SSC CGL TIER 1 Udyog Industry Study Material in Hindi
SSC CGL TIER 1 Udyog Industry Study Material in Hindi
उद्दोग Industry (Udyog Industry Study Material in Hindi)
- भारत में सर्वप्रथम औद्दोगिक नीति की घोषणा 6 अप्रैल, 1948 में की गई थी। इसमें सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र दोनों के महत्व को स्वीकार किया गया परन्तु मूल उद्दोगों के विकास का दायित्व सार्वजनिक क्षेत्रों को सौपा गया
- दूसरी औद्दोगिक नीति सन् 1956 में घोषित की गई। इसे भारत का आर्थिक संविधान कहा गया। इस नीति में सार्वजनक क्षेत्र द्वारा अर्स्थव्यवस्था के विकास पर जोर दिया गया
- सन् 1956 की औद्दोगिक नीति में देश में समाजवादी प्रारुप स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
- सन् 1991 की औद्दोगिक नीति में अर्थव्यवस्था में बडे पैमाने पर परिवर्तन किए जाने की घोषणा की गई। इसमें लाइसेन्सी राज को समाप्त करने के लिए विशेष प्रयास किए गए तथा कुछ विशेष क्षेत्रों को छोडकर औद्दोगिक लाइसेन्स लेने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया।
लाइसेन्स की अनिवार्यता वाले उद्दोग
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- इलेक्ट्राँनिक, एयरोस्पेस तथा सभी प्राकर के रक्षा उपकरण
- एल्कोहॉल युक्त पेयों का आसवन तथा शराब बनाना
- सिगार, सिगरेट तथा तम्बाकू से निर्मित अन्य उत्पाद
- माचिसों सहित औद्दोगिक विस्फोटक सामग्री
- खतरनाक रसायन
महारत्न कम्पनियाँ (Udyog Industry Study Material in Hindi)
- भरतीय तेल निगम (IOC)
- तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC)
- कोल इण्डिया लिमिटेड (CIL
- भारतीयइस्पात प्राधिकरण (SAIL)
- राष्ट्रीय ताप विद्दुत निगम (NTPC)
- भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL)
- भारतीय गेस प्रधिकरण लिमिटेड (GAIL )
नवरत्न कम्पनियाँ (Udyog Industry Study Material in Hindi)
- पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC)
- भारतीय नौवहन निगम (SCI)
- ऑयल इण्डिया लिमिटेड (OIL)
- निवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन (NLC)
- भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BEL
- हिन्दुस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड (BPCL)
- पावर ग्रिड कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड (MTNL)
- राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (HAL)
- ग्रामीण विद्दुतीकरण निगम लिमिटेड (PGCIL)
- नेशनल एल्युमीनियम कम्पनी (NMDC)
- राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RECL)
- कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड (NALCO)
वर्तमान में निम्न दो क्षेत्रों को सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित किया गया है
- परमाणु ऊर्जा
- रेल परिवहन
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को वाणिज्यिक एवं प्रबन्धन की स्वायत्तता देने के लिए नवरत्न एवं निनीरत्न की संकल्पना सन् 1997 में शुरु की गई थी।
- महारत्न का दर्जा प्राप्त करने के लिए निन्म मापदण्ड निर्धारित किए गए है
- नवरत्न का दर्जा प्राप्त होना चाहिये
- भारतीय शेयर बाजार मे सूचीबद्ध होना चाहिए
- कम्पनी का औसत कारोबार , पिछले 3 वर्षो में रु 20000 करोड से अधिक होना चाहिए
- कम्पनी का निवल मूल्य पछले 3 वर्षो में रु 10000 करोड़ से अधिक हो
- पिछले तीन वर्षो में कम्पनी का वार्षिक शुद्ध लाभ रु 2500 करोड़ से अधिक हो।
- कम्पनी की उपस्थिति विश्व स्तर पर होनी चाहिए
देश में पहला लौह इस्पातद कारखाना सन् 1874 में कुल्टी (पश्चिम वंग) मामक स्थान पर तथा सबसे पहला बड़े पैमाने का कारखाना सन् च1970 में तत्कालीन बिहार राज्य में स्वर्ण रेखा नदी घाटी साकची नामक स्थान पर जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित किया गया था।
