SSC CGL TIER 1 Biology Jeev Vigyan Study Material In Hindi
SSC CGL TIER 1 Biology Jeev Vigyan Study Material In Hindi
जीव विज्ञान
जीव विज्ञान (Biology), विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत जीवधारियों का अध्ययन किया जाता है। जीव विज्ञान (Biology) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम लैमार्क एवं ट्रेविरेनस ने (1801 ई.) में किया था। जन्तुओं का अध्ययन जन्तु विज्ञान (Zoology), पादपों का अध्ययन वनस्पति विज्ञान (Botany) तथा सूक्ष्मजीवों का अध्ययन सूक्ष्मजीव विज्ञान (Microbiology) के अन्तर्गत किया जाता है। अरस्तु को ‘जीव विज्ञान का जनक’ कहते हैं।
Know Zoology For SSC CGL TIER 1
जन्तु विज्ञान
Classification Of Animal Kingdom Study Material In Hindi
जीव-जगत का वर्गीकरण
कैरोलस लिनियस ने द्वीनाम नामकरण पद्धति को प्रतिपादित किया। इसके अनुसार, जीव का वैज्ञानिक नाम वंश तथा जाति से मिलकर बना होता है। जैसे लिनियस ने अपनी पुस्तक सिस्टेमा नेथुरी में महत्वपूर्ण जीवधारियों को पादप तथा जन्तु जगत में बाँटा, इसलिए उन्हें आधुनिक वर्गीकरण का पिता कहते हैं।
आर. एच. व्हिटेकर (1969) ने समस्त जीवों को पाँच जगतों—मोनेरा, प्रोटिस्टा, फन्जाई, प्लान्टी तथा एनिमेलिया में बाँटा।
मोनेरा (Monera) इस जगत के जीवों में संगठित केन्द्रक तथा कोशिकांगों का अभाव होता है। उदाहरण—जीवाणु, नील-हरित शैवाल, माइकोप्लाज्मा।
प्रोटिस्टा (Protista) इसमें एक कोशिकीय यूकैरियोटिक जीव रखे गए हैं। उदाहरण—एककोशिकीय शैवाल, प्रोटोजोआ, डायटम आदि।
फन्जाई (Fungi) ये विषमपोषी यूकैरियोटिक जीव हैं। इनकी कोशिका भित्ति काइटिन की बनी होती है। इनका शरीर कवक तन्तुओं का बना होता है। उदाहरण—यीस्ट, मशरुम, पेनिसिलियम।
प्लान्टी (Plantae) इस जगत में सेलुलोज की कोशिका भित्ति युक्त बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जीव रखे गए हैं, ये प्रकाश-संश्लेषण के लिए पर्णहरिम का प्रयोग करते हैं। इस जगत को थैलोफाइटा (शैवाल), ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा, अनावृतबीजी तथा आवृतबीजी में बाँटा गया है।
एनिमेलिया (Animalia) इस जगत में यूकैरियोटिक, बहुकोशिकीय और विषमपोषी जीवों को रखा गया है। इनकी कोशिकाओं में कोशिका भित्ति का अभाव होता है। इसे अकशेरुकी तथा कशेरुकी में बाँटा गया है।
विषाणु (Virus) अत्यन्त सूक्ष्म, पूर्ण परजीवी, न्यूक्लिओप्रोटीन के कण होते हैं, जो केवल जीवित कोशिका के अन्दर सक्रिय होते हैं। विषाणु की खोज इवानोवस्की ने 1892 ई. में तम्बाकू में की जिसका नाम था टोबैको मोजाइक वायरस।
जीवाणु (Bacteria) अतिसूक्ष्म, सरल, एक कोशिकीय, सर्वव्यापी, प्रोकैरियोटिक जीव हैं एवं इन जीवों को जीवाणु नाम एहरेनबर्ग द्वारा 1829 ई. में दिया गया। 1753 ई. में कैरोलस लिनियस ने द्विनाम पद्धति का जन्म दिया। इस पद्धति के अनुसार, प्रत्येक जीवधारी का नाम लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द वंशनाम (Generic Name) दूसरा शब्द जाति नाम (Species Name) होता है।
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