M1 R4 Computer Organization ( कम्प्यूटर का संगठन) Study Material in Hindi
M1 R4 Computer Organization ( कम्प्यूटर का संगठन) Study Material in Hindi:- इस पोस्ट में आपकों मिलेगीं कम्प्यूटर ऑर्गनाइजेशन (Computer Organization) कम्प्यूटर का संगठन से जुड़ी बहूत ही महत्वपूर्ण जानकारी जैसे कम्प्यूटर का परिचय, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) , एरिथमैटिक लॉजिक यूनिट (ALU) , कंट्रोल यूनिट (CU), और मेमोरी आदि। बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी।
M1 R4 कम्प्यूटर ऑर्गनाइजेशन (कम्प्यूटर का संगठन) Study Material Notes in Hindi
परिचय
कम्प्यूटर के विभिन्न भागों की आंतरिक व्यवस्था को कम्पूटर ऑर्गनाइजेश्न कहा जाता है। यह एक सिस्टम से दूसरे में अलग होता है, लेकन सभी प्रकार के कम्प्यूटर सिस्टम्स में बेसिक ऑर्गनाइजेशन एक जैसा ही होता है।
इनपुट करना
स्टोर करना
प्रोसेस करना
आउटपुट करना
कंट्रोल करना
कम्प्यूटर में अधिकांश डाटा कीबोर्ड, स्कैनर, माउस या डिस्क से प्राप्त होता है। सूचना पेन ड्रिव या हार्ड डिस्क में सेव किये जाते हैं। डाटा को प्रोसेसर द्वारा मैनीपुलेट अथवा प्रोसेस किया जाता है एवं ससे मिलने वाला आउटपुट या तो मॉनीटर पर प्रदर्शित होता है थवा कागज पर प्रिंट होता है।बैसिक कम्प्यूटर ऑर्गनाइजेश्न को चित्र में एक ब्ल़ॉक डायग्रम द्वारा दिखाया गया है जिसमें एक डिजिटल कम्प्यूटर सिस्टम के पाँच मुख्य बिल्डिंग या फंक्शनल यूनिटों को दर्शाया गया है। ये पाँचों यूनिट कम्प्यूटर सिस्टम द्वारा किए जाने वाले पाँच बैसिक ऑपरेशन्स से संवधित होते हैं।
M1 R4 सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) Study Material in Hindi
सीपरीयू किसी भी कम्प्यूटर सिस्टम का दिमाग होता है। जिस तरह मनुष् के शरीर में सभी मुख्य निर्णय दिमाग लेदा है और दिमाग के ही आदेशानुसार शरीर के अन्य भाग संचालित होते है, उसी तरह एक कम्प्यूटर सिस्टम में सभी गणनाएँ, संशोधन एवं तुलनात्मक कार्य सीपीयू द्वारा किए जाते है। इसके अलावा कम्प्यूटर सिस्टम की अन्य यूनिट्स द्वारा किए जाने वाले कार्यों का नियंत्रण एवं उनके क्रियान्वयन के लिए भी सीपीयू ही जिम्मेदार होता है। सीपीयू के मुख्य भाग है:एरिथमैटिक एवं वलॉजिक यूनिट (ALU)कंट्रोल यूनिट (CU)मेन मेमोरी या प्राइमरी मेमोरीएरिथमैटिक लॉजिक यूनिट ( ALU)सभी प्रकार की गणनाएँ एवं तुलनाएँ ALU में होती हैं। प्रोसेसिंग से पहले प्राइमरी मेमोरी में स्थित डाटा एवं निर्देश ALU में ट्रांसफर हो जाते हैं जहाँ प्रोसेसिंग का कार्य होता है।ALU में उत्पन्न परिणाम को प्राइमरी मेमोरी में ट्रांसफर कर दिया जाता है। प्रोसेसिंग समाप्त होने पर प्राइमरी मेमोरी में उपलब्ध अंतिम परिणामों को एक आउटपुट डिवाइस, जैसे प्रिंटर में भेज दिया जाता है।