CTET UPTET 2018 Ras Study Material in Hindi
CTET UPTET 2018 Ras Study Material in Hindi :- काव्य के पढने से हमे आनन्द की प्राप्ति होती है अर्थात ह्रदय में एक अनिवर्चनीय भाव का संचार होता है | यह आनन्द- स्वरूप होता है, यही अलौकिक आनन्द रस कहलाता है | सर्वप्रथम रस का विवेचन भरतमुनि के ‘ नाट्यशास्त्र ’ में प्राप्त होता है | रस की उत्पत्ति के सम्बन्ध में भरतमुनि ने लिखा है | विभावानुभावव्यभिचारिस्योगाद्र्स्निश्पति : अर्थात विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भावों के संयोग के रस की उत्पत्ति होती है |
क्र०सं० | रस | स्थायी भाव |
1. | श्रंगार रस | रति |
2 | करुण रस | शोक |
3 | शान्त रस | निर्वेद |
4 | रौद्र रस | क्रोध |
5 | वीर रस | उत्साह |
6 | हास्य रस | हास |
7 | भयानक रस | भय |
8 | वीभत्स रस | जुगुप्सा |
9 | अदभुत | विस्मय |
10 | वात्सल्य रस | वत्सलता |
11 | भक्ति रस | भ्गव्द्विश्यक अनुराग |
UPTET मॉडल प्रश्न (CTET UPTET 2018 Important Question Answer in Hindi)
निर्देश (प्र.सं. 1-10 ) निचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर के रूप में चार-चार विकल्प दिए गये है | इनमे से एक ही सही ही , सही विकल्प का चयन करो |
- काव्यो में कितने रस मने गये है ?
- छह
- सात
- आठ
- नौ
- श्रंगार रस का स्थायी भाव क्या है ?
- निव्रेद
- रति
- हास्य
- जुगुप्सा
- शांत रस का स्थायी भाव क्या है?
- शोक
- निव्रेद
- विस्मय
- वत्सलता
- सर्वश्रेष्ठ रस किसे माना जाता है ?
- शांत रस
- हास्य रस
- करुण रस
- श्रंगार
- जुगुप्सा किस रस का स्थायी भाव है ?
- अदभुत
- करुण
- वीभत्स
- वीर
- वीर रस का स्थायी भाव क्या है ?
- भय
- शोक
- निर्वेद
- उत्साह
- जो वस्तु, व्यक्ति या परिस्थिति स्थायी भाव को जाग्रत करती है उन्हें क्या कहते है ?
- विभाव
- उत्प्रेरक
- अनुभव
- संचारी
- अनुराग किस रस का स्थायी भाव है ?
- वात्सल्य
- भक्ति
- शान्त
- भयानक
- रौद्र रस का स्थायी भाव क्या है ?
- भय
- घ्रणा
- क्रोध
- शोक
- शोक किस रस का स्थायी भाव क्या है ?
- करुण
- वीर
- वीभत्स
- अदभुत
निर्देश (प्र.सं. 1 -20 ) निम्नलिखित प्रश्नों में दी गई पंक्तियों में प्रयुक्त रस के लिए चार- चार विकल्प दिए गये है | इनमे एक विकल्प सही है | सही विकल्प का चयन करो |
- अंखिया हरी दरसन की भूखी | क्सिसे रहे रूप रस रांची ए बतिया सुनी रुखी ||
- संयोग श्रंगार रस
- वियोग श्रंगार रस
- हास्य रस
- करुण रस
- मन रे तन कागद का पुतला | लागौ बूंद विंसी जाय छीन में गरब करै क्यों इतना ||
- भक्ति रस
- संयोग रस
- करुण रस
- शांत रस
- शोक विकल सब रोवहिं रानी | रूपों शील बल तेज बखानी || करहिं विलाप अनेक प्रकारा | परहिं भूमि-तल बारहिं बारा ||
- शांत रस
- भक्ति रस
- करुण रस
- वीर रस
- जौ तुम्हारि अनुसासन पावौ कन्दुक एव ब्रहांड उठावे |काचे घट जिमी दारों फोरी, स्काऊ मेरु मुसक जिमि तोरी ||
- वीर रस
- शान्त रस
- अदभुत रस
- रौद्र रस
- खददर कुर्ता भकभाको, नेता जैसी चाल | येही बालक मों मन बसौ सदा बिहारी लाल ||
- भक्ति रस
- करुण रस
- हास्य रस
- भयानक रस
- बौरो सबै रघुवंश कुठार की धर में वरन बाजि सरत्थहि | बान की वायु उदाय कौ लच्छन लच्छ करों अरिहा सरत्थहि
- भयानक रस
- करुण रस
- रौद्र रस
- भक्ति रस
- हे खग म्रग हे मधुकर श्रेणी | तुम देखि सीता म्रनैनी ||
- करुण रस
- रौद्र रस
- संयोग श्रृंगार रस
- वियोग श्रृंगार रस
- मैया मई तो चन्द्र खिलौना लहो |
- वात्सल्य रस
- शांत रस
- करुण रस
- अदभुत
- हा राम! हा प्राण प्यारे | जीवित रहूँ किसके सहारे ?
