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CTET UPTET Significance Of EVS, Integrated EVS Study Material in Hindi

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पर्यावरण अध्ययन का अभिप्राय एवं एकीकृत पर्यावरण अध्ययन (CTET UPTET Significance of EVS, Integrated EVS Study Material in Hindi)

पर्यावरण शिक्षा एक नया क्षेत्र है जिसमें जीव विज्ञान, सामाजिक विज्ञान अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, भूगोग, समाजशास्त्र वनस्पति विज्ञान आदि सभी विषयों से विषयवस्तु ली जाती है। पर्यावरण शिक्षा वह प्रक्रिया है, जिसका सम्बन्ध प्रकृति और मानव निर्मित परिवेश के साथ मनुष्य की सम्बद्धता से है तथा जिसमें निर्मित परिवेश के साथ मनुष्य की सम्बद्धता से है तथा जिसमें जनसंख्या प्रदूषण, संसाधन का वितरण, संरक्षण, तकनीकी, परिवहन तथा नगरीय और ग्रामीण परियोजनाओं से लेकर पूरे मानवीय पर्यावरण की शिक्षा समाहित है।

पर्यावरण शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषएँ (CTET UPTET Meaning and Definitions of Environmental Education Study Material in Hindi

पर्यावरण शिक्षा पर्यावरण शिक्षा से तात्पर्य पर्यावरण द्वारा शिक्षा से है।

अर्थात पर्यावरणीय शिक्षा वह शिक्षा है जो पर्यावरण के माध्यम से पर्यावरण के विषय में और पर्यावरण के लिए प्रदान की जाती है। शिक्षा व्यक्ति को पर्यावरण से अनुकूल करना ही नही सिखाती है, बलिकि उसे पर्यावरण को अपने अनुकूल परिवर्तित करने के लए भी प्रशिक्षित करती है। यह व्यक्ति को पर्यावरण शिक्षा व्यक्ति को पर्यावरण समस्याओँ से सम्बन्धित ज्ञान तथा मूल्यों के विकास द्वारा जीवन के लिए तैयार करती है। पर्यावरम शिक्षा व्यक्ति को पर्यावरण समस्याओं से सम्बन्धित ज्ञान तथा मूल्यों के विकास द्वारा जीवन के लिए तैयार करती है। पर्यावरणीय शिक्षा एकीकृत, व्यावहारिक, लचीली, क्रिया आधारित, स्थान तथा आवश्यकता के अनुसार होनी चाहिए।

पर्यावरणीय शिक्षा के माध्यम से शिक्षा है (CTET UPTET Education is through environmental education Study Material in Hindi)

मानव का पर्यावरण प्राकृतिक तथा मानव निर्मित सुन्दर तथा शिक्षाप्रद है। जब बालक पशु- पक्षियों को देखकर उनकी और आकर्षित होता है तब उनके सम्बन्ध में परिचित करना वातावरण के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना है। यह शिक्षा कक्षा में दी गई शिक्षा से अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए पर्यावरण के माध्यम से व्यक्ति को शिक्षण –अधिगम पर्याप्त मात्रा में प्रदान किया जाता है।

पर्यावरणीय शिक्षा पर्यावरण के विषय में शिक्षा है (CTET UPTET Education is about environmental education environment Study Material in Hindi)

मानव अपने अस्तित्व और समृद्धि के लिए प्रतिदिन पर्यावरण के सम्पर्क में कार्य करता है। वह किसी भी परिस्थिति में इससे बच नहीं सकता है वह परिवार में जन्म लेता है और उसी में सका पालन-पोषम होता है। परिवार मनुष्य के लिए प्राथमिक समूह है। जब वह शैशवावस्था से बाल्यावस्था में आता है, तब वह पड़ोस समुदाय आदि के सम्पर्क में आता है। वह इसके क्रिया –कलापों में भाग लेता है। इस प्रकार वह वातावरण के विषय में सीखता है।

जॉन ड्यूवी के अनुसार समस्त शिक्षा व्यक्ति के द्वारा प्रजाति की सामाजिक चेतना में भाग लेने से प्रारम्भ होती है

टामसन के अनुसार पर्यावरम ही शिक्षक है और शिक्षा का काम छात्र को उसके अनुकूल बनाना है।

बोसिंग महोदय के अनुसार शिक्षा का कार्य व्यक्ति का पर्यावरण से इस सीमा स्तर तक सामंजस्य स्थापित करना है, जिससे व्यक्ति और समाज को स्थायी सन्तोष मिल सके।

ए बी सक्सेना के अनुसार पर्यावरण शिक्षा वह प्रक्रिया है जो पर्यावरण के बारे में हमें संचेतना, ज्ञान और समझ देती है। इसके बारे में अनुकूल दृष्टिकोम का विकास करती है और इसके संरक्षम तथा सुधार की दिशा में हमें प्रतिबद्ध करती है।

यूनेस्को के अनुसार पर्यावरण शिक्षा पर्यावरण सुरक्षा के उददेशों को प्राप्त करने का साधन है पर्यावरम शिक्षा किसी विज्ञान अथवा विष के अध्ययन की अलग शाखा नहीं है। इसे जीवनपर्यन्त सम्पूर्ण सिक्षा के अन्तर्गत चलाया जाना चाहिए।

पर्यावरण शिक्षा की विशेषताएँ (Characteristics of Environmental Education Study Material in Hindi

