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CTET UPTET Ganit Kee Bhaasha Language of Mathematics Study Material in Hindi

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गणित की भाषा Ganit kee Bhaasha  Language of Mathematics Study Material in PDF Download Hindi

गणित शिक्षण में अध्यापक गणितीय संकल्पनओं की जानकारी देने के लिए और विचारों को स्पष्ट करने के लिए साधारण बोलचाल की भाषा प्रयोग करता है। भाषा अनुभव को यथाक्रम अन्तस्थ करनें में सहयक होती है जिससे अन्ततोगत्वा प्रत्यक्ष साकार अनुभव की पुनरावृत्ति किए बिना कल्पना शक्ति से क्रिया करने की क्षमता त्पन्न होती है। गणित की सकल्पानाओं की शिक्षा देने के लिए प्रथम चरण मं बालकों को प्रत्यक्ष साकार वस्तुओं के साथ के साथ क्रिया –कलाप के लिए प्रेरित किया जाता है फिर साकार वस्तुएँ हटा ली जाती हैं और उन्हें निहित अनुभव का स्पष्ट, उपयुक्त वर्णन करने को प्रोत्साहित करते हैं जब तक कि उनमें संकल्पना को मौखिक रूप से यथाक्रम अन्तस्थ: अरने की क्षमता न आ जाए। इस प्रकार भाषा अनुभव (या संकल्पनाएँ संग्रहण करने और सम्स्या समाधान में सहायक क साधन है।

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गणितीय संकल्पनाओं में प्रभावशाली अधिगम केवल क्रिया –कलापों में दक्षता पा लेने से ही प्राप्त नहीं होता है। यह निर्भर करता है कि कहाँ तक अध्यापक भा, में अभिव्यक्ति और सांकेतिक निरूपण में प्रवीणता उत्पन्न करने में सफल है, जिससे पूर्व अनुभवों पर आधारित संगत अमूर्त नियम या तथ्य प्रस्थापित किए जा सकें। साकार (प्रत्यक्ष) अनुभवों से अमूर्त विचार  प्रस्थापित होने तक संक्रमण गणितीय भाषा में व्यक्त वर्णन पर निर्भर है। ज के युग में कोई भी भौतिकशास्त्री (या अन्य कोई वैज्ञानिक) अपने विषय का अध्ययन बिना गणितीय भाषा के व्यापक प्रयोग के नहीं कर सकता जीव –विज्ञान, मनो-विज्ञान आदि विषय भी जिनका मूल स्परूप वर्णन प्रधान हुआ करता था आज गणितीय संकल्पनाओं का अत्यधिक प्रयोग करने लगे हैं। भाषाविद् जो भाषा के स्वरूप और संरचना का अध्ययन करते हैं आज इसका अध्ययन करने के लिए गणित का प्रयोग करने लगे हैं।

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रोजन बेकन का कथन गणिक विज्ञान का प्रवेश द्वारा और कुंजी है। गणित की अवहेलना ज्ञान संग्रहण को क्षति पहुँचाती है क्योकि जो व्यक्ति गणित ज्ञान से अनभिज्ञ है वह अन्य वैज्ञानिक विषयों और संसार की वस्तुओं का मानसिक पर्यवेक्षण नहीं कर सकता । इससे भी अधिक वुरी रबात तो यह है कि यह अज्ञानी व्यक्ति अपनी ही अज्ञानता तक को नही पहचानते और न ही उसका कोई उपचार करने का प्रयत्न करते हैं।

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि गणित सम्प्रेषण का क साधन या माध्यम है। गणित शिक्षा मं बालकों द्वारा अनुभव की गी भाषा की कठिनाइयों पर अनेक महत्व्पूर्ण अध्यन हुए है. गणितीय भाषा के कुछ पक्ष ( या गुण प्रस्तुत करना आवश्यक है।

 गणित की भाषा CTET UPTET Ganit Kee Bhaasha Language of Mathematics Important Study Material in Hindi

