Maxen Computer Education

M1 R4 Secondary Storage Devices Study Material in Hindi

M1 R4 Secondary Storage Devices Study Material in Hindi

M1 R4 Secondary Storage Devices Study Material in Hindi:- इस पोस्ट में आपकों मिलेगी सेकेंड्री स्टोरेज डिवाइसेस (Secondary Storage Devices) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे मैग्नेटिक डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, हार्ड डिस्क आदि के विषये में महत्वपूर्ण जानकारी।

M1 R4 सेकेंड्री स्टोरेज डिवाइसेस Study Material in Hindi

आप पीसी के मेन मेमोरी में डाटा को स्थाई रूप से स्टोर करके नहीं रख सकते हैं। सका पहला कारण है कि यह बहुत महँगी होती है और दूसरा कारण है कि इसके क्टेट्स, कम्प्यूटर के स्विच ऑफ होते ही नष्ट हो जाते हैं। अर्थात मेन मेमोरी डाटा और निर्देशों को केवल अस्थाई रूप से ही स्टोर करती है। इसले जो भी कार्य आपने कम्प्यूटर पर किया है उसे (स्थाई रूप से भविषय़ में इस्तेमाल के लिए) कम्प्यूटर बंद करने से पहले सेव करने या सुरभित करने के ले आप क फ्लॉपी डिस्क, कॉम्पैक्ट डिस्क एवं हार्ड डिस्क जैसे स्टोरेज माध्यम का प्रयोग करना पड़ता है।

M1 R4 Secondary Storage Devices Study Material in Hindi

मैग्नेटिक डिस्क

फ्लॉपी डिस्क

फ्लॉपी डिस्क जिसे डिस्क या डिस्केट भी कहा जाता है, एक रिमूवेबल स्टोरेज डिस्क है, जिसका उपयोग डाटा स्टोर करने के लिए होता है। इसे फ्लॉपी डिस्क इसले कहा जाता है क्योंकि डिस्क के प्लास्टिक आवरण के भीतर लगी गोलाकार फिल्म बहुत फ्लेक्सिबल होती है। आपको किसी भी महत्वपूर्ण सूचना की कॉपी हार्डडिस्क में फ्लॉपी में होती है। आपकों किसी भी महत्वपूर्ण सूचना की कॉपी हर्डडिस्क से फ्लॉपी में करनी चाहिए। इसे महत्वपूर्ण सूचना का बेकअप रखना कहा जाता है। यह वायरस द्वार टैंपर के जाने अथवा डिस्क फेल हो जाने की स्थिति में सूचना को नष्ट होने से बचाता है। आप फ्लॉपी का उपयोग डाटा को स्टोर करने तथा एक पीसी से दूसरे तक ले जाने में आसानी से कर सकते हैं। फ्लॉपी 3.5 की साइज में उपलब्ध होती हैं जिनकी क्षमता 1.44 मेगा बाइट या 2.88 मेगा बाइट होती हैफ्लॉपी डिस्क को प्रोजेक्ट करना: फ्लॉपी