SSC CGL TIER 1 Nyay Palika Judiciary Study Material in Hindi
न्यायपालिका judiciary(Nyay Palika Judiciary Study Material in Hindi)
SSC CGL TIER 1 Nyay Palika Judiciary Study Material in Hindi
संघीय शासन व्यवस्था मे सरकार की शक्तियाँ न केवल सरकार तथा नागरिकों के बीच विभाजित होती है अपितु वे दो प्राकर की सरकारों (केन्द तथा राज्य) के मध्य भी विभाजित रहती है। एसी राजनीतिक व्यवस्थ3 में एक स्वतन्त्र न्यायपालिका की आवश्यकता अति अनिवार्य हो रजाती है। भारतीय सविधान के निर्माण, जोकि लोकतन्त्र के सुदृढीकरण के प्रति चिन्तित थे एक स्वतन्त्र एवं मजबूत न्यायपालिका के प्रति वचनबद्ध थे। उन्होने अंग्रेजी औपनिवेशिक प्रशासन की एंग्लो-सैक्शन विधिशास्त्र पर आधाररित न्याय व्यवस्था में कुछ परिवर्तन करके इसे भारतीय न्यायपालिका का रुप दिया, जिसके शीर्ष पर संघीय अधवा उच्चतम न्यायालय विरारजमान है।
सर्वोच्च न्यायलय Supreme Court(Supreme court in Judiciary Study Material in Hindi)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत भारत में सर्वोच्च न्यायलय की स्थापना की गई है।
न्यायाधीशों की संख्या
वर्तमान में, मुख्य न्यायाधीश तथा 30 अन्य न्यायधीशों को मिलाकर सर्वोच्च न्यायाल्य का गठन किया गया है। संसद को अधिका है कि वह न्यायाधीशों की संख्या को निश्चित करे
न्यायाधीशों की योग्यताएँ
- भारत का नागरिक हो
- किसी उच्च न्यायलय में अथवा दो या दो से अधिक न्यायालयों मे लगातार कम से कम 5 वर्षो तक न्यायाधीश के पद पर रह चुका हो या किसी उच्च न्यायलय में कम से कम 10 वर्ष तक अधिवक्ता रहा हो या राष्ट्रपति की दृष्टि में विधि का विव्दान हो।
न्यायाधीशों की नियुक्ति
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश तथा अन्य चार वरिष्ठतम न्याधीशों के समुह के परामर्श द्वारा
न्यायाधीशों के वेतन एवं भत्ते
संसद द्वारा निर्धारित वेतन व भत्ते एवं भारत की संचित विधि से प्राप्त होता है।
कार्यकाल व महाभियोग
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की कार्यवधि निर्धारित नहीं हैं परनतु उनके अवकाश ग्रहण करने की अधिकतम आयु 65 वर्ष तक होती है। इसके अतिरिक्त वह राष्ट्रपति को सम्बोधित कर अपना इस्तीफा दे सकता है।
सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीशों को केवल
- प्रमाणित कदाचार
- शाररीरिक व मानसिक असमर्थता के आधार पर संसद के प्रत्येक सदन द्वारा पारित महाभियोग प्रस्ताव के माध्यम से हटाया जा सकता है (अनुच्छेद 124 (4))
भारतीय संविधान के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय के पास तीन क्षेत्राधिकार है- प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार (अनुच्छेद 131), अपीलीय क्षेत्राधिकार (अनुच्छेद 132), परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार (अनुच्छेद 143)
Back to Index Link SSC CGL Study Material
Back to Index : SSC CGL Study Material Sample Model Solved Practice Question Paper with Answers
न्यायिक पुनर्विलोकन
उच्चतम न्यायालय को संसद या विधानमण्डलो द्वारा पारित किसी अधिनियम तथा कार्रयपालिका द्वारा दिए गए किसी आदेश की वैधानिकता का पुनर्विलोकन करने का अधिकार है।
अन्तरण का क्षेत्राधिकार
उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों में लम्बित मामलों को अने यहाँ अन्तरित कर सकता है तथा किसी उच्च न्यायलय में लम्बित मामलों को दूसरे उच्च न्यायालय मे अन्तरित कर सकता है।
स्मरणीय तथ्य
- सर्वोच्च न्यायालय का प्रथम मुख्य न्यायधीश- हिरालाल जे कानिया
- वर्तमान मुख्य न्यायधीश –पी सदाशिवम्
- सर्वोच्च न्यायलय की प्रथम महिला मुख्य न्यायाधीश –मीरा साहिब फातिमा बीबी
- जनहित याचिका की शुरुआत करने वाले मुख्य न्यायामूर्ति – नानी पालकीवाला