  1. गणितीय भाषा किसी वस्तु (या संकल्पना) और उसके नाम मं अन्तर करती है। जैसे संख्या और संख्यांक, भिन्न और भिन्नात्मक संख्याएँ (या परिमेय संख्याएँ)
  2. कुछ साधारण भाषा के शब्दों का प्रयोग परिभाषित पदों के रूप में, कई बार भिन्न सन्दर्भ में, किया जाता है। उदाहरण क लिए चर का प्रयोग संज्ञा और विशेषण दोनों ही रूप में होता है। शब्द मूल का प्रयोग समीकरण के मूल और वर्गमूल, घनमूल आदि में होता है।
  3. किसी एक विचार को अनेक प्रकार से नामंकित या व्यक्त कर सकते हैं जैसे कि योग को जोडिए मान ज्ञात कीजिए कुछ कितने आदि वाक्यांश से सम्बोधित कर सकते हैं।
  4. संक्षेपण (या नामांकन) का प्रयोग करते हैं। यह प्रमाणित चिन्तन में सहायता करते हैं परन्तु कभी –कभी वे मानक रूप मं नहीं होते है और केवल संगणना की क्रिया विधि में किसी चरण को बचाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। उदाहरण के लिए ग्राम के लिए gm का प्रयोग सही नहीं है। cms का प्रयोग भी सही नहीं है।
  5. बहुधा नए विषय या संक्रिया के अधिगम में सहायक चित्र या चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। जैसे कि जौड़ने में हासिल की संख्या का अंक उचित स्थान पर लिखना, समीकरण क हल में या or का प्रयोग। 5m X 4m = 20 sq.m सही नहीं है क्योकि गुणक केवल एक संख्या हो सकती हैयह मूर्त नहीं हो सकती। सही विधि है (5X 4) sq.m ।
  6. गणित में प्रश्नों को हल करने में विचारों की शुद्धता और आँकड़ों की सुद्धता बनाए रखने के लिए हल को विशेष विधि के अनुसार चरणों में लिखा जाता है।
  7. अन्य भाषाओं की तरह गणित की भाषा का भी अपना व्याकरण है। इसमें भी संज्ञा, क्रिया और विशेषण आदि पाए जाते हैं। गणित की भाषा के मुख्य गुण है शुद्धता (या समग्रता), यथार्थता (या सत्यता) और सक्षमता। इसकी तुलना में सारधारम भाषा अस्पष्ट, अनिश्चित और भावप्रेरक हो सकती है। गणित में परिभाषाओं को व्यक्त करने में भाषा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। एक अच्छी परिभाषा में निम्न गुण आवश्यक हैं
  8. परिभाषा विश्वसनीय/संगत (या सिद्धान्त पर आधारित) होनी चाहिए, अर्थात प्रणाली की सभी सम्भव परिस्थितियों मं उससे समान अर्थ निकाले जा सकें।
  9. परिभाषा में केवल अपरिभाषित या पूर्व परिभाषित पद ही नहीं परन्तु उसमें उपपद और प्रयोजक भी होने चाहिए।
  10. परिभाषा की अभिव्यक्ति अनावश्यक भाषा के बिना स्पष्ट और विशुद्ध होनी चाहिए

गणित की भाषा  Language of Mathematics

इस प्रकार हम कह सकते है कि गणित की अपनी एक अलग भाषा है जिससे विद्दालयी शिक्षा में ज्ञान की आवश्यकता एवं उपयोगिता दृष्टिगोचर होती है। विश्व में ज्ञान का अथाह भण्डार है इस ज्ञान भण्डार में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है यह बात अधिक महत्वपूर्ण नहीं है कि ज्ञान अधिक उपयोगी तथा लाभप्रद सिद्ध हो सके। किसी व्यक्ति के लिए ज्ञान प्राप्त करना तभी उपयोगी हो सकता है जबकि वह ज्ञान का अपनी आवश्यकतानुसार उचित प्रयोग कर सकें। किसी व्यक्ति के लिए ज्ञान प्राप्त करना तभी उपयोगी हो सकता है, जबकि वह ज्ञान अधिक उपयोगी तथा लाभप्रद सिद्ध हो सके। किसी व्यक्ति के लिए ज्ञान प्राप्त करना तभी उपयोगी हो सकता है, जबकि वह ज्ञान का अपनी आवश्यकतानुसार उचित प्रयोग कर सके। किसी ज्ञान का उचित उपयोग करना व्यक्ति की मानसिक शक्तियों पर निर्भर करता है।

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