डिस्क में राइट Write) प्रोटेक्शन नॉच (notch) या टैब होता है जिसका उपयोग डाटा के अचानक इरेज हो जाने से रोकने के लिए होता है। फ्लॉपी डिस्क को हमेशा ताप, धूल, आद्रता, पानी एवं शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड से दूर रखना चाहिए। डिस्क के दिखने वाले क्षेत्र (फिल्म) को कभी हाथ से नहीं छूना चाहिए। प्रत्येक फ्लॉपी चडिस्क अपने स्वय़ं के सुरक्षा आवरण में ही रहती है। इस आवरण का अलग हिस्सा चिकना होता है जबकि पिछला हिस्सा रफ दिखाई पड़ता है। डिस्क के अगले ऊपरी हिस्से में एक लेबल चिपका रहता है जिससे डिस्क की पहचान की जा सके। आप एक Felt tipped पेन का प्रयोग, इस लेबल पर लिखने के ले कर सकते हैं जिससे प्रत्येक फ्लॉपी की अपनी पहचान बन सकेफ्लॉपी डिस्क को राइट प्रोटेक्ट (write protect) कैसे करें?: राइट प्रोटेक्शन का अर्थ है आप डिस्क पर ना तो कुछ लिख सकगते हैं और ना ही इस पर डाटा को मिटा सकते हैं। इससे गल्ती से नष्ट होने वाले महत्वपूर्ण डाटा को बचाने में मदद मिलती है। आप एक राइट प्रोटेक्टेड डिस्क को पढ़ सकते है। एक 3.5 की फ्लॉपी को राइट प्रोटेक्ट करने के लिए सबसे पहले आपकों ऊपरी कौने मं बने छेद, जिसमें एक स्लाइडिंग नॉच होता है, को ढूँढना पड़ता है। अब इस नॉच को स्लाइड करें जिससे आप छेद द्वार फ्लॉपी के आर पार देख सके। नॉच की इस स्थिति में फ्लॉपी राइट प्रोटेक्टेड होती है और कोई भी डिस्क के कंटेट को इरेज नहीं कर सकता है।डिस्केट की देखभाल: जिस डिस्केट का प्रयोग आप टेक्स्ट को स्टोर करने के लिए करते हैं, उसे विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। यदि आप इसके प्रति    सावधान नहीं हो तो इसमें स्टोर की गई सूचना के नष्ट होने का खतरहा हमेशा रहता है। अत: निम्न नियमों का पालन करे:जब आप फ्लॉपी का प्रयोग नहीं कर हे हों तो उन्हें उनके सुरक्षा आवरण में ही रखें।इन्हें मोड़े नहीं।इन्हें डिस्क ड्राइव में सावधानी पूर्वक इन्सर्ट करें जिससे लेबल वाली साइड ऊपर की ओर रहे।एनवलप की विंडो से दिखाई देने वाले डिस्केट के भाग को हाथ से ना छुएँ।फ्लॉपी को सूर्य की रोशनी, उच्च ताप अथवा शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड में खुला मत छोड़े।