- भक्ति रस
- करुण रस
- रौद्र रस
- हास्य रस
- राम को रूप निहारति जानकी, कंकन के नग की परछाई | जातै सबौ सुधि भूल रही, कर टेकी रही पल टारत नाहि
- वियोग रस
- संयोग श्रंगार रस
- भक्ति रस
- करुण रस
- निसिदिन बरसत नयन हमारे
- करुण रस
- रौद्र रस
- वियोग श्रृंगार रस
- अदभुत रस
- किलक अरे मई नेह निहारूं |इन दांतों पर मोती वारूँ||
- हास्य रस
- वात्सल्य रस
- करुण रस
- वीर रस
- एक और अजगरहि लखि , एक और म्रगराय| बिकल बटोही बिच ही, प्रयो मूर्छा खाय ||
- भयानक रस
- रौद्र रस
- वीभत्स रस
- करुण रस
- जसोदा हरी पालने झुलावै |हलरावै दुल्रारावे मल्हावै जोई सोई कछु गावै|
- करुण रस
- भक्ति रस
- वात्सल्य रस
- अदभुत रस
- वीर तुम बढे चलो, धीर तुम बढे चलो , सामने पहाड़ हो, सिंह की दहाड़ हो | तुम कभी रुको नही तुम कभी झुको नही ||
- भयानक रस
- रौद्र रस
- वीर रस
- अदभुत रस
- मैं तो गिरधर के संग जाऊ | गिरधर मेरो सांचो प्रतम देखत रूप लिभाऊ|
- भक्ति रस
- करुण रस
- अदभुत रस
- श्रृंगार रस
- धोका न दो भैया मुझे , इस भांति आकर के यंहा ,मझधार में मुझको बहाकर तात ताते हो कन्हासीता गई तुम भी चले मै भी न जियूँगा यंहा | सुग्रीव बोले साथ में सब जायेगे वानर वंहा ||
- वीर रस
- करुण रस
- भयानक रस
- भक्ति रस
- के विरहिन कु मीचु डै के आपा दिखराय | आठ पहर का दिझ्दा , मो पौ सह्या न जाय ||
- वियोग श्रंगार रस
- सयोंग श्रृंगार रस
- शांत रस
- भक्ति रस
- अतिर्स बोले बचन कठोर , बेगी देखा मुड नत आजू | उल्तानु मही जह लग तव राजू ||
- हास्य रस
- रौद्र रस
- भयानक रस
- करुण रस
- अखिल भुव चार आचार सब, हरी मुख में लखि मातु | चकित भाई गदगद वचन, विकसित मुख पुल्कातु
- अदभुत रस
- करुण रस
- भयानक रस
- भक्ति रस
- जैहऊ अवधा कवन मुह लाई| नारी हेतु प्रिय भाई गंवाई || उपरोक्त पंक्ति में कौन सा स विधमान है ?
- रौद्र
- भयानक
- करुण
- श्रंगार
- निर्वेद स्थाई भाव है |
- अदभुत रस का
- वीभत्स रस का
- शांत रस का
- करुण रस का
CTET UPTET Model Paper With Answer
(उत्तरमाला)
1.(d) 2.(b) 3.(b) 4.(d) 5.(c) 6.(d) 7.(a) 8.(b) 9.(c) 10.(a)
1.(b) 2.(d) 3.(c) 4.(a) 5.(c) 6.(c) 7.(d) 8.(a) 9.(b) 10.(b) 11.(c) 12.(b) 13.(a) 14.(c) 15.(c) 16.(d) 17.(d) 18.(a) 19.(b) 20.(a) 21.(c) 22.(c)
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