पर्य़ावरण शिक्षा के अर्थ एवं परिभाषाओं से निम्नलिखित विशेषताओं का ज्ञान होता है

  1. यह एक प्रक्रिया है जो मनुष्य तथा उसके सांस्कृतिक एवं जैविक वातावरम के पारस्परिक सम्बन्धों की जानकारी कराता है।
  2. यह प्रक्रिया मनुष्य का पर्यावरण सम्बन्धी ज्ञान, कौशल, समझ, अभिवृत्तियों, रुचियों, विश्वासों तथा मूल्यों का विकास है जो पर्यावरण में सुधार करती है।
  3. पर्यावरण शिक्षा में भौतिक, जैविक, सांस्कृतिक तथा मनोवैज्ञानिक पर्यावरण का ज्ञान तथा जानकारी दी जाती है।
  4. पर्यावरण शिक्षा के अन्तर्गत पर्यावरण के असन्तुलन की पहचान की जाती है तथा अपेक्षित विकास तथा सुधार का प्रयास किया जाता है।
  5. इसमें पर्यावरण की गुणवत्ता के लिए निर्णय लिया जाता है, अभ्यास किया जाता है जिससे समस्याओं का समाधन किया जा सके।
  6. पर्यावरण शिक्षा के द्वारा बालक स्वयं प्राकृतिक एवं जैविक वातावरण की समस्याओं को समझन तथा उनका समाधान खोजने के समर्थ बनाया जाता है।
  7. पर्यावरण शिक्षा का सम्बन्ध पर्यावरण सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक दोनों पक्षों से होता है। जिससे पर्यावरण प्रदूषण को रोक सके और असन्तुलन को दूर कर सके।
  8. पर्यावरण शिक्षा के शिक्षम में विभिन्न आयामों, विधियों प्रविधियों को प्रयुक्त किया जाता है। वास्तविक समस्या के कारण प्रभाव को पहचानना तथा औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा द्वारा समस्याओं का समाधान करना जिससे मानव जीवन सुखमय हो सके तथा उसकी सुख- सुविधाओं में गुमवत्ता लाई जा सके।
  9. पर्यावरण शिक्षा समस्या –केन्द्रत, अन्त: अनुशासन आयाम, मूल्य तथा समुदाय का अभिविन्यास, भविष्य की और उन्मुख, मानव विकास तथा जीवन से सम्बन्धित है। इसका सम्बन्ध भविष्य के लिए संसाधनों के संरक्षम से होता है।
  10. यह सर्जनात्मक कौशल तथा रचनात्मकता को बढ़ावा देती है जिससे मनुष्य स्वस्थ जीवन का विकास कर सके।

पर्यावरण शिक्षा का महत्व (CTET UPTET Importance of Environmental Education Study Material in Hindi

जनसंख्या में हो रही वृद्धि, तीव्रता के साथ हो रहा औद्दोगिक विकास, वन काटव, यातायात वाहनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि तथा जनसाधारण की अज्ञानता तथा अशिक्षा के कारण आज पर्यावरण शिक्षा का महत्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। पर्यावरम –शिक्षा के बढ़ते हुए महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. जन साधारण में बढ़ती हुई निरक्षरता और अज्ञानता के कारण पर्यावरण सुरक्षा तथा संरक्षण क उपायों का भरपूर प्रयोग नहीं हो पा रहा है। अज्ञान तथा अशिक्षा से ग्रसित मनुष्य पर्यावरण की सुरक्षा नहीं कर सकता।
  2. पेड़ व वनस्पति ही केवल कार्बन डाइ-ऑक्साइड को प्राण वायु ऑक्सीजन में बदल सकते हैं। अत: वायुमण्डल में ऑक्सीजन की मात्रा बनाए रखने तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड की मात्रा की वृद्धि से होने वाली पर्यावरणीय विकृतियों से अवगत कराने के लिए व्यक्तियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए ये बातें बतानी हैं
  3. पर्यावरण सुरक्षा के लिए जनसंख्या नियन्त्रण भी आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि को कैसे रोका जाए, यह पर्यावरण शिक्षा के क्षेत्र में आता है।
  4. वर्तमान में प्रत्येक देश में तीव्र गति से औद्दोगीकरण हो रहा है। इससे पर्यावरम प्रदूषण की सम्भावनाएँ भी बढ़ती हैं। इनसे उत्पन्न प्रदूषम को रोकने व उसे नियन्त्रित करने के लिए पर्यावरण शिक्षा जरूरी है।
  5. पर्यावरण शिक्षा हमारी संस्कृति की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अहिंसा जीव –दया, प्रकृति –पूजन आदि हमारी संस्कृति के मूलाधार हैं। पर्यावरण शिक्षा में इन तथ्यों की यथेष्ट मात्रा में शिक्षा दी जाती है।
  6. बढ़ते यातायात के साधनों से प्रदूषण का खतरा पर्याप्त मात्रा में बढ़ गया है। वाहन-प्रदूषण को रोकने के लिए पर्यावरण –शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन हैं।
  7. वनों का, वृक्षों का तथा पहाड़, नदी-नाले आदि का हमारे जीवन में क्या महत्व है, यह जानने के लिए पर्यावरण शिक्षा अनिवार्य है।
  8. प्रतिवर्ष जनसंख्या में जिस तीव्र गति से वृद्धि हो रही है उससे सारा प्रकृति –चक्र गड़बड़ा गया है। प्रकृति व पर्यावरम को पुन: सन्तुलित करने तथा भावी पीढ़ियों को विरासत में सुन्दर व व्यवस्थित समाज प्रदान करने हेतु जनसंख्या वृद्धि को नियन्त्रित करना है।

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