M1 R4 हार्ड डिस्क Study Material Notes in Hindi

हार्ड डिस्क एक ऐसी डिवाइस है जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर डाटा को स्टोर करने के लिए होता है। हार्ड डिस्क में स्टोर किए गए डाटा को तेज गति से पुन: प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि यह क डायरेक्ट ऐक्सेस डिवाइस है। लेकिन फ्लॉपी, सीडी या जिप डिस्क की तरह आप हार्ड डिस्क को पीसी से आसानी से निकाल नहीं सकते हैं।हार्ड डिस्क ड्राइव की सरंचना: कई सारी डिस्कों या डिस्क प्लैटरों को एक एयर टाइट, डस्टप्रुफ केस में एक के ऊपर एक ढेर बनाकर रखने पर हार्ड डिस्क का निर्माण होता है। प्रत्येक प्लैटर एक पतली, गोलाकार धातु की प्लेट का बना होता है जिसके दोनों और मैग्नेटिक पदार्थ की कोटिंग होती है। आजकल के अधिकतर प्लैटर 3.5 डायमीटर क होते हैं। बड़ी हार्डडिस्कों का प्रयोग मेनफ्रेम कम्प्यूटर में और छोटी का पीसी तथा माइक्रोकम्प्यूटर में होता है। एक पीसी में 80 GB या अधिक क्षमता वाली हार्डडिस्क का प्रयोग होता है। सात या अधिक हार्ड डिस्क एक केद्रीय शॉफ्ट पर लगी होती है जो 2400 या इससे अधिक चक्कर प्रति मिनट की स्पीड से घूमता है। ये प्लैटर एक दूसरे से 1.5 इंच की दूरी पर रखे होते हैं। प्रत्येक प्लैटर की ऊपरी तथा निचली सतह होती है। प्रत्येक सतह का एक रीड/राइट हैड होता है जो एक मूवेबल आर्म (movable arm) के साथ जुड़ा रहता है। दो प्लैटर के बीच लगे आर्म दो रीड/राइट  हैड लेकर चलते हैं। अत: एक 6 प्लैटर वाली डिस्क को 12 हैड वाली डिस्क भी कहा जाता है।
Hard disk drive
Hard disk drive
हार्ड डिस्क की सभी डिस्क केद्रीय शॉप्ट के घमूने के साथ ही समान दिशा और समान गति से घूमती है। सबसे ऊपरी प्लेट की ऊपरी सतह और सबसे निचली प्लेट की निचली सतह को छोड़कर  प्रत्येक डिस्क की दोनों सतहों पर सूचनाएँ स्टोर रहती हैं। प्रत्येक डिस्क में कई अदृष्य कंसेंट्रिक सर्कल (संकेद्रित वृत) होते हैं जिन्हें ट्रैक कहा जाता है इन ट्रैकों को एक एक नंबर दिया जाता है। सबसे बाहरी ट्रैक का नंबर 0 होता है।अलग अलग प्लैटर पर लगें ट्रैकों का समूह जनका ट्रैक नंबर क ही होता है, एक सिलिंडर बनाते हैं। इस प्र्कार क डिस्क पैक, जिसमें 10 प्लै3टर होते हैं, में 18 रिकॉर्डिग सतहें होती है और इस तरह हर सिलिंडर में 18 ट्रैक होंगे।