लघु उद्दोग (SSC CGL TIER 1 Udyog Industry Study Material in Hindi)
औद्दोगिक नीति में सन् 1977में पहली बार लघु उद्दोगों को प्रोत्साहित करने की घोषणा की घई
- सरकार ने 2 अक्टूबर , 2006 में सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्दम विकास अधिनियम (MSMED) बनाया।
- लघु उद्दोगों के विकास के लिए आबिद हुसैन समिति का गठन किया गया था
- हथकरघा क्षेत्र के विकास के लिए मीरा सेठ समिति का गठन किय गया था।
- देश का पहला वस्त्र पार्क तिरुपुर (तमिलनाडु) में स्थापित किया गया है।
निजीकृत की गई सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियाँ (Udyog Industry Study Material in Hindi)
सार्वजनिक कम्पनी | निजी क्षेत्र की जिस कम्पनी को बेचा गया |
| हिन्दुस्तान लीवर लिमिटेड स्टरलाइट इण्डस्ट्रीज टाटा सन्स एचएफसीएल टाटा समूह की पैनाटोन फिनवैस्ट भारतीय तेल निगम जुआरी मारोक फॉस्फेट्स प्राइवेट लिमिटेड |
विनिर्माण क्षेत्र के उद्दमों का वर्गीकरण (Udyog Industry Study Material in Hindi)
उद्दम | स्थापित करने में लगा धन |
सुक्ष्य उद्दोग लघु उद्दोग मध्यम उद्दोग | रु. 25 लाख तक रु. 25 लाख से 2 करोड़ तक रु. 5 करोड़ से 10 करोड़ तक |
सेवा क्षेत्र के उद्दमों का वर्गी करण
उद्दम | स्थापित करने में लाग धन |
सुक्ष्म उद्दोग लघु उद्दोग मध्यम उद्दोग | रु. 10 लाख तक रु. 10 लाख से 2 करोड़ तक रु. 2 करोड़ से 5 करोड तक |
राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (Udyog Industry Study Material in Hindi)
- 4 नवम्बर, 2011 को सरकार ने राष्ट्रीय विनिर्माण नीति जारी की थी इस नीति के प्रमुख उददेश्य निम्न हैं
- मध्यम अवधि में 12-14% तक विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि बढाना।
- 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद का कम –से कम 25% का योगगान देने के लिए करना।
- 2022 तक विनिर्माण क्षेत्र द्वारा 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार सृजित करना।
- विनिर्माण में आसान अभिकलन हेतु ग्रामीण प्रवासी तथा शहरी गरीबों के बीच उपयुक्त कौशल संघ का सृजन करना।
सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात कारखाने
स्थान | तथ्य |
राउरकेला (ओडिशा)
| दितीय पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत जर्मनी के सहायता से स्थापित किया गया। सन् 1959 में उत्पादन शुरु हुआ। |
भिलाई (मध्य प्रदेश ) | दितीय पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत रुस की सहयता से स्थापित किया गया। सन् 1959 में उत्पादन शुरु हुआ |
दुर्गापुर (पश्चिम बंग) | दितीय पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत ब्रिटेन की सहायत से स्थापित किया गया। सन् 1962 में उत्पादन शुरु हुआ। |
बोकारो (झारखण्ड) | एशिया का सबसे बड़ा संयन्त्र। इसे तृतीय पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत अन्तर्गत रुस की सहायता से स्थापित किया गया । 1973 में उत्पादन आरम्भ हुआ। |
बर्नपुर (पश्चिम बंग) | निजी क्षेत्र संयन्त्र के राष्ट्रीयकरण द्वारा अधिगृहीत यह संयन्त्र रुस की सहायता से स्थापित हुआ। |
विशाखापत्तनम (आन्ध्र प्रदेश) | चौथी पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत रु. 2256 करोड़ की सरकारी लागत से रुस की सहायता से स्थापित किया गया। |
भारत के तेलशोधक कारखाने (Udyog Industry Study Material in Hindi)
क्र.स. | कम्पनी की नाम | तेलशोधन का स्थल |
सार्वजनिक क्षेत्र इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड | गुवाहाटी, बरौनी, कोयली हल्दिया, मथुरा, डिग्बोई, |