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CTET UPTET Conservation of water Study Materials in Hindi

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जल का संरक्षण Conservation of Water Study Materials in Hindi

घर में, कृषि में या उद्दोग में पानी इस्तेमाल के बाद संदूषित हो जाता है। इस्तेमाल किए गए पानी में अवशेष और नुकासनदेह पदार्थ होते हैं। जिनको प्रदूषक कहते हैं। मल-जल और कूड़ा-कचरा भी पानी को प्रदूषित करते हैं। इस प्रकार जल प्रदूषण के कारण निम्नलिखित हैं

  1. मल मानव     3.  पशु      4. उद्दोगों से स्राव     5.  सड़े-गले पौधे     6.  मृतक पशु।

प्रदूषित पानी पीने से रोग पैदा होता है। हमारे देश में अधिकांश नदियों और झीलें प्रदूषित हो गई हैं। जल प्रदूषण को नियन्त्रत करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। जल-प्रदूषण का कुछ हद तक नियन्त्रण कई विधियों द्वारा किया जा सकता है। नदियों और झीलों जैसे पानी के स्रोतों में घरेलू, औद्दोगिक और अन्य अवशेषों को सीधे गिरने से रोक कर पानी का प्रदूषण दूर किया जा सकता है। पानी के स्रोतों के पास कपड़े घोना और बर्तन साफ नहीं करने चाहिए। इन बातों का ध्यान रखना उन्हे साफ रखने में भी सहायक होगा।

पानी प्राकृतिक साधन है और मुफ्त में उपलब्ध है। हम कुएँ या नदी या तालाब से पानी ला सकते है, किन्तु यह पीने के लिए उपयोगी नहीं है। इस पानी को पूने योग्य बनाने के लिए पानी को उबालना चाहिए अथवा उसमें पोटैशियम परमैगनेट और क्लोरीन जैसे कुछ रसायन जालने चाहिए। शहरों में, पानी की सफाई करने के बाद नलियों द्वारा उसकी आपूर्ति की जाती है।

हमारे देश में पीने के लिए सुरक्षित पानी, अर्थात पेयजल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं है। अत: पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए। इसका संरक्षण अवश्य होना चाहिए। पानी के संरक्षण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को इस दिशा में प्रयत्नशील रहना चाहिए। पानी के स्रोतों का न्यूनतम प्रदूषण हो इसके लिए भी उपाय करना चाहिए। पानी के अनेक उपयोगों से हम पहले ही परिचित हो गए है। कई क्षेत्रों में कुओं से अधिक मात्रा में पानी कृषि और घरेलू कार्यो के लिए निकाले जाते हैं। जब वर्षा अपर्याप्त होती है तब कुओं में पानी का स्तर नीचे चला जाता है। अत: कुओं से पर्याप्त पानी निकालना कठिन हो जाता है। वर्षा बढ़ाने में वन (जंगल) सहायक होते हैं। अत: हमें वनों को नष्ट नहीं करना चाहिए बल्कि अधिक से अधिक पैड़-पौधों को लगाना चाहिए। पानी की कमी की पर्ति टंकी में वर्षा का पानी एकत्र कर, भूमिगत भण्डार बनाकर या छोटा सा बाँध बनाकर की जा सकती है।

जल-चक्र CTET UPTET The Water Cycle Study Material in Hindi

गर्म होने पर पानी भाप बन जाता है और ठण्डा होने पर भाप फिर पानी बन जाती है। एक अवस्था से दूसरी अवस्था में पानी के बार-बार बदलने तथा फिर से जल में परिवर्तित होने के प्रक्रम को जल-चक्र कहते हैं।

सूर्य की गर्मी महासागरों, सागरों, नदियों, झीलो, और तालाबों से पानी का वाष्पन करती है। जमीन, पौधों और पशुओं से भी पानी क वाष्पन सूर्य की गर्मी से होता है। इस प्रकार जलवाष्प बनता है। चूँकि हवा से जलवाष्प हल्का होता है, जलवाष्प हवा से ऊपर उठता जाता है। ऊँचाई बढ़ने के साथ हवा का ताप गिरता जाता है। अधिक ऊँचाई पर जलवाष्प द्रवित हो जाता है। फलत: पानी की बहुत छोटी-छोटी बूँदे बन जाती हैं। पानी के ये छोटी बूदे हवा में तैरती रहती हैं और हवा में इनसे बादलों का निर्माण होता है।

जब बादल पहाड़ों के पास पहुँचते है, वे और ऊपर उठ जाते है। बारदल जैसे जैसे ऊपर उठते हैं वे ठण्डा होते जाते हैं। जितना अधिक ऊँचा वे उठते हैं उतना अधिक वे ठण्डा हो जाते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि अत्यधिक जलवाष्प द्रवित हो जाता है। इस प्रकार बादलों में बहुत छोटी-छोटी जल –बूँदे इतना भारी हो जाती हैं कि वे हवा में नहीं तैर पाती हैं। फलस्वरुप ये बूँदे जमीन पर वर्षा के रूप में गिरती हैं।

वर्षा का जो पानी जमीन पर गिरता है, उसमें से कुछ सूर्य की गर्मी से फिर वाष्पित हो जाता है। कुछ मिट्टी द्वारा सोख लिया जाता है जो पृथ्वी के भीतर जाता है और कुओं या झरनों तक पहुँच जाता है। अधिकांश पानी नदियों, सागरों और महासागरों में वापस चला जाता है। यह प्रक्रिया तब फिर से शुरू होती है। इस प्रकार प्रकृति मे जल –चक्र निरन्तर चलता रहता है।

महत्वपूर्ण तथ्य CTET UPTET important facts Study Material in Hindi

  • शुद्ध पानी संगहीन, गन्धहीन, स्वादहीन, और पारदर्शी होता है।
  • पानी ठोस (बर्फ), द्रव (पानी) और गैस (भाप) जैसी तीनों अवस्थाओं में रह सकता है।
  • शुद्ध पानी 00C पर जमता है और 1000C पर उबलता है।
  • पानी की कठोरता उबालकर या कुछ रसायनों से अभिक्रया करकर दूर की जा सकती है।
  • कठोर पानी पीने योग्य होता है, किन्तु कपड़ा धोने और औद्दोगिक उपयोग के लिए नहीं है।
  • द्रव-जल ठोस-बर्फ से भारी होता है। 40C पर जल का घनत्व अधिकतम होता है।
  • जल के वाष्पीकरण की ऊष्मा अधिक होती है।
  • जल की ऊष्माधारिता अधिक और ऊष्मा चालकता कम होती है।
  • जल धातुओं से प्रतिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता है।
  • जल में घुली ऑक्सीजन गैस के कारण मछलियाँ जीवित रहती हैं।
  • बर्फ का कम घनत्व होना मछलियों के जीवित रहने में सहायक होता है।

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