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CTET UPTET Vitamins and Mineral Salts Study Material in Hindi

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विटामिन एवं खनिज लवण (CTET UPTET Vitamins Mineral Salts Study Material in Hindi)

विटामिन विटामिन एक अति आवश्यक रसायन है जो शरीर में होने वाले सामान्य चयापचय की क्रियाओं की निरन्तरता को बनाए रखता है। यह शरीर के सामान्य वृद्धि एवं विकास के लिए अति आवश्यक है। इसकी आवश्यकता बहुत ही कम मात्रा में होती है एवं शरीर में होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाओं या अन्य वृद्धि सम्बन्धी क्रियाओं के लिए उत्प्रेरक का कार्य करता है। कुछ विटामिन एंजाइमों के कार्य को सम्पन्न करने में सहायक होते है, उन्हे सह-एंजाइम कहा जाता है।

विभिन्न प्रकार के विटामिन जैसे विटामिन-A  विटामिन-B विटामिन-C तथा अन्य अनेक विटामिन आपकी आँखो, हडिड्यों, दाँतो, मसूढ़ों एवं साधारण वृद्धि के लिए आवश्यक हैं। भोजन के साथ हम प्रतिदिन विभिन्न विटामिन लेते हैं, क्योंकि ज्यादातर विटामिनों का शरीर के अन्दर निर्माण नहीं कर सकते हैं। विटामिन के स्त्रोत है- शाक –सब्जी, अण्डा, दूध, गाजर, नारंगी, मछली,-यकृत, हाथ से कुटे धन आदि। आगे कई विटामिनों के कार्य एवं स्त्रोंत के सम्बन्ध में जानकारी दी गई है

विटामिन-A यह आँखों की तन्दुरुस्ती बनाए रखता है। इसकी कमी से रतौधी (रात में न दिखने की बीमारी) होती है पालक, अण्डा, गाजर, मक्खन, दूध विटामिन-A के स्त्रोत हैं।

विटामिन-B इसमें बहुत सारे विटामिन आते हैं जिनका अलग-अलग कार्य होता है। मुख्य रूप से इसकी कमी के कारण बेरी-बेरी रोग होता है। हाथ से कुटा धान स विटामिन का प्रधान स्त्रोत है।

विटामिन-C इसकी कमी से स्कर्वी रोग होता है, जिसमें मसूढ़ों से खून रिसता है एवं शरीर में कमजोरी होत जाती है। टमाटर, गाजर, नारंगी एवं आँवला सके प्रधान स्त्रोत हैं।

गिनी पिग के भोजन में विटामिन-C नहीं रहने से उसे स्कवीं रोग हो जाता है। भोजन में विटामिन-C सम्मिलित करने पर गिनी पिग का रोग खत्म हो जाता है एवं इसका स्वास्थ्य सामान्य हो जाता है।

विटामिन–D इसकी कमी से रिकेट्स रोग तथा हडिड्याँ ठीक से नहीं बन पाती। मख्यन, मछली की यकृत का तेल, अण्डपीत तथा सूर्य की किरण विटामिन–D के प्रधान स्त्रोत हैं।

खनिज –लवरण हमारे भोजन के आवश्यक अवयवों में जितने रसायनों की चर्चा की जाती है सभी मुख्य रूप से कार्बन के बने होते हैं, इसलिए इन्हें कार्बनिक यौगिक कहा जाता है। इसके अलावा हमारे भोजन में कुछ ऐसे अ- कार्बनिक रसायनों की आवश्यकता होती है जिसकी कमी के कारण शरीर अपने सामान्य वृद्धि एवं विकास को परिपूर्ण करने में सक्षण नही हो सकेगा। इन्ही पदार्थों को खनिज कहा जाता है, जैसे कुछ तत्व –फॉस्फोरस, सल्फर, नाइट्रोजन, क्लोरीन, आयोडीन, आदि कुछ धातु जैसे- सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आइरन, जिंक, कौबाल्ट आदि।

ये खनिज विभिन्न प्रकार के लवणों के रूप में हमारे भोजन में विद्दमान रहते है, जैसे साधारण नमक, इन खनिजों का शरीर में किसी तरह से निर्णाण नहीं होता है, इसलिए इनकी पूर्ति बाहर से की जाती है। ये सभी बहुत कम मात्रा में हमारे भोजन में उपस्थित रहकर हमें स्वस्थ रहने में सहायक सिद्ध होते हैं।

हमारी हडिडयाँ एवं दाँत अधिकतर कैल्शियम युक्त लवणों से बने होते हैं। कैल्शियम के बिना हमारा ह्रदय उचित प्रकार स स्पन्दन नही कर सकेगा, रक्त का थक्का नहीं बनेगा तथा पेशियाँ ठी क प्रकार स कार्य नहीं कर पाएँगी। बच्चों में वयस्कों की अपेक्षा अधिक कैल्शियम की आवश्यकता होती है, क्योकि उनके शरीर की वृद्धि होती रहती है।