ALU में उत्पन्न four बेसिक ऐरिथमैटिक ऑपरेशन करने के लिए डिजाइन किया गया है। ये ऑपरेशन है: add (जोडना) Subtract (घटाना) multiply (गुणा करना) divide (भाग)। इसके अलावा लॉजिक ऑपरेशन या तुलना करना जैसे less then (छोटा है) Equal to (बराबर है) या greater than (बड़ा है) चित्र 2 में कम्प्यूटर सिस्टम के विभिन्न भागों को आम आदीमी की दृष्टि से समझाया गया है।इस चित्र में कैलकुलेटर सीपीयू को दर्शाती है एवं क्लॉक कम्प्यूटर के विभिन्न ऑपरेशनों के लिए नियत्रण का कार्य करती है। इनपुट एवं आउटपुट डिवाइसिस को की बोर्ड इनपुट एवं मॉनीटर आउटपुट के लिए दिखाया गया है।डिजिटल कम्प्यूटर के विभिन्न भागों का ऑर्गनाइजेेशन एवं उनके द्वारा किया जाने वाला कार्यकम्प्यूटर का काल्पनिक ऑर्गनाइजेशन जो प्रत्येक भाग द्वारा किए गए कार्यों का दर्शाता है।यह चित्र डिजिटल कम्प्यूटर काल्पनिक कार्य प्रणाली को दर्शाता है। चित्र 1 में प्रत्येक भाग द्वारा कि जाने वाले कार्यों को वास्तविक ब्लॉक डायग्राम के रूप में दर्शाया गया है।
M1 R4 कंट्रोल यूनिट (CU) Study Material in Hindi
इनपुट डिवाइस को यह कैसे मालूम पड़ता है कि अब सका स्टोरेज यूनिट में डाटा डालने का समय आ गया है? ALU को यह कैसे पता चलता है कि क बार जब डाटा उसके पास आता है तो उसे उस डाटा का क्या करना है? यह भी कैसे पता चलता है कि केवल तिम परिणाम को ही आउटपुट डिवाइस में भेजा जाना है। इंटरमीडियेट परिणामों को नहीं? यह सभी कुछ कम्प्यूटर सिस्टम के कंट्रोल यूनिट (CU) से ही संभव होता है। प्रोग्राम निर्देशों का चुनाव, उसका इंटरप्रिटेशन एवं एक्जीक्यूशन करने के साथ ही, कंट्रोल यूनिट पूरे कम्प्यूटर सिस्टम की कार्य प्रणाली को निर्देशित करने एवं आदेशों का पालन करने में सक्षम होता है। यद्दपि यह डाटा पर किसी तरह की प्रोसेसिंग नहीं करता है, फिर भी कंट्रोल यूनिट कम्यूटर के अन्य सभी भागों के लिए सेंट्रल नर्वस सिस्टम की तरह कार्य कता है। यह कम्प्यूटर सिस्टम द्वारा किए गए सभी कार्यों का समन्वयन करता है।कंट्रोल यूनिट मेन मेमोरी में स्टोर किए गए प्रोग्रामों से निर्देश प्राप्त करता है, उन निर्देशों को इंटरप्रिट करता है तथा इलेक्ट्रिकल सिग्नल उत्पन्न करता है जो सिस्टम की अन्य यूनिटों को उनके कार्यों को कपरने के लिए सक्रिय बनाते हैं।
M1 R4 मेमोरी Study Material Notes in Hindi
मेमोरी का कार्य सूचना को स्टोर करना होता है। मेन मेमोरी (प्राइमरी मेमोरी) तेज मेमोरी होती है। यह प्रोग्राम को डाटा के साथ स्टोर करती है, जिन्हें एक्जीक्यूट किया जाना है। यह सिस्टम सॉफ्टवेयर के आवश्यर प्रोग्रामों को भी स्टोर करता है जो यूजर के प्रोग्रामों को ऐक्जीक्यूट करने के लिए आवश्यक है। मेन मेमोरी में सीपीयू द्वारा डायरेक्ट ऐक्सेस होता है। सेमीकंडक्टर मेमोरी, RAM आदि को मेन मेमोरी की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इसमें रैंडम ऐक्सेस की विशेषता होती है, इसका ऐक्सेस समय बहुत कम होता है, करीब 50ns (नैनो सेकेंड) या इससे भी कम।
M1 R4 प्रोसेसर की स्पीड Study Material in Hindi
