UP TET Bhasha Vayakaran Language Grammar Study Material in Hindi
UP TET Bhasha Vayakaran Language Grammar Study Material in Hindi
भाषा – I (हिन्दी)
भाषा तथा व्याकरण
भाषा
भाषा में हम अपने विचारों, भावों एवं भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं। भाषा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की ‘भाष्’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ होता है- वाणी को प्रकट करना।

CTET UPTET Study Material – भाषा के आयाम
- वर्ण वर्ण या अक्षर भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है।
- शब्द यह भाषा की अर्थपूर्ण इकाई है। इसका निर्माण वर्णों से होता है।
- वाक्य शब्दों के सही क्रम से वाक्य का निर्माण होता है। यह किसी खास भाव को अभिव्यक्त करता है।
भाषा के रुप
भाषा के मुख्यत: तीन रुप होते हैं
- बोलियाँ, 2. परिनिष्ठित भाषा तथा 3. राष्ट्रभाषा
- बोलियाँ भाषा के जिस रुप का प्रयोग सामान्य जनता अपने समूह या घरों में करती है, उसे बोली कहते हैं। भारत में 600 से अधिक बोलियाँ प्रचलित हैं।
- परिनिष्ठित भाषा जब कोई बोली व्याकरण से परिष्कृत होकर भाषा का रुप ग्रहण करती है, तो उसे परिनिष्ठित भाषा कहते हैं। खड़ी बोली दो-सौ वर्ष पहले एक बोली थी, जो आज हिन्दी के रुप में परिनिष्ठित भाषा बन चुकी है।
- राष्ट्रभाषा जब कोई परिनिष्ठित भाषा व्यापक रुप ग्रहण कर बहुसंख्यक जनता द्वारा अपनाई जाती है तथा आगे राजनीतिक-सामाजिक शक्ति का आधार बनती हैं, तो वह राष्ट्रभाषा कहलाती है।
CTET UPTET Study Material in Hindi (व्याकरण)
व्याकरण के अन्तर्गत हम भाषा को शुद्ध एवं सर्वमान्य या मानक रुप में बोलना, समझना, लिखना व पढ़ना सीखते हैं।
वर्णमाला
भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण है। अ से ह तक हिन्दी के वर्ण हैं जिनकी कुल संख्या 46 है। इनमें 11 स्वर, 33 व्यंजन, एक अनुस्वार (अं) तथा एक विसर्ग (अ) सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त हिन्दी वर्णमाला में दो द्विगुण व्यंजन-ड़, ढ़ तथा चार संयुक्त व्यंजन – क्ष, त्र, ज्ञ, श्र होते हैं।
हिन्दी वर्णमाला में वर्णों के दो प्रकार हैं
स्वर वे वर्ण जो बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता के अर्थात् स्वतन्त रुप से बोले जाते हैं, स्वर कहलाते हैं।
व्यंजन वे वर्ण जो दूसरे वर्ण की सहायता से बोले जाते हैं, व्यंजन कहलाते हैं।
शब्द विचार
व्युत्पत्ति के आधार पर शब्दों के तीन भेद हैं
- रुढ़ जो शब्द किसी दूसरे शब्द के योग से नहीं बनते और विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, रुढ़ शब्द कहलाते हैं; जैसे- घर, आँख, राथी, मोर आदि।
- यौगिक जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बनते हैं, यौगिक शब्द कहलाते हैं। इन्हें अलग-अलग करने पर उनका स्पष्ट अर्थ प्रतीत होता है; जैसे- हिमालय, विद्यार्थी आदि।
- योगरुढ़ जो शब्द यौगिक होते हुए भी किसी विशेष अर्थ को स्पष्ट करते हैं, वे योगरुढ़ कहलाते हैं; जैसे- दशानन (दस हैं मुख जिसके अर्थात्-रावण), लम्बोदर [लम्बा है उदर (पेट) जिसका अर्थात्-गणेश जी]
संज्ञा
किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान, भाव अथवा प्राणी के नाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के पाँच भेद हैं
- व्यक्तिवाचक संज्ञा जैसे- श्याम, अमेरिका, हिमालय, गंगा, सोमवार आदि।
- जातिवाचक संज्ञा जैसे-लड़का, पहाड़, नदी आदि।
- भाववाचक संज्ञा जैसे-स्नेह, बल, जवानी, मिठास, रहियाली, शीतलता, मित्रता आदि।
- समूहवाचक संज्ञा जैसे-सेना, मेला, सभा, दल, गुच्छा, गिरोह आदि।
- द्रव्यवाचक संज्ञा- जैसे सोना, चाँदी, घी, तेल, पानी, दाल, चावल आदि।
सर्वनाम
सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते हैं जो पूर्वापर सम्बन्ध से संज्ञा के बदले आता है; जैसे-मैं, तू, हम, वह, यह, ये, वे आदि।
UP TET Study Material (लिंग)
परिभाषा संज्ञा के जिस रुप से उसके स्त्री अथवा पुरुष जाति के होने का बोध होता है, उसे लिंग कहते हैं।
हिन्दी में लिंग के दो भेद हैं
- पुल्लिंग तथा 2. स्त्रीलिंग
- पुल्लिंग जिन संज्ञा शब्दों से उसके पुरुष जाति के होने का बोध होता है, वैसे शब्द पुल्लिंग होते हैं;
जैसे- राजा, कुत्ता, घोड़ा, बालक, नायक आदि।
- स्त्रीलिंग जिन संज्ञा शब्दों से उसके स्त्री जाति के होने का बोध होता है, वैसे शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे-रानी, लड़की, घोड़ी, बालिका, नायिका आदि।
वचन
संज्ञा अथवा सर्वनाम के जिस रुप में संख्या का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं।
कारक
शब्द के जिस रुप से संज्ञा अथवा सर्वनाम का सम्बन्ध वाक्य के अन्य शब्दों से जाना जाता है, कारक कहलाता है। हिन्दी भाषा में आठ कारक होते हैं, जो अग्रलिखित हैं
क्र.सं. | कारक | कारक चिन्ह् |
1. | कर्ता | ने |
2. | कर्म | को |
3. | करण | से (द्वारा) |
4. | सम्प्रदान | के लिए, को (देना अर्थ में) |
5. | अपादान | से (अलग होना) |
6. | अधिकरण | में, पर, ऊपर |
7. | सम्बन्ध | का, के, की, रा, रे, री, ना, ने, नी |
8. | सम्बोधन | हे, रे, अरे |
UP TET CTET Study Material in Hindi (काल)
क्रिया का वह रुप जिससे किसी कार्य के होने के समय का पता चलता है, काल कहलाता है।
काल के तीन भेद होते हैं
- वर्तमान काल क्रिया के जिस रुप से यह भाव स्पष्ट होता है कि कार्य अभी हो रहा है अथवा कार्य की निरन्तरता का पता चलता है, तो उसे वर्तमान काल कहते हैं; जैसे- मीनू पुस्तक पढ़ती है।
- भूतकाल क्रिया का वह रुप जिससे स्पष्ट होता है कि कार्य पूरा हो चुका है, भूतकाल कहलाता है; जैसे- दृश्या ने दूध पिया।
- भविष्यत् काल क्रिया का वह रुप जिससे किसी कार्य के भविष्य में होने अथवा करने का बोध होता है, भविष्यत् काल है; जैसे-रिया स्कूल जाएगी।
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