगु चढ़ई गिरिवर गहन। जासू कृपा सो दयाल द्रवहु सकल कलिमल दहन।।
- सोरठा
- बरवै
- मालिनी
- रोला
- श्री गुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि। बरनउं रघुवर विमल जस जो दायक फल चारि।।
- दोहा
- सोरठा
- चौपाई
- बरवै
- नील सरोरुह स्याम तरुन अरुन वारिज नयन। करउ सो मम उर धाम, सदा छीरसागर सयन।।
- दोहा
- सोरठा
- रोला
- बरवै
- नित नव लीला ललित ठानि गोलोक अजिर में। रमत राधिका रंग रास रंग रुचिर में।।
- बरवै
- रोला
- हरिगीतिका
- सोरठा
- रहिमन मोहि न सुहाय, अमिय पियावत मान बिनु। वरन विष देय बुलाय, मान सहित मरिबो भला।।
- दोहा
- सोरठा
- चौपाई
- मालिनी
- मैं जो नया ग्रंथ विलोकता हूँ। भाता मुझे नव मित्र-सा है।। देखूँ उसे मैं नित नेम से ही। मानो मिला मित्र मुझे पुराना।।
- चौपाई
- दोहा
- इन्द्रवज्रा
- बरवै
- सोवै कित चकोर! तू सफल करै किन नैन? चार दिना की चाँदनी फिरी अँधियारी रैन।। फिरी अँधियारी रैन सखे। लखि सोच करैगो। सजग रहे नहिं भूलि, काल कृत जाल परैगो।। बरनै दीनदयाल लाल। यह काल न खौवे। रोम-रोम प्रति सोम कला न लखत कित सोवै।।
- सवैया
- दोहा
- कुण्डलियाँ
- चौपाई
- ठाढ़े हैं नो द्रुम डार गहे धनु कांधे धरे कर सायक लै।
- सवैया
- बरवै
- सोरठा
- उल्लाला
- कोई पत्ता नवल तरु का पीत जो हो रहा हो। तो प्यारे के दृग युगल के सामने ला उसे ही।। धीरे-धीरे सम्भल रखना औ उन्हें यों बताना। पीला होना प्रबल दु:ख से प्रोषिता-सा हमारा।।
- मालिनी
- मन्दाक्रान्ता
- उपेन्द्रवज्रा
- द्रुत विलम्बित
- यह किस छन्द की विशेषता है? “12 वर्णों के प्रत्येक चरण में चार यगण होते हैं।”
- वर्णिक छन्द
- छप्पय
- भुजंग प्रयात
- बरवै
- प्रत्येक चरण में 14,12 के विश्राम से 26 मात्राएँ किस छन्द का उदाहरण है?
- गीतिका
- इन्द्रवज्रा
- कुण्डलियाँ
- दोहा
- निम्नलिखित में कौन-सा छन्द का अंग नहीं है?
- गुरु
- गण
- गति
- मति
- ‘दोहा’ और ‘रोला’ छन्द को मिलाने से बनती है
- चौपाई
- कुण्डलियाँ
- हरिगीतिका
- उल्लाला
- ‘रोला’ और ‘उल्लाला’ के मिलने से किस छन्द का निर्माण होता है?
- छप्पय
- गीतिका
- दोहा
- सोरठा
CTET UPTET 2018 Answer
1.(4) 2.(2) 3.(2) 4.(3) 5.(2) 6.(2) 7.(3) 8.(2) 9.(3) 10.(4) 11.(1) 12.(4) 13.(4) 14.(4) 15.(3) 16.(3) 17.(1) 18.(1) 19.(2) 20.(1) 21.(2) 22.(3) 23.(3) 24.(1) 25.(2) 26.(3) 27.(1) 28.(4) 29.(2) 30.(1)