M1 R4 Secondary Storage Devices Study Material in Hindi

प्रत्येक ट्रैक सैक्टरों में विभाजित होते हैं ध्यान रखें कि सैक्टोरों का साइज अलग अलग होता है। प्लैटर के केद्र के पस वाले सैक्टर, बाहरी किनारों के पास वाले सैक्टर बाहरी किनारों के पास वाले सैक्टोरं से छोटे होते हैं।यद्दपि सये सैक्टर साइज में अलग होते हैं फिर भी प्रतेयक में बराबर परिणाम का डाटा स्टोर होता है। इसका कारण है प्लैटर के केद्र ककी तरफ के सैक्टरों का घनत्व अधिक होता है जबकि किनारों के पास के सैक्टोरं का घनत्व कम होता है एक डिस्क को एक निश्चित ट्रैक तक पहुँचने के लिए लगने व्ले समय को लेटेसी टाइम कहा जाता है। रिकॉर्ड को पढने के ले लगने वाले समय को सीक टाइम कहा जाता है। लेटेसी टाइण व सीक टाइम दोनों को मिलाकर, कुल समय को क डिस,क पैक का ऐक्सेस टाइम कहा जाता है। स्टोरेज क्षमता: एक डिस्क पैक में जितनी अधिक सतहें होगी उसकी स्टोरेज क्षमता उतनी ही अधिक होगी। लेकिन डिस्क सिस्टम की स्टोरेज क्षमता सतह के प्रति इंच के ट्रैक एवं ट्रैक के प्रति इंच के बिटस पर भी निर्भर करती है। क डिस्क पैक में स्टोर की जा सकने वाली कुल बाइटस की संखया है:सिलिंडरों की संख्या x ट्रैक प्रति सिलिंडर x सैक्टर प्रति ट्रैक x बाइट्स प्रति सैक्टरस्टोर की जा सकने वाली बाइट्स की कुल संख्या की गणना इस प्रकार होती है:बाइट्स प्रति सैक्टर x सैक्टर प्रति सिलिंडर x की संख्या x हैड की संख्याउदाहरण के तौर पर एक हार्ड डिस्क में 14 हैड, 723 सिलिंडर, 51 सैक्टर हैं र प्रतेयक सैक्टर की 0.5 KB  की स्टोरेज क्षमता है। इसकी कुल स्टोरेज क्षमता है 258 MB जिसे निम्न प्रकार से कैलकुलेटर किया जाता है14 x 723 x 51 x 0.5 = 258,111.00KB=258 MBउदाहरण 1: एक डिस्क की प्रत्येक 12 रिकॉर्डिग सतहों पर मूवेबल हैड है। प्रत्येक सतह में 400 ट्रैक हैं। प्रत्येक ट्रैक में 16 ब्लॉक हैं। प्रत्येक ब्लॉक में 32 बिट्स वाले 28 वर्ड हैं। प्रत्येक डिस्क पैक की कुल स्टोरेज क्षमता कैल्कुलेटरउत्तर: रिकॉर्डिग सतरहों की संख्या = 12प्रति सतह पर ट्रैकों की संख्या          = 400प्रति ट्रैक में ब्लॉकों की सख्या          = 16प्रति ब्लॉक में वर्ड्स की संख्या        = 128प्रति वर्ड में बिट्स की संख्या         = 32अत: बिट्स में स्टोरेज क्षमता= (रिकार्डिग सतहों की संख्यै) x (प्रति सतह पर स्थित ट्रैकों की संख्या) x (प्रत्येक ट्रैक पर स्थित ब्लॉकों की संख्या) x (प्रत्येक ब्लॉक में वर्ड्स की संख्या) x (प्रत्येक वर्ड में बिट्स की संख्या)= 12 x 400 x 16 x 128 x 32 बिट्स== 37.5 x 220 बाइट्सडाटा को एक्सेस करना: डाटा घूमने वाली डिस्क सतह के ट्रैक पर रिकॉर्ड किया जाता है और इसे एक या एक से अधिक रीड / राइट हैड द्वारा पढा जाता है।मूविंग हैड सिस्टम की प्रत्येक डिस्क सतह पर क रीड / राइट हैड होता है और सभी हैड एक ऐक्सेस आर्म पर लगे होते हैं जिसे अंदर और बाहर मूव कराया जा सकता है। इसलिए इस सिस्टम में, प्रत्येक रीड/ राइट हैड, डिस्क की सतह पर हॉरीजँटल तरीके से मूव करता है और यह प्रत्येक ट्रैक को अलग अलग ऐक्सेस करता है। डिस्क पैक की प्रत्येक प्रयोग होने वाली सतह का अपना हैड होता है एवं सभी हैड एक साथ मूव करते हैं।कुछ डिस्क स्टोरेज डिवाइसिस में डिस्क पैक एक ही स्थान पर स्थाई रूप से फिक्स्ड रहता है जबकि कुछ अन्य में कुछ सेकैंड में एक पैक को तुरंत दूसरे से रिप्लेस कर दिया जाता है। इसलिए एक रिमूवेबल डिस्क पैक सिस्टम की स्टोरेज क्षमता काल्पनिक रूप से असीमित होती है क्योंकि इसमें दूसरी कंप्लीट डिवाइस खरीदने का भारी खर्च उठाए बिना ही स्टोरेज स्पेज को बढ़ाया जा सकता है।हार्ड डिस्क अधिक स्थाई, मजबूत और एक धूल रहित वातावरण के अंदर रखी होती है तथा इसके ट्रैकों और बिटस का घनत्व, फ्लॉपी डिस्क की पेक्षा अधिक सूचना स्टोर की जा सकती है एवं इसे फ्लॉपी डिस्क की अपेक्षा अधिक तेज गति से ऐक्सेस भी किया जा सकता है। इसका ऐक्सेस टाइम 202 ms से भी कम होता है।