प्रोसेसर कम्प्यूटर सिस्टम की वह यूनिट हैं जो निर्देशों को इंटरप्रिट करके उन्हें एक्जीक्यूट करता हैं। माइक्रोप्रोसेसर कम्प्यूटर का दिल होता है। एक पीसी की कार्य क्षमता माइक्रोप्रोसेसर की क्षमता व स्पीड पर निर्भर होती है। माइक्रो प्रोसेसर की प्रोसेसिंग स्पीड को आमतार पर MIPS (मिलियन इंस्ट्रक्शन्स परसेकेंड) में मापा जाता है। MIPS की रेटिंग का प्रयोग, एक प्रोसेसर की इंटीजर कम्प्यूटेशन पर्फामेंस को स्पेसिफाई करने के लिए किया जाता है। फ्लोटिंग पॉइट कम्प्यूटेशन के लिए माइक्रोप्रोसेसर की प्रोसेसिंग स्पीड को MFLOPS (मिलियन्स ऑफ फ्लेटिग पॉइट इंस्ट्रक्शन्स पर सेकेंड) में मापा जाता है।एक माइक्रोप्रोसेसर, एक ही इंटीग्रेटेड चिप पर बने ऐरिथमैटिकल लॉजिकल एवं कंट्ल यूनिट्स का काँबिनेशन होता है। माइक्रोप्रोसेसर को एक कम्प्लीट पर्सनल कम्प्यूटर की तरह कारय् करने के लिए पॉवर सप्लाई क्लॉक सिस्टमस, एवम मेन मेमोरी की आवश्यकता होती है।माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग PC एवं वर्कस्टेशनों के अलावा अन्य कई डिजिटल डिवाइसिस में होता है। एक माइक्रोप्रोसेसर बाइनरी डिजिट 0 और 1 पर कार्य करता है। एक कम पॉवरफुल कम्प्यूटर से सीपीयू में एक ही माइक्रोप्रोसेसर हो सकता है। लेकिन बड़े साइज के वर्कस्टेशनों में कई सारे माइक्रोप्रोसेसर एक या एक से अधिक मदरबोर्डों पर हो सकते हैं। एक माइक्रोंप्रोसेसर के मुख्य भाग हैं:
ऐरिथमैटिक लॉजिकल यूनिट (ALU)
कंट्रोल यूनिट (CU)
प्रोसेसर निम्न बिंदुओं के आधार पर एक दूसरे से अलग अलग होते है:आर्कीटेक्चर: कैश मेमोरी की उपस्थिति एवं आकार, फ्लोटिंग पॉइंट मैथ कोप्रोसेसर का शामिल होना।एक बार में मैनीपुलेट के जाने वाले डाटा साइज: 16 बिट्स, 32 बिट्स या 64 बिट्स यहाँअ बिटं शब्द का अर्थ है बाइनरी डिजिटएक्सटर्नल बस का आकार, अर्थात् अन्य कंपननेट मे जाने वाले पाथ 8 अभरों को क साथ भेजा जा सकता है, जबकि 16 बिट बस के लिए, उसी डाटा का ट्रांसफर करने में Four अलग अलग ऑपरेशनों की आवश्यकता होगी।अधिकतम ऐड्रेसेबल मेमोरी, जो कम्प्यूटर पर इन्स्टॉल की जा सकने वाली मेमोरी के परिमाण को सीमित करती है।इंटर्नल एवं एक्सटर्नल क्लॉक फ्रीक्वेंसी अर्थात प्रोसेसर के स्वयं कार्य करने की स्पीड एवं इसके अन्य भागों के साथ कम्यूनिकेट करवाने की स्पीड।8 बिट वाला माइक्रोप्रोसेसरएक 8 बिट वाल माइक्रोप्रोसेसर एक समय में 8 बिट्स के कॉबिनेशन को हैंडल कर सकता है। ये बिट्स 0 और 1 को लेकर ही बनी होती हैं जैसे 10011000, 01110001 आदि। Intel 8085 सबसे अधिक लोकप्रिय 8 बिट वाला प्रोसेसर था। लेकिन अब इन प्रोसेसरों को पीछे छोड़ कर अधिक पॉवरफुल प्रोसेसर सामने आ गया है।16 बिट वाला माइक्रोप्रोसेसरएक 16 बिट माइक्रोप्रोसेसर 16 बिट्स एक बार में मैनीपुलेट करता है। अत: एकक 16 बिट वाले कम्प्यूटर का अर्थ है, इस कम्प्यूटर की वर्डवलंथ (Word length) 16 बिट्स है तथा प्रोसेसर एक बार में 16 बिट्स का डाटा मैनीपुलेट कर सकता है। Intel 80286 16 बिट्स वाले माइक्रोप्रोसेसर का उदाहरण है।