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SSC CGL TIER 1 Bhartiya Nagrikta Citizenship Study Material in Hindi

SSC CGL TIER 1 Bhartiya Nagrikta Citizenship Study Material in Hindi

SSC CGL TIER 1 Bhartiya Nagrikta Citizenship Study Material in Hindi : नागरिकता ( Bhartiya Nagrikta Citizenship Study Material in Hindi)

भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान है। भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 कें अनुसार
निम्न में से किसी एक आधार पर नागरिकता प्राप्त की जा सकती है
 जन्म से (26 जनवरी, 1950 को या इसके बाद पैदा होने वाले व्यक्ति जन्म से ही भारत के नागरिक माने जाएँगे)
 वंश परम्परा द्वारा
 पंजीकरण द्वारा
 किसी क्षेत्र के भारत में समाहित हेने पर
 देशीयकरण द्वारा
भारतीय नागरिकता का अन्त निम्न प्रकार से हो सकता है
 नागरिकता का परित्याग करने से
 किसी अन्य देश की नागरिकता स्वीकार कर लेने पर
 सरकार द्वारा नागरिकता छीनने पर

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मौलिक अधिकार( Bhartiya Nagrikta Citizenship Study Material in Hindi)

मौलिक अधिकार वे अधिकार है, जो एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए अनिवार्य है। संविधान का भाग 3 ( अनुच्छेद 12 से 35 ) मौलिक अधिकारों की व्याख्य करता है। मौलिक अधिकार मूलत: सात थे , लेकिन सन् 1978 में 44 वें संविधान संशोधन द्वारा सम्पत्ति के अधिकार 19 (f) को हटा दिया गया भारतीय संविधान निम्नलिखित मौलिक अधिकारों की गारन्टी देता है

समानता का अधिकार ( Bhartiya Nagrikta Citizenship Study Material in Hindi)

  • कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद14) धर्म, जाति ,लिंग या जन्म स्थान के आधार पर राज्य द्वारा भेदभाव करने का निषेध (अनुच्धेद 15)।
  • सार्वजनिक नियुक्तियों के मामलो मे अवसरों की समानता (अनुच्छेद 16)।
    अश्पृश्यता का उन्मूलन (अनुच्छेद 17)
  • सैनिक तथा शैक्षिक उपाधियों के अलावा अन्य उपाधियों का अन्त (अनुच्छेद 18)

स्वतन्त्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19)SSC CGL TIER 1 Bhartiya Nagrikta Citizenship Study Material in Hindi

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19 (a) विचार तथा अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता ।
 19 (b) शान्तिपूर्वक बिना हथियारों के एकत्रित होने रल सभा करने की स्वतन्त्रता
 19 (c) संघ बनाने की स्वतन्त्रता
 19 (d) देश के किसी भी क्षेत्र में आवागमन की स्वतन्त्रता।
 19 (e) देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने और बसने की स्वतन्त्रता ( अपवाद जम्मू- कश्मीर)।
 19 (g) कोई भी व्यापार एवं जीविका चलाने की स्वतन्त्रता
 अपराध की सजा के विषय में संरक्षण (अनुच्छेद 20)
 प्राण व दैहिक स्वतन्त्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
 अनुच्छेद 21 (क) 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा क3 प्रावधान करता है यह अनुच्छेद 86वें संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 2002 में जोड़ा गया
 बन्दीकरण की अवस्था में संरक्षण (अनुच्छेद 22)

शोषण के विरुद्ध अधिकार (SSC CGL TIER 1 Bhartiya Nagrikta Citizenship Study Material in Hindi)