M1 R4 Secondary Storage Devices Study Material in Hindi

ऑप्टिकल डिस्क

सीडी रॉम

यह ऑप्टिकल रीड ओनली मेमोरी है यह डिस्क एक रेजिन जैसे पॉली कॉर्बोनेट से बनी होती है। इस पर एक ऐसे पदार्थ की कोटिंग होती है जिस पर जब हाई इंटेसिटी लेजर किरणों को फोकस किया जाता है तो यह पनी रिप्लेक्टिंग प्रॉपर्टी को बदल लेती है। इसकी कोटिंग का पदार्थ काफी रिप्लेक्टिव होता है। इसमें आमतोर पर एल्यूमिनियम का प्रयोग होता है। हाई इंटेसिटी वाली लेजर किरणे क निशान के किनारे एक छोटा गड्ढा बना लेती हैं जो 1 को दर्शाती है एवं जिस सतह पर गड्ढा नहीं होता है उसे  land कहा जाता है और यह एक 0 को दर्शाता हैडाटा को पढ़ने के लिए इंटेसिटी वाली लेजपर किरण का प्रयोग किया जाता है। कुछ परिस्थितियों में अलग अलग लेजर किरणों का प्रयोग होता है, एक लिखने के लिए, और दूसरी पढ़ने के लिए। रिप्लेक्टेड लेजर को फोटोडायोड द्वारा, डाटा पढ़ने के लिए, सेस कर लिया जाता है। जैसे ही इसके रास्ते में एक गड्ढ़ा आता है, रिप्लेक्टेड लाइट की इंटेसिटी बदल जाती है। गडढा लाइट को फैला देता है जिससे फोटोडायोज को कम रिप्लेक्टेड होकर मिली है। लेकिन land से फोटोडायोड को पर्याप्त लाइट रिफ्लेक्ट होकर मिलती है। अत: डाटा को पढ़ने के उददेश्य से रिफ्लेक्टेड लाइट में होने वाले परिवर्तन को सेस करके उसे इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदला जाता है।
CD disk drive
CD disk drive
ऑप्टिकल डिस्क दो प्रकार की होती है, कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) या सीडी ROM एवं WORM (राइट वन्स एड रीड मैनी)  डिस्क।सीडी रॉम में डाटा को सीरियली स्टोर करने के लिए लंबे स्पाइरल ट्रैकों का प्रयोग होता है। ट्रैक समान आकार के ब्लॉकों में विभाजित होते हैं। एक सीडी रॉम डिस्क अलग अलग स्पीड से घूमती है जिससे लेजर द्वारा गडढों को एक कास्टेट लीनियर स्पीड से पढ़ा जा सकें। डिस्क की स्पीड इस तरह से एडजस्ट की जाती है ताकि ट्रैक, रीड/राइट हैड के नीचे से क कांस्टेट लीनियर वेलोसिटी के साथ निकले।सीडी रॉम रैंडम ऐक्सेस डाटा रिट्रीबल तथा डाटा इंडेक्सिंग प्रदान करती है। डिस्क की शेल्फ लाइफ 40 साल से अधिक होती है। सीडी रॉम 700 MB डाटा को स्टोर कर सकती है (करीब 800 फ्लॉपी)। जिससे यह क बेहतरीन माध्यम बनती है जिसमें बड़े परिमाण का डाटा. उच्च क्षमता का सॉफ्टवेयर जैसे इलेक्ट्रॉनिक रेफरेंस बुक्स, बिजनेस तथा मनोरंजक सॉफ्टवेयर आदि स्टोर किए जा सकते हैं।