32 बिट वाला माइक्रोप्रोसेसरजब हम क 32 बिट वाले कम्प्यूटर की बात करते हैं तो इसका अर्थ है इसकी वर्डलेंथ 32 बिट्स होती है। इसमें जिस प्रोसेसर का इस्तेमाल होता है वह 32 बिट वाला माइक्रोप्रोसेर पर आधारित कम्प्यूटर है। 64 बिट वाले माइक्रोप्रोसेसर अधिकतर सर्वरों, मिनीकम्प्यूटरों एवं हाई- एंड वर्क स्टेशनों में प्रयुक्त होते हैकैश मेमोरी कैश मेमोरी को सीपीयू और मेन मेमोरी के बिच में रखा जाता है। यह मेन मेमोरी की अपेक्ष काफी तेज होती है। अत: इसका ऐक्सेस टाइम मेन मेमोरी की अपेक्षा काफी कम होता है। कैश मेमोरी का ऐक्सेस टाणम 15 – 25 नैनों सेकेंड होता है जबकि मेन मेमोरी का 80 नैनों सेकेंड होता है। 1 नेनों सेकेंड = 10-9 सेकेंड) कैश मेमोरी में वो डाटा और निर्देश स्टोर के जाते है जिन्हें तुरंत ऐक्जीक्यूट किया जाना है। यह आम तौर पर मेन मेमौरी टाइम को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अत: कैश मेमोरी सिस्टम की ऑपरेटिंग रस्पीड को बढ़ाता है। कैश मेमोरी, मेन मेमोरी की अपेक्षा बहुत महँगी होती है। आर्थिक पहलुओं के आधार पर देखा जे तो कैश मेमोरी का साइज मेन मेमोरी से छोटा भी हेता है। कक्षत्री कभी कैश का प्रयोग केवल निर्देशों कौ स्टोर करने के लिए ही होता है। एक इसी तरह की कैश का प्रयोग 68020 प्रोसेसर में होता है। इसमें 256 बाइट निर्देश वाली कैश होती है जो निर्देशों को मेन मेमोरी से पहले से प्राप्त करने व उन्हें कैश में स्टोर करने की अनुमति देती है। ऐसा तब होता है जस समय सिस्टम बस खाली होती है। 68030 माइक्रोप्रोसेसर में 256 बाइट की निर्देश कैश और 256 बिट की डाटा कैश दोनों होती है।कैश के कार्य के ले इस्तेमाल होने वाली हाई स्पीड मेमोरी बहुत महँगी होती है, सले इसे कम्प्यूटर की मेन मेमोरी के लिए इस्तेमाल नही किया जाता है कैश कंट्रोलर द्वारा कैश मेमोरी में वह सूचना रखी जाती है जिसकी प्रोसेसर को अक्सर जरूरत पड़ती है। यह कैश कंट्रोलर हमेशा यह सुनिश्चित करता है कि अगले मेमोरी ऐक्सेस में प्रोसेसर द्वारा माँगा जाने वाला डाटा कैश मेमोरी में उपलब्ध रहे। इससे कम्प्यूटर की स्पीड काफी हद तक बढ़ जाती है क्योंकि यदि आवश्यक डाटा कैश मेमोरी में होता है, यह सीपीयू को बिना इंतजार के तुरंत भेज दिया जाता है। जब आवश्यक डाटा कैश में उपलब्ध रहता है तो से Hit कहा जाता है। एक Cache hit की स्थिति में प्रोसेसर तुरंत डाटा कैश लाइन में से डाटा पढ़ता है या उसमें लिखता है। ऐक्सेस का वह भाग जिसके परिणाम स्वरूप कैश हिट होता है, को हिट रेट कहा जाता है एवं यह कैश की इफेक्टिवनेस का मापक है।