SSC CGL TIER 1 Magnetism Study Material In Hindi
SSC CGL TIER 1 Magnetism Study Material In Hindi
चुम्बकत्व
- प्राकृतिक चुम्बक लोहे का ऑक्साइड (Fe3o3) है।
- चुम्बक लोहे तथा अन्य पदार्थों का एक टुकड़ा होता है जो लोहे के पदार्थों को अपनी ओर आकर्षित करता है और लटकाने पर उत्तर तथा दक्षिण ध्रुव में ठहरता है।
- चुम्बक को क्षैतिज तल में स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाने पर उसका एक ध्रुव सदैव उत्तर की ओर तथा दूसरा सदैव दक्षिण की ओर ठहरता है। उत्तर की ओर ठहरने वाले ध्रुव को उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिण की ओर ठहरने वाले ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव कहते हैं।
- समान ध्रुव में प्रतिकर्षण एवं असमान ध्रुव में आकर्षण होता है।
- स्थायी चुम्बक इस्पात तथा अस्थायी चुम्बक नर्म लोहे का बनाया जाता है।
Know Magnetic Field For SSC CGL TIER 1
चुम्बकीय क्षेत्र
- चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें चुम्बक के प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है।
- चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र के लम्बवत् एकांक लम्बाई का ऐसा चालक तार रखा जाए जिसमें एकांक प्रबलता की धारा प्रवाहित हो रही है, तो चालक पर लगने वाला बल ही चुम्बकीय तीव्रता की माप होगी। इसका मात्रक न्यूटन-मीटर अथवा बेवर/मी2 या टेस्ला होता है।
चुम्बकीय पदार्थों का वर्गीकरण
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ | जस्ता, बिस्मथ, ताँबा, चाँदी, सोना, हीरा, नमक, जल आदि प्रतिचुम्बकीय पदार्थों के उदाहरण हैं। |
अनुचुम्बकीय पदार्थ | प्लेटिनम, क्रोमियम, सोडियम, एल्युमीनियम, ऑक्सीजन आदि अनुचुम्बकीय पदार्थों के उदाहरण हैं। |
लौह चुम्बकीय पदार्थ | लोहा, निकिल, कोबाल्ट, इस्पात लौह, फैरिक क्लोराइड का जलीय विलयन चुम्बकीय पदार्थों के उदाहरण हैं। |
क्यूरी ताप वह ताप है, जिसके ऊपर पदार्थ अनुचुम्बकीय तथा जिसके नीचे पदार्थ लौह चुम्बकीय होता है। लोहे एवं निकिल के लिए क्यूरी ताप क्रमश: 7700C तथा 3580 C होता है।
Cathode Rays Study Material In Hindi
कैथोड़ किरणें
- कैथोड़ किरणें केवल उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉनों के पुंज हैं।
- कैथोड़ किरणों की खोज सर विलियम कुक ने की।
- ये सीधी रेखा में चलती हैं तथा स्फुरदीप्ति उत्पन्न करती हैं।
- कैथोड़ किरणें पतली धातु की चादर से पार निकल जाती हैं।
- इनका वेग प्रकाश के वेग का 1/10 गुना होता है।
- ये किरणें विद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र में विक्षेपित होती हैं।
Know Positive Or Canal Rays SSC CGL TIER 1
धन किरणें या कैनाल किरणें
- इन किरणों की खोज गोल्डस्टीन ने की थी।
- धन किरणें धनावेशित कणों द्वारा बनी होती हैं।
- ये सीधी रेखा में गति करती हैं तथा चुम्बकीय व विद्युत क्षेत्र में विक्षेपित हो जाती हैं। ये गैसों को आयनीकृत कर देती हैं।
- डायोड वाल्व का प्रयोग दिष्टकारी के रुप में होता है अर्थात् इसके द्वारा प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदलते हैं।
- ट्रायोड वाल्व का प्रवर्धक दोलित्र प्रेसी एवं संसूचक की तरह प्रयोग करते हैं।
X-Rays Study Material In Hindi
X- किरणें
- X-किरणें विद्युत चुम्बकीय तरंगें होती हैं। इसकी तरंगदैर्ध्य परास 0.1 A0-100A0 तक होती है।
- X-किरणें की खोज रॉन्टजेन ने की थी।
- X-किरणें सीधी रेखा में चलती हैं।
- ये परावर्तन, अपवर्तन, व्यतिकरण, विवर्तन, ध्रुवण आदि घटनाओं को प्रदर्शित करती हैं।
- ये किरणें विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों में विक्षेपित नहीं होती हैं।
- अधिक समय तक पड़ने पर X-किरणें मानव शरीर के लिए हानिकारक होती हैं।
- X-किरणें प्रकाश विद्युत प्रभाव का प्रदर्शन करती हैं।
Uses Of X-Rays For SSC CGL TIER 1
X-किरणों के उपयोग
शल्य चिकित्सा में X-किरणों का उपयोग मानव शरीर के भीतर टूटी हुई हड्डी, धँसी हुई गोली, पथरी आदि का पता लगाने में किया जाता है।
रेडियोग्राफी में X-किरणों द्वारा कुछ रोगों का उपचार किया जाता है। कैंसर में शरीर के उस भाग पर X-किरणें डालने से रुग्ण सेल नष्ट हो जाते हैं।
जासूसी में X-किरणों की सहायता से शरीर के अन्दर किसी मूल्यवान वस्तु का पता लगाया जा सकता है।
इन्जीनियरिंग में X-किरणों का उपयोग भवन अथवा पुलों में लगे लोहे के शहतीरों के भीतर उपस्थित दरार, वायु के बुलबुले आदि का पता लगाने में किया जाता है।
व्यवसाय में X-किरणों का उपयोग वास्तविक व कृत्रिम हीरे में अन्तर करने, सीप के मोती का पता लगाने आदि में किया जाता है।
SSC CGL Study Material Sample Model Solved Practice Question Paper with Answers