SSC CGL TIER 1 Varsha Rain Study Material In Hindi
SSC CGL TIER 1 Varsha Rain Study Material In Hindi :
वर्षा
जब जलवर्षा की बूँदें जल के रुप में पृथ्वी पर गिरती हैं, तो उसे वर्षा कहते हैं।
वर्षा के तीन प्रकार हैं
संवहनीय वर्षा जब भूतल बहुत गर्म होता है, तो उसके साथ लगी वायु गर्म हो जाती है। वायु गर्म होकर फैलती है और हल्की हो जाती है।
यह हल्की वायु ऊपर उठती है तथा संवहनीय धाराओं का निर्माण होता है। ऊपर वायु ठण्डी होती है तथा इसमें उपस्थित जलवाष्प का संघनन होने लगता है। संघनन से कपासी मेघ बनते हैं और बरसात होती है।
मुख्य तथ्य
Important Facts For SSC CGL TIER-1
सहिम वृष्टि (Sleet) ऐसी वृष्टि में जल की बूँदें तथा हिम एक साथ पाए जाते हैं। यह उत्तरी अमेरिका के कुछ क्षेत्रों में होती है।
वृष्टिछाया प्रदेश पर्वतों के पवनाविमुखी ढाल (Leeward slope) वर्षा से अछुते रहते जाती हैं। यह वर्षाविहीन भाग वृष्टिछाया प्रदेश (Rainshow Area) कहलाता है।
- विश्व के तटीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के भीतरी भागों की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है।
- विषुवत् रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर वर्षा की मात्रा घटती जाती है।
- स्थलीय भागों की अपेक्षा महासागरों के ऊपर वर्षा अधिक होती है।
पर्वतकृत वर्षा जब जलवाष्प से लदी हुई गर्म वायु को किसी पर्वत या पठार की ढलान के साथ ऊपर चढ़ना पड़ता है, तो यह वायु ठण्डी होने से संतृप्त हो जाती है और ऊपर चढ़ने से जलवाष्प का संघनन होने लगता है। इससे वर्षा होती है। संसार की सर्वाधिक वर्षा इसी रुप में प्राप्त होती है।
चक्रवाती वर्षा चक्रवातों द्वारा होने वाली वर्षा चक्रवाती या वाताग्री वर्षा कहलाती है। चक्रवात में हवा केन्द्र की तरफ आती है और ऊपर उठकर ठण्डी होती है तथा वर्षा कराती है, जबकि प्रति चक्रवात में मौसम साफ होती है।
SSC CGL Study Material Sample Model Solved Practice Question Paper with Answers