SSC CGL TIER 1 Sanghiya Karya Palika Union Executive Study Material in Hindi
SSC CGL TIER 1 Sanghiya Karya Palika Union Executive Study Material in Hindi
संघीय कार्यपालिका Union Executive (Sanghiya Karya Palika Union Executive Study Material in Hindi): भारतीय संविधान के भाग-V के अध्याय-1 (अनुच्छेध 52-78 तक) के अधीन संघीय कार्यपालिका का उल्लेख किरया गया है। भारत संघ की कार्यपालिका राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मन्त्रिपरिषद तथा महान्यायवादी से मिलकर बनती है। अनुच्छेद 73 के अनुसार, संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उन विषयों तक होग , जिनके सम्बन्ध में संसद कानून बना सकती है और उन समस्त अधिकारों के प्रयोग तक होगा जो किसी अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि या समझोते के आधार पर भारत सरकार को प्राप्त होगी।
राष्ट्रपति President ((Sanghiya Karya Palika Union Executive Study Material in Hindi)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 52 में राष्ट्रपति पद का प्रावधान किया गया केन्द की समस्त कार्यपालिका शक्तियाँ उसमें निहित होती है वह भारत का प्रथम नागरिक होता है।
अनिवार्य योग्यताएँ
वह भारत का नागरिक हो
उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो।
लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो
भारत या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर आसीन न हो
निर्वाचन(SSC CGL TIER 1 Sanghiya Karya Palika Union Executive Study Material in Hindi)
राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए निर्वाचक मण्डल के 50 सदस्य प्रस्तावक के रुप में तथा 50 सदस्य अनुमोदक के रुप मे आवशयक माने जाते है
राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में लोकसभा, राज्यसभा तथा राज्यों व संघीय क्षेत्रों की विधानसभाओं के केवल निर्वाचित सदस्य राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य तथा राज्य विधानपरिषदों के सदस्य शामिल नही किए जाते राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रुप से एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा समानुपाति प्रणाली के आधार पर होता है।
मतदान गुप्त मतपत्र द्वारा होता है और चुनाव में सफलता प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार को न्यूनतम कोटा प्राप्त होना आवश्यक होता है
न्यूनतम कोट = दिए गए मतों की संख्या, राष्ट्रपति पद हेतु प्रयाशियों की संख्या
निर्वाचक के मत का मूल्य
राष्ट्रपतिं पद पर निर्वाचित घोषित होने के लिए वैध मतो की संख्या 50% से अधिक होनी चाहिए
राष्ट्रपति चुनाव के विषय में यदि कोई विवाद उत्पन्न हो, तो केवल सर्वोच्च न्यायलय को ही इस मामले मे हस्तक्षेप का अधिकार है।
एक निर्वाचित विधानसभा के सदस्य के मत का मूल्य राज्य की कुल जनसंख्या 1 है तो राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की संख्या 1000
एक संसद सदस्य के मत का मूल्य
सभी राज्यों के विधायकों के मतों का कुल मूल्य
संसद के दोनो सदनों के निर्वाचित सदस्यों की संख्या
कार्य व शक्तियाँ(SSC CGL TIER 1 Sanghiya Karya Palika Union Executive Study Material in Hindi
कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियों में महत्त्वपूर्ण अधिकारियों की नियुक्ति व पदच्युति, शासन संचालन सम्बन्धी शक्ति सैनिक क्षेत्र में शक्ति इत्यादि
विधायी शक्तियों में विधायी क्षेत्रों का प्रशासन, सदस्यों का मनोनयन , अध्यादेश जारी करने की शक्ति आदि।
संकटकालीन शक्तियों में आपातकालीन शक्तियाँ
राष्ट्रपति पद की रिक्ति को छ: महीने के अन्दर भरना होता है।
पद त्याग( Sanghiya Karya Palika Union Executive Study Material in Hindi)
राष्ट्रपति निम्न दशाओं में पाँच वर्ष से पहले भी पद त्याग कर सकता है
उपराष्ट्रपति को सम्बोधित अपने त्यागपत्र द्वारा
महाभियोग द्वारा हटाए जाने पर (अनुच्छेद 56 एवं 61)
भारत के स्वतन्त्रता के बाद के राष्ट्रपति
- ड़ॉ. राजेन्द्र प्रसाद
- डॉ. राधाकृष्णन्
- डॉ. जाकिर हुसैन
- वी. वी. गिरि (कार्यवाहक)
- एम. हिदायतुल्ला
- वी. वी. गिरि
- फखरुददीन अली अहमद
- बी. डी. जत्ती (कार्यवाहक)
- नीलम संजीव रेड्डी
- ज्ञानी जैलसिंह
- आर. वेंकट रमन
- डॉ. शंकर दयाल शर्मा
- के. आर. नारायणन
- डॉ. ए पी. जे. अब्दुल कलाम
- प्रतिभा देवीसिंह पाटिल
- प्रणब मुखर्जी
राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश की उपस्थिति में शपथ लेता है तथा मुख्य न्यायधीश की अनुपस्थिति में सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश की उपस्थिति में।
राष्ट्रपति का वेतन संचित निधि पर भारित तथा आयकर से मुक्त होता है।
वह अपना त्याग – पत्र उपराष्ट्रपति को सौप सकता है।
राष्ट्रपति की वीटो (निषेधाधिकार) शक्तियॉँ
भारत के राष्ट्रपति को तीन प्रकार की वीटो शक्ति प्राप्त हैं
- अत्यन्तिक वीटो
- निलम्बनकारी वीटो
- जेबी वीटो
विवादास्पद भारतीय डाक (संशोधन ) विधेयक, 1986 के सम्बन्ध में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिह द्वारा जेबी वीटों का प्ररयोग किया गया। भारत में किसी राष्ट्रपति द्वारा जेबी वीटो का यह प्रथम प्रयोग था।
महाभियोग (अनुच्छेद 61)
राष्ट्रपति को उसकी पदावधि की समाप्ति के पूर्व संविधान के उल्लंघन के आरोप में महाभियोग लगाकर पदमुक्त किया जा सकता है। संसद के किसी भी सदन में महाभियोग की प्रक्रिया 14 दिन की पूर्व सूचना के साथ शुरु की जा सकती है। बशर्ते उस सदन के एक चौथाई सदस्य लिखित प्रस्ताव द्वार सहमति व्यक्त करें। आरोपों का अन्वेषण अनिवार्य रुप से किया जाना चाहिए इस दौरा राष्ट्रपति को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अधिकार है। यदि संसद के दोनों सदन दो – तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर देते है, तो राष्ट्रपति को पदमुक्त किया जा सकता है।
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