सीडी रॉम अधिक डॉक्यूमेंट्स अथवा (Databases) डाटा बेसों के लिए पेपर से बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें आप सूचना को अधिक सहजता से खोज सकते हैं तता उसे पुन: प्राप्त कर सकते हैसीडी रॉम ड्राइवर के महत्वपूर्ण पहलूसीडी रॉम के महत्वपूर्ण पहलू निम्न है:स्पीड रेटिंग (दुगुनी, चौगुनी या छ: गुनी), अर्थात अधिकतम स्पीड जिस पर यह डाटा ट्रांसफर करने में सक्षम होती है। जबकि पहली सिंगल स्पीड ड्राइव डाटा को 150  kbps की स्पीड से ट्रांसफर करती है, डबल स्पीड ड्राइव की की ट्रांसफर रेट 300 kbps होती है। इससे भी अधिक हेक्सा स्पीड (छ: गुनी) 900 Kbps  की रेट से डाटा ट्रांसफर करती है लेकिन बाजार में ज्यादा दिनों तक उपलब्ध नहीं रही। जो लोग सीडी आधारित डाटाबेस और ग्राफिक्स फाइलों का प्रयोग करते हैं, उनके लिए quad-speed ड्राइव (600 Kbps) ही सबसे अच्छी होती हैसीडी रॉम ड्राइव का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू ये है कि इसमें 15 फ्रेम प्रति सेकेड स्पीड एवं 320 x 200 रिजॉल्यूशन, जिसकी आवश्यकता वीडियों इंटेसिव एप्पीकेशनों में होती है, दोनों के साथ तालमेल बैठाने की क्षमता होती है।एक अन्य महत्वपूर्ण फैक्टर है ड्राइव का कंट्रोलर इंटरफेस। प्रदर्शन की दृष्टि से, एक एन्हांस्ड IDE और एक  SCSI सीडी रॉम ड्राइव में ज्यदा अंतर नहीं होता है लेकिन यदि आप ध्यान भविष्य के विस्तर पर हे तो आपकों  SCSI ड्राइव को चुनना चाहे जो कि एक ही कंट्रोलर कार्ड से सात डिवाइसिस को लिंक करने की क्षमता रखती है। यदि आप एक ही सीजी रॉम ड्राइव को एक से अधिक सिस्टमों पर प्रयोग करना चाहते है तो क एक्सटर्नल सीडी रॉम ड्राइव को एक रेड बुक कंप्लाएंट एनालॉग ऑडियों कनेक्टर से जुड़ा होना चाहिए और इस पर केबल होना चाहिए जो रेड बुक ऑडियों कनेक्टर को साउंड कार्ड से जोड़ सके। उसी प्रकार एक एक्सटर्नल ड्राइव को एनालॉग लाइन आउट RCa  कनेक्टर प्रदान करना चाहिए। दोनों कन्फ्रिग्रेशन यूजर को सीडी रॉम ड्राइव पर सीडी को प्ले करने की अनुमति देते हैं।आज स्टोरेज डिविस के रूप में सीडी रॉम की अधिकतम माँग केवल इसलिए नहीं है क्योंकि इसमें डाटा स्टोरेज क्षमता होती है बल्कि इसकी डयूरेबिलिटी पोर्टेबिलिटी लो रेप्लिकेशन प्राइम एवं लाँग लाइफ भी इसे खास बनाते हैं एक बार डिस्क पर डाटा इंप्रिंट हो जाए तो यह कई यूजर्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने के बाद भी वायरस द्वारा प्रभावित नहीं हो सकती है। यह धूल, फिंगरप्रिट, खरोंच अथवा मैगनेटिक फील्ड से भी प्रभावित नहीं होती है। चूँकि सीडी रॉम, रीड ओनली मेमोरी डिस्क है, अत: कोई भी गल्ती से इस डाटा को ना तो इरेज कर सकता है औ ना ही इस ओवर – राइट कर सकता है।