जब आवश्यक डाटा कैश मेमोरी में उपलब्ध न हो तो इसे miss कहा जाता है। एक cache miss की स्थिति में, अधिकांश कैश न्यू एट्री ऐलोकेट कर लेते हैं, जिसमें जस्ट मिस किया हुआ टैग होता है एवं मेमोरी से लाए गए डाटा की एक कॉपी होती है। इस रेफरेस को तब न्यू एंटी में ऐप्लाई किया जाता है जैसा कि hit के केस में हाता है। मिस तुलनात्मक रूप से धीमें होते हैं क्योंकि उन्हें मेन मेमोरी से ड़ाटा को ट्रांसफर करने की आवश्य पड़ती है। इस ट्रांसफर से देरी होती है। क्योंकि मेन मेमोरी कैश मेमोरी की अपेक्षा कापी धीमी होती है।कैश मेमोरी क बहुत हाई स्पीड मेमोरी होती है जो प्रोसेसर के अदंर बनी होती है एवं इसे मेन मेमोरी (Ram) तथा प्रोसेसर के बाच में प्रयोग किया जाता है।कैश का कार्य निम्न पर निर्भर होता है:कैश मेमोरी की स्पीड एवं साइजसीपीयू द्वारा पढ़े जाने वाले मेमोरी एरिया के चारों ओर के डाटा को पढ़ने के लिए प्रयोग होने वाला लॉजिकप्रोसेसर के द्वारा आवश्यक अगले डाटा का अनुमान लगाने के प्रयोग होने वाला लॉजिकअधिकांश नए माइक्रोप्रोसेसरों में कैश मेमोरी होती है जिसे सीपीयू चिप में ही जोड़ दिया जाता है ताकि प्रोसेस को र तेजी से किया जा सके। इन सीपीयू में भी, जिनमें बिल्ट इन इंटर्नल कैश होती है, आप एक्सटर्नल कैश मेमोरी जोड़ सकते हैं।
M1 R4 कैश के विभिन्न लेवल Study Material Notes in Hindi
स्टैंडर्ड PC में हमें लेवल 1 एवं लेवल 2 कैश के साथ प्रोसेसर मिलता है। कुछ प्रोसेसर जैसे इंटेल इटानियम (Intel Itanium) में तीन लेवल वाली बिल्ट इन (built-in) कैश होती है। लेकिन ये प्रोसेसर, खास तरह के सर्वर ऐप्लीकेशनस के लिए ही प्रयोग किए जाते हैं।लेवल 1 कैशलेवल 1 केश, वास्तविक प्रोसेसर कोर में बिल्ट इन रहती है। यह रैम का क हिस्सा होती है जो 8, 16, 20, 32, 64 या 128 किलो बाइट्स की साइज में होती है, जो रबाकी सीपीयू की तरह उसी क्लॉक फ्रीक्वेशी पर ही कारय् करती है। अत: प कह सकते हैं कि लेवल 1 कैश प्रोसेसर का ही एक भाग होता है।लेवल 1 कैश को इंटर्नल कैश या प्राइमरी कैश भी कहा जाता है क्योंकि यह माइक्रोप्रोसेसर वाली चिप का ही क भाग होती है।लेवल कैश को आम तौर पर दो सेक्शनों में बाँटा गया है, एक डाटा के लिए, दूसरा निर्देशों के लिए। उदाहण के लिए, एक ऐथलॉन प्रोसेसर में 32 KB की निर्देश कैश हो सकती है। यदि कैस डाटा और निर्देश दोनों के लिए कॉमन हो तो इसे क यूनीफाइड कैश कहा जाता है।लेवल कैश की मुख्य रूकावट है इसका साइज, क्योंकि यह कैश प्रोसेसर के अंदर के एक हिस्से के रूप में बनी जाती हैलेवल 2 कैश लेवल 2 कैश आमतौर पर बहुत बड़ी होती है (एवं यूनीफाइड) जैले 256, 512 या 1024 KB लैवल 2 कैश का काय् Rom में से छोड़े बड़े परिणाम वाले डाटा को लगातार पढ़ना होता है, जिससे लेवल कैश को उपल्ब्ध रहेंपारंपरिक तौर पर लेवल 2 कैश, प्र्ट साइड बस से जुड़ी होती है चित्र देखे
CPU Type
L2 cache
Pentium K5, K6Pentium ProPentium II, AthlonCeleron (Ist generation)Celeron (later gen), Pentium III, Athlon XP,Duron, Pentium 4
External, on the motherboardInternal, in the CPUExternal, in a module close to the CPUNoneInternal, in the CPU