SSC CGL TIER 1 Krishi Agriculture Study Material in Hindi
SSC CGL TIER 1 Krishi Agriculture Study Material in Hindi
कृषि Agriculture (Krishi Agriculture study Material in Hindi)
- आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 के अनुसार, कुल जीडीपी में कृषि एवं उससे जुडे क्षेत्रों का योगदान 14.4% है। यह क्षेत्र कुल लगभग 52% लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है तथा देश के कुल निर्यात में इसका हिस्सा 10% से अधिक है।
- कृषि से प्रमुख उद्दोगों को कच्चा माल मिलता है। अमेरिका, रुस ओर चीन के पश्चात् भारत सकल उर्वरक उपभोग में विश्व में चौथा स्थान रखता है।
- दुग्ध उत्पादन में भारत विश्व में प्रथम स्थान रखता है।
- कृषि को उद्दोग का दर्जा देने वाला प्रथम राज्य महाराष्ट्र है।
- भारत में कृषि उत्पादन में पशुपालन उत्पाद का हिस्सा 26% है।
- पटसन का सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत है।
फसलों के प्रकार (Krishi Agriculture Study Material in Hindi)
भारत में फसले तीन प्रकार की हैं
रबी की फसलें गेहूँ, चना, जौ, सरसों, तोरिया, मटर।
प्रमुख खरीफ फसलें धार, ज्वार , बाजरा, मक्का, कपास, गन्ना, सोयाबीन, अरहर
जायद की फसलें मूंग, उडद, तरबूज, खरबूजा ,ककडी सुरजमुखी।
प्रमुख व्यापारिक फसले तिलहन, गन्ना, चुकन्दर, चाय, कपास, जूट, मेस्टा, कहवा, तम्बाकू, दलहन
हरित क्रान्ति (Krishi Agriculture Study Material in Hindi)
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इसका अर्थ आधुनिक कृषि तकनीकी द्वारा उन्नत बीजों , खाद सिचाई तथा जैवकीय प्रबन्द का कृषि क्षेत्र में प्रयोग करने से है।
इसकी शुरुआत सन् 1965-66 में हुइ। हरित क्रान्ति का विचार नॉरमन बोरलॉग ने दया था। भारत में हरित क्रान्ति को डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन ने सफल बनाया।
राष्ट्रीय कृषक आयोग राष्ट्रीय कृषक आयोग का गठन सन् 2004 में डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में किया गया था। आयोग का प्रमुख कार्य कृषि क्षेत्र की समस्यओं एवं किसानों की कृषि आगतों की अनुपस्थिति का पता लगाकर, कृषि क्षेत्र के विकास के लिए यथासम्भव उपायों का पता लगाना था ।
कृषि क्षेत्र की विभिन्न क्रान्तियाँ(Krishi Agriculture Study Material in Hindi)
क्रान्ति | सम्बन्धित क्षेत्र |
पीली क्रान्ति श्वेत क्रान्ति नीली क्रान्ति गुलाबी क्रान्ति ग्रे क्रान्ति सुनहरी क्रान्ति सिल्वर क्रान्ति भूरी क्रान्ति इन्द्रधनुषी क्रान्ति | तिलहन उत्पादन दुग्ध उत्पादन मछली उत्पादन झींगा उत्पादन ऊन उत्पादन बागवानी उत्पादन अण्डा एवं पोल्ट्री उत्पादन कोकोआ उत्पादन समग्र कृषि उत्पादन |
कृषि साख (Krishi Agriculture Study Material in Hindi)
- किसानों के ऋण हो स्त्रोतों संस्थागत एवं निजी क्षेत्रों से प्राप्त होता है। संस्थागत क्षेत्रों के तहत सहकारी समितियाँ और सहकारी बैकों वाणिज्यिक बैकों तथा नाबर्ड आदि द्वारा ऋण दिया जाता है जिसमें सर्वाधिक भागीदारी वाणिज्यिक बैंको की है
- असंस्थागत या निजी स्त्रोंतों के अन्तर्गत ऋण भूमिपतियों साहूकारों रिश्तेदारों आदि से लिया जाता है।
- प्राथमिक सहकारी समिति अल्पकालिक ऋण उपलब्ध कराती है। राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैक दीर्घकालिक ऋण उपलब्ध कराते है।
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको की स्थापना (20 अक्टूबर, 1975) में की गई थी।
- नाबार्ड की स्थापना जुलाई, 1982 में रु 100 करोड़ चुकता पूँजी के साथ की गई थी। इसका मुख्यालय मुम्बई में है। (शिवरामन समिति की अनुसंशा पर)
- नाबार्ड, पुनर्वित सुविधा प्रदान करने वाली एक ऐसी संस्था के रुप में कार्य करता है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में कृषिगत ऋण तथा उत्पादन बढाने के लिए ऋण प्रदान करती है।
अग्रणी बैंक योजना
क्षेत्रीय विकास पर आधारित इस योज्ना की शुरुआत सन् 1969 में डी. आर. गाडगिल तथा नरीमन समिति की सिफारिशों के आधार पर हुई थी। इस योजना के अन्तर्गत तत्कालीन 14 राष्ट्रीयकृत बैंको तथा कुछ निजी क्षेत्रो के बैंको को विशेष जिले बाँकर, उन्हें ऋण सम्बन्धी मामलों में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए कहा गया।