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SSC CGL TIER 1 Circulatory System Study Material In Hindi

SSC CGL TIER 1 Circulatory  System Study Material In Hindi

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परिसंचरण तन्त्र

SSC CGL TIER 1 Circulatory System Study Material In Hindi
SSC CGL TIER 1 Circulatory System Study Material In Hindi
  • रुधिर परिसंचरण तन्त्र की खोज विलियम हार्वे (1628) ने की थी।

परिसंचरण तन्त्र दो प्रकार का होता है

  1. खुला परिसंचरण तन्त्र (Open Circulatory System)   रुधिर ऊतकों व अंगों के सीधे सम्पर्क में रहता है। उदाहरण ऑर्थोपोडा तथा मोलस्का संघ के जन्तु।
  2. बन्द परिसंचरण तन्त्र (Close Circulatory System)   रुधिर ह्रदय, वाहिनियों तथा केशिकाओं में बहता है।

उदाहरण एनीलिडा संघ एवं कशेरुकी।

एकचक्रीय परिसंचरण (Single Circuit Circulation)   सरीसृपों, मत्स्य तथा उभयचर प्राणियों में पाया जाता है। मत्स्यों का ह्रदय द्वीकोष्ठीय होता है, इसमें एक अलिन्द तथा एक निलय होता है। उभयचरों का ह्रदय त्रिकोष्ठीय होता है, इसमें दो अलिन्द तथा एक निलय होता है। इन जन्तुओं में मिश्रित रुधिर वितरित होता है।

Double Circuit Circulation For SSC CGL TIER 1 

द्वीचक्रीय परिसंचरण

सरीसृपों पक्षियों तथा स्तनियों में पाया जाता है। इन प्राणियों में शुद्ध तथा अशुद्ध रुधिर पृथक् रहता है। ह्रदय के दाएँ भाग को सिस्टैमिक ह्रदय तथा बाएँ भाग को पल्मोनरी ह्रदय कहते हैं।

रुधिर वाहिनियाँ तीन प्रकार की होती हैं

  1. धमनियाँ (Arteries)   ये ह्रदय से रुधिर को शरीर के अंगों तक ले जाने वाली वाहिनियाँ हैं।
  2. शिराएँ (Veins)   ये अंगों से वापस ह्रदय को रुधिर ले जाने वाली वाहिनियाँ हैं।
  3. केशिकाएँ (Capillaries)   ये शिराओं तथा धमनियों को आपस में जोड़ने वाली वाहिनियाँ हैं।

Know Blood Stduy Material In Hindi

रुधिर

  • रुधिर तरल संयोजी ऊतक है। यह शरीर के भार का 7-8% होता है।
  • प्लाज्मा में बल, एब्युमिन, ग्लोब्युलिन, फाइब्रिनोजन तथा प्रोथ्रॉम्बिन प्रोटीन पाई जाती है।
  • लाल रुधिराणुओं में ऑक्सीजन वहन करने वाला श्वसन वर्णक हीमोग्लोबिन पाया जाता है।
  • लाल रुधिराणुओं का निर्माण भ्रूणावस्था में यकृत में तथा जन्म के पश्जात् लाल अस्थि मज्जा में होता है।
  • समतापी (Homeothermal) अर्थात् गर्म रुधिर वाले वे जन्तु हैं, जिनके शरीर का ताप वातावरण के ताप से प्रभावित नहीं होता है; जैसे—पक्षी तथा स्तनधारी।
  • असमतापी (Poikilothermal) अर्थात् शीत रुधिर वाले जन्तु वे जन्तु हैं, जिनके शरीर का ताप वातावरण के ताप से प्रभावित होता है, मत्स्य, उभयचर तथा सरीसृप।
  • रुधिर के थक्का बनने के दौरन होने वाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया—

थ्रॉम्बोप्लास्टिन + प्रोथ्रॉम्बिन + कैल्सियम = थ्रॉम्बिन

थ्रॉम्बिन + फाइब्रिनोजन = फाइब्रिन

फाइब्रिन + रुधिर रुधिराणु = रुधिर का थक्का

श्वेत रुधिराणु   रंगहीन केन्द्रक युक्त रुधिर कणिकाएँ हैं, जिनका औसत जीवन काल 12-15 दिन होता है।

इओसिनोफिल्स या एसिडोफिल्स कुल श्वेत रुधिराणुओं की 2-4% होती है। इनकी संख्या एलर्जी या कृर्मियों के संक्रमण के समय बढ़ जाती है।

बेसोफिल्स हिस्टेमिन, हिपेरिन तथा सेरोटोनिन स्त्रावित करते हैं। इनकी संख्या 0.5-2% होती है।

न्यूट्रोफिल्स भक्षकाणु श्वेत कणिकाएँ हैं। ये कुल श्वेत रुधिराणुओं का 60-70% होती हैं।

लिम्फोसाइट प्रतिरक्षियों का उत्पादन करने वाली अकणिकामय रुधिराणु है। ये 20-30% होती हैं।

मोनोसाइट जीवाणुओं का भक्षण करने वाली अकणिकामय रुधिराणु है।

रुधिर प्लेटलेट्स या थ्रोम्बोसाइट लाल अस्थि मज्जा में उपस्थित बड़े आकार की मैगाकैरियोटिक कोशिकाओं से टूटकर बनती है। ये रुधिर स्कन्दन में सहायक है।

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