M1 R4 WORM डिस्क Study Material in Hindi

WORM का अर्थ है राइट वन्स रीड मैनी (Write Once Read Many)। WORM डिस्क यूजर को CD – R (सीडी – रिकॉर्डेबल) ड्राइव के इस्तेमाल से स्वयं की सीडी बनाने की अनुमति देती है। WORM डिस्क ऐसी CD होती है जिन्हें खाली (blank) खरीदा जाता  है और इसमें सीडी – R ड्राइव की मदद से लिखा जाता है।  WORM डिस्क में रिकॉर्ड की गी सूचना को किसी भी सामान्य सी-डी रॉम ड्राइव से पढ़ा जा सकता है। लेकिन इसमें डाटा केवल एक ही बार लिखा जाता सकता है। अर्थात क बार लिखे डाटा के ऊपर हम दोबारा कुछ नहीं लिख सकते हैं। इसकी अधिक क्षमता व परिवर्तन न कर पाने की विशेषता के कारण आजकल WORM  डिस्कों का प्रयोग अभिलेखों (archival) के संग्रह के ले अधिक लोकप्रिय हो रहा रहै।

M1 R4 डीवीडी (DVD) Study Material Notes in Hindi

डीवीडी का अर्थ है डिजिटल वीडियों डिस्क या डिजिटल वर्सटाइल डिस्क। डीवीडी सीडी रॉम डिस्क की अपेक्षा अधिक स्टोरेज क्षमता प्रदान करते हैं। डीवीडी ड्राइव के साथ इस्तेमाल होने वाली डिस्क का डायमीटर र मोटाई पारंपारिक के बाराबर होती है । सीडी की तरहह डीवीडी डिस्क भी धूल, गदगी एवं फिगंर प्रिट को टॉलरेट कर सकती है। डीवीजी डिस्क पर रखे डाटा में गडढे होते हैं जो सीजी रॉम डिस्कों की अपेक्षा छोटे और धिक पास पास रखे हेते हैं। इसी वजह से जीवीजडी, सीडी ड्राइव द्वारा पढ़ी नहीं जा सकती है। जीवीजी जिस्क, हार्ड वीजियों रिजॉल्यूशन वं हाई क्वालिटी की साउड प्रदान करते हैं।डीवीडी का प्रयोग ऑडियों एवं वीडियो एंटरटेनमेंट जैसे मूवीज, वीडियों गेम्स एवं इंटरैक्टिव जीवी, इंटरनेट ऐक्सेस तथा सॉफ्टवेयर ऐप्लीकेशन, जिनमें एक से धिक सीडी स्पेस की आवश्यकता होती है, के ले किया जाता है। डीवीडी रॉम आजकल 4.7 GB से लेकर 50 GB की क्षमता में उपलब्ध है।

M1 R4 मास स्टोरेज डिवाइसेज Study Material in Hindi

USB फ्लैश ड्राइव या पेन ड्राइव NAND टाइप की फ्लैश मेमोरी डाटा स्टोरेज डिवाइसेज होती है जो क USB (यूनीवर्सल सीरियल बस) इंटरफेस के साथ इंटीग्रेटेड होती है। ये बहुत छोटी हल्की, रिमूवेबल एवं रीराइटेबल होती है यह फ्लैश मैमोरी कार्ड होती है जो कम्प्यूटर के USB पोर्ट में प्लग इन कर दिया जाता है। यह इतनी छोटी होती है किसी की चेन में भी लगाई जा सकती है। यह एक छोटी डिस्क ड्रिव की तरह होता है और इससे डाटा को आसानी से एक मशीन में से दूसरी में ट्रांसफर किया जा सकता है। इसे फ्लैश ड्राइव , पेन ड्राइव, की चैन ड्राइव, की ड्राइव, USB key एवं मेमोरी ड्राइव भी कहा जाता है।
Pen drive disk
Pen drive disk
पेन ड्राइव के, अन्य पोर्टेबल स्टोरेज डिवाइस जैसे फ्लॉपी डिस्क आदि की तुलना में कई विशेष लाभ हैं ये लाभ इस प्रकार है:यह अधिक कॉम्पैक्ट, तेज, ज्यादा डाटा स्टोर करने वाली, अधिक विश्वसनीय क्योंकि इनमें कोई मूवबल पार्ट नहीं होता है एवं अधिक टिकाऊ होती हैं।यह USB मास स्टोरेज स्टैंडर्ड का प्रयोग करती है एवं इसे मॉडर्न ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे विंडोज, लाइनक्स, यूनिक्स आदि क सपोर्ट मिलता है।एक पेन ड्राइव में स्टोर किए गए डाटा को ऐक्सेस करने के लिए ड्राइव को कंप्यूटर में कनेक्ट किया जाना आवश्यक है। इसे कम्प्यूटर में बिल्ट इन USB होस्ट कंट्रोलर में प्लग इन किया जाता है पेन ड्राइव तभी ऐक्टिव होती है जब इन्हें USB कनेक्टशन में प्लग इन किया जाता है एवं ये उस कनेक्शन द्वारा दी गई सप्लाई से ही आवश्यक पॉवर ड्रा करती हैं।Life Our Facebook PageSee Also : O Level Study Material Notes Sample Model Practice Question Papers with AnswersO Level

Leave a Comment