SSC CGL TIER 1 Colloidal Solutions Study Material In Hindi
SSC CGL TIER 1 Colloidal Solutions Study Material In Hindi
कोलॉइडी विलयन
- ये विषमांगी मिश्रण होते हैं। इसमें दो प्रावस्थाएँ होती हैं अर्थात् परिक्षिप्त प्रावस्था (Dispersed phase) तथा परिक्षेपण माध्यम (Dispersion medium)।
- विलेय के कणों का आकार बड़ा होने के कारण, ये प्रकाश का प्रकीर्णन करते हैं अर्थात् ये टिण्डल प्रभाव तथा ब्राउनियन गति प्रदर्शित करते हैं।
- आकाश का नीला रंग भी, वायु में निलम्बित धूल के कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण होता है।
- इसके अवयवों को निस्यन्दन द्वारा (छानकर) पृथक नहीं किया जा सकता।
- कोलॉइडी विलयन के अवयवों को अपकेन्द्रण (Centrifugation) के द्वारा पृथक् किया जा सकता है।
Details of Colloidal Solutions For SSC CGL TIER 1
कोलॉइडी विलयनों का विवरण
परिक्षिप्त प्रावस्था | परिक्षेपण माध्यम | कोलॉइड का प्रकार | उदाहरण |
द्रव | गैस | ऐरोसॉल | कोहरा, बादल, कुहासा। |
ठोस | गैस | ऐरोसोल (ठोस) | धुँआ, वाहनों से निकला अपशिष्ट। |
गैस | द्रव | फॉम | शेविंग क्रीम। |
द्रव | द्रव | इमल्शन (पायस) | दूध, फेस क्रीम। |
ठोस | द्रव | सॉल | मैग्नीशिया मिल्क, कीचड़। |
गैस | ठोस | फॉम | फॉम, रबर स्पंज, प्यूमिस। |
द्रव | ठोस | जैल | जेली, पनीर, मक्खन। |
ठोस | ठोस | ठोस सॉल | रंगीन रत्न पत्थर, दूधिया काँच। |
- कोलॉइडी विलयन विद्युत-अपघट्य के द्वारा स्कन्दित (Coagulate) हो जाते हैं। स्कन्दन का प्रयोग, एलम (फिटकरी) द्वारा जल के शोधन, FeCl3 द्वारा रक्त को रोकने तथा समुद्र व नदी के मिलने के स्थान पर डेल्टा के निर्माण में होता है।
- इन्हें अपोहन (Dialysis) द्वारा शुद्ध किया जाता है। अपोहन का प्रयोग कृत्रिम यकृत मशीन की सहायता से रक्त (खून) को शुद्ध करने के लिए किया जाता है।
Know Centrifugation Study Material In Hindi
अपकेन्द्रण
- यह मिश्रण के अवयवों को पृथक करने की एक विधि है।
- यह इस सिद्धान्त पर आधारित है कि मिश्रण को तेजी से घुमाने पर भारी कण नीचे बैठ जाते हैं तथा हल्के कण सतह पर ही रहते हैं।
- इस विधि का प्रयोग प्रयोगशाला में खून व मूत्र (Urine) की जाँच के लिए, डेरी और घर में क्रीम से मक्खन निकालने के लिए तथा कपड़े धोने की मशीन में भीगे हुए कपड़ों से जल निचोड़ने के लिए किया जाता है।
Distillation For SSC CGL TIER 1
आसवन
- यह किसी मिश्रण में उपस्थित विभिन्न क्वथनांकों वाले अवयवों को पृथक करने की एक विधि है।
- इस विधि का प्रयोग ईथर तथा टॉलूईन, बेन्जीन तथा ऐनिलीन आदि के मिश्रणों को पृथक करने के लिए किया जाता है।
- इसमें दो प्रक्रम होते है वाष्पन तथा संघनन।
- इसका प्रयोग सामान्यत: दो द्रवों के मिश्रण को पृथक करने के लिए किया जाता है।
Fractional Distillation Study Material In Hindi
प्रभाजी आसवन
- इसका प्रयोग उन द्रवों को पृथक करने के लिए किया जाता है जिनके क्वथनांकों में बहुत कम अन्तर होता है।
- इसका प्रयोग कच्चे तेल या खनिज तेल से शुद्ध डीजल, पेट्रोल, कैरोसिन तेल, कोलतार आदि को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
- द्रवित वायु (Liquid Air) से विभिन्न गैसें भी इसी विधि द्वारा पृथक की जाती हैं।
- प्रभाजी आसवन का प्रयोग ऐसीटोन (329 K) तथा मेथिल एल्कोहॉल (338K) के मिश्रण को पृथक् करने के लिए किया जाता है।
Know Vacuum Distillation For SSC CGL TIER 1
निर्वात् आसवन
- इसे कम दाब आसवन भी कहा जाता है।
- इसका प्रयोग उन पदार्थों के लिए किया जाता है जो अपने क्वथनांक से कम ताप पर अपघटित हो जाते हैं।
- इसका प्रयोग ग्लिसरॉल व H2O2 को प्राप्त करने तथा गन्ना उद्योग में शर्करा के रस को सान्द्रित करने के लिए किया जाता है।
Steam Distillation Study Material In Hindi
भाप आसवन
- इसका प्रयोग भाप वाष्पशील यौगिकों को भाप अवाष्पशील यौगिकों से पृथक करने के लिए किया जाता है।
- इसका प्रयोग चन्दन की लकड़ी के तेल, टरपेन्टाइन तेल, ऐनिलीन, नाइट्रोबेन्जीन आदि के शोधन में किया जाता है।
- इस विधि के द्वारा विशेष रुप में उन पदार्थों का शुद्धिकरण करते हैं जो अपने क्वथनांक पर विघटित हो जाते हैं।
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