मानव के व्यापार और बन्धुआ मजदूरी का निषेध ( अनुच्छेद 23)।
 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को उघोगों, कारखानों और जोखिम भरे कार्यों में की मनाही (अनुच्छेद 24)
धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकारSSC CGL TIER 1 Bhartiya Nagrikta Citizenship Study Material in Hindi
 अन्त:करण की स्वतन्त्रता और धर्म को प्रदर्शित करने, आचरण और उसका प्रचार करने का अधिकार (अनुच्छेदन 25)।
 धार्मिक क्रियाकलापो के प्रवन्धन की स्वतन्त्रता (अनुच्छेच 26)
 किसी धर्म विशेष के बढावे के लिए चन्दा देने या न देने की स्वतन्त्रता (अनुच्छेद 27)।
 शिक्षण संस्थओं मे पूजा के धार्मिक अनुदेशों से उपस्थिति की मुक्ति (अनुच्छेद 28)
संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकारSSC CGL TIER 1 Bhartiya Nagrikta Citizenship Study Material in Hindi
 अल्पसंख्यकों की भाषा, लिपि या संस्कृति की रक्षा
 अल्पसंख्यकों द्वारा शैक्षिक संस्थाएँ स्थापित करने और उन्हैं संचालित करने का अधिकार।
 राज्य द्वारा स्थापित या राज्य कोष द्वारा सहायता प्राप्त किसी भी शैक्षिक संस्था में प्रवेश पाने पर मनाही का निषेध।
संवैधानिक उपचारों का अधिकारSSC CGL TIER 1 Bhartiya Nagrikta Citizenship Study Material in Hindi
अनुच्धेद 32 के अन्तर्गत उपरोक्त अधिकारों को लागू करने के लिए न्यायिक रिटों का प्रावधान है।
जो निम्न हैं
बन्दी प्रत्यक्षीकरण यह गलत तरीकें से बन्दीकरण के विरुद्ध जारी किया जाता है और बन्दी बनाए गए व्यक्ति को निर्दोष साबित होने पर छोड़ दिया जाता है। यह आपराधिक जुर्म के मामलों में जारी नही किया जा सकता
परमादेश यह उस समय जारी किया जाता है, जब कोई पदधिका4री अपने सार्वजनिक कर्त्तव्य का निर्वाह नही करता है।
प्रतिषेध यहल निचली अदालत को ऐसा कार्य करने से रोकता है जो उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
अधिकार पृच्छा यह एक व्यक्तिको एक जन कार्यालय में कार्य करने से मना करत3 हे जिसका उसे अधिकार नही हैं।
उत्प्रेषण यह तभी जार4 किया जात3 है जब एक अदालत या न्यायालय अपने न्याय क्षेत्र बाहर कार्य करता है। यह निषेध से अलग है और यह कार्य सम्पादित होने के बाद ही जारी किया जाता है
ड़ॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) को संविधान की आत्मा एवं हदय बताय़ा है
राज्य के नीति – निदेशक सिद्धान्त
भाग 4 ( अनुच्छेद 36 से 51) में राज्य के नीति- निदेशक सिद्धान्तों का प्रावधान किया गया हैं जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्यों में उचित और समान सामाजिक – आर्थिक व्यवस्था (एक कल्याणकारी राज्य) स्थापित की जा सके
अनुच्छेद 36 सामाजिक व्यवस्था की सुरक्षा और बचाव।
अनुच्छेद 37 न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नही परन्तु इन्हें लागू करना राज्य का कर्त्तव्य ।
अनुच्छेद 38 सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय व्यवस्था।
अनुच्छेद 39 समान न्याय, सभी नागरिकों के लिए आजीविका के पर्याप्त साधन उपलब्ध कराना और स्त्री तथा पुरुषों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित करना तथा धन का समान वितरण
अनुच्छेद 40 स्थानीय स्वशासन की इकाई के रुप में ग्राम पंचायतों का गठन।
अनुच्छेद 41 लोगों के लिए बेरोजगारी, वृद्धावस्था और रुग्णावस्था आदि की स्थिति में कार्य करने के अवसर, मजदूरी और जन सहायता।
अनुच्छेद 42 कार्य करने की मानवीय अवस्था और प्रसूति के दौरान आराम
अनुच्छेद 43 आजीविका, मजदूरी और जीवन के एक बेहतर स्तर का समर्थन तथा उघोगों के प्रबन्धन में मजदूरों के हिस्सा लेने के अधिकर का भी समर्थन।
अनुच्छेद 44 नागरिकों के लिए एकसमान नागरिक संहिता (सिविल कोड)
अनुच्छेद 45 नि:शुल्क और अनिवार्य प्राथिमक शिक्षा प्रदान करने का समर्थन
अनुच्छेद 46 कमजोर वर्गो के शैक्षित व आर्थिक कल्याण को बढाता है और उन्हें सामाजिक अन्याय से बचाना है।
अनुच्छेद 47 जन – स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए पोषक आहार के स्तर में और जीवन स्तर में वृद्धि करने का प्रयास
अनुच्छेद 48 कृषि और पशुपालन में आधुनिक विधियों की व्यवस्था
अनुच्छेद 49 ऐतिहासिक रुचि और राष्ट्रीय महत्त्व के सभी स्मारकों को सुरक्षित रखना
अनुच्छेद 50 न्यायपालिका का कार्रपालिका से पृथक्करण।
अनुच्छेद 51 अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और बन्धुत्व को बढावा देने का प्रयास

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