हमारे शरीर में ऊर्जा फॉस्फेटों के रूप में व्यवस्थित रहती है हडिडयों एवं दाँत के निर्माण एवं विकास में फॉस्फोरस का महत्वपूर्ण योगदान होता है दूध, दाल एवं अनाज में कैल्शियम एवं फॉस्फोरस अच्छी मात्रा में विद्दमान रहते हैं।

आइरन हमारे रक्त में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन के निर्माण में मुख्य भूमिका अदा करता है।

विटामिन/खनिज लवणों के अभाव के कारण होने वाले कुछ रोग (CTET UPTET Some Diseases Caused by The Lack of Vitamins / Mineral Salts)

विटामिन/खनिजरोगलक्षण
विटामिन A B C

विटामिन B

विटामिन C

रतौधी

बेरी-बेरी

स्कर्वी

अन्धेरे में कम दिखाई देना

पेशियों का दुर्बल हो जाना

मसूड़ों से खून निकलना


जल Water Study material in Hindi 

जल किसी भी सजीव की शारीरिक संरचना एवं कार्यिकी का मुख्य आधार है। यह भोजन के पाचन, अपशिष्ट पदार्थो के निष्कासन एवं अन्य बहुत से कार्यों के लिए अति आवश्यक है। शरीर के अन्दर होने वाली बहुत-सारी क्रियाएँ जलीय विलयन में ही सम्पन्न हो सकती है। इसलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है। जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। शारीरिक पदार्थों का 60-70% भाग जल ही होता है। इसलिए हमारे भोजन में जल बहुत ही महत्वपूर्ण अवयव है।

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भोजन के दौरान जल हम सभी अलग से भी लेत हैं। इसके अलावा हम भोजन के रूप में ज अन्न, अनाज, कन्द, फल आदि का सेवन करते है, सभी में जल की उचित मात्रा निहित होती है जिसके द्वारा हमारे शरीर को जल की प्राप्ति होती है फल में भी जल की मात्रा अधिक है, जैसे एक अंगूर में 80% भाग जल ही है। आपको यह आश्चर्यजनक लगेगा, जब यह मालमू होगा कि एक 12 वर्षीय लड़का जिसका वजन 35 किलोग्राम है, उसके शरीर में लगभग 25 किलोग्राम जल है।

सन्तुलित आहार (CTET UPTET Balanced diet Study material in Hindi )

जिस भोजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज-लवण, विटामिन और जल –ये सभी पदार्थ अगर समुचित अनुपात तथा आवश्यक मात्रा में हो तो उसे सन्तुलित भोजन करते हैं एवं प्रतिदिन इस प्रकार सन्तुलित भोजन को सन्तुलित आहार कहते हैं। इन पदार्थों में किसी के अनुपात में भिन्नता हो तो वह आहार सन्तुलित नहीं रह जाता। इन सभी पदार्थों के विशेष कार्य होते हैं जैसे

  1. कार्बोहाइड्रेट मुख्य ऊर्जा स्त्रोत है।
  2. वसा स्वाद वं गन्ध के लिए उच्च ऊर्जा स्त्रोत है।
  3. शरीर के अंगों के निर्माण एवं वृद्धि के लिए पाचन तथा ऊर्जा के लिए प्रोटीन आवश्यक भोजन-अवयव है।
  4. विटामिन, खनिज एवं जल वृद्धि, शारीरिक प्रक्रियाओं के सुचारु रूप से संचालन के लिए एवं शरीर को स्वस्थ रखने के ले अनिवार्य है।

एक सामान्य सन्तुलित भोजन में एक वयस्क को प्रतिदिन निम्नलिखित खाद्द पदार्थों का अनुपात एवं परिमाण दिए गए रूप में होना चाहिए

चावल, गेहूँ आदि           400 ग्रा

दाल                     100 ग्रा

साग-सब्जी (कन्द, मूल आदि) 300 ग्राम

फल                     50 ग्रा

चीनी या गुड़              50 ग्रा

माँस, मछली या अण्डा       60 ग्रा

दूध                      300 मिली

तेल या घी                60 मिली

स्मरणीय (CTET UPTET memorable Study Material)

  • ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत है –कार्बोहाइड्रेट।
  • स्वस्थ दाँतों के लिए कैल्शियम के साथ-साथ फॉस्फोरस भी आवश्यक है।
  • शरीर की वृद्धि के लिए प्रोटीन आवश्यक है।
  • चावल व गेहूँ मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट के स्त्रोत हैं।
  • कॉपी, पौधे के बीज से बनाई जाती है
  • तिलचटटा सर्वाहारी श्रेणी में आता है।
  • हीमोग्लोबिन प्रोटुन का बना होता है।

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