UPTET CTET Child problem Solver Scientific investigator Study Material in Hindi
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बच्चा : एक समस्या –समाधक तथा एक वैज्ञानिक अन्वेषक के रुप मे
Child as a Problem –Solver and a Scientific investigator
समस्या समाधान का अर्थ यदि हम किसी निश्चित लक्ष्य पर पहुँचना चाहते है, पर किसी कठिनाई के कारण नही पहुँच पाते है, तब हमारे समक्ष एक समसेया उपस्थित हो जाती है। यदि महम इस ठिनाई पर विजय प्राप्त करके अपने लक्ष्य पर पहुँच जाते है, तो हम अपनी समस्या का समाधान कर लेते है। इस प्रकार, समस्या समाधान का अर्थ हैं कठिनाइयों पर विजरय प्राप्त करके लक्ष्य को प्रप्ता करना स्किनर ने समसेया समाधानकी परिभाषा इऩ शब्दों में की है समस्या समाधान किसी लक्ष्य की प्रक्रिया है यह बाधाओं के बावजूद सामाञ्जस्य करने के विधि है
समस्या समाधान के स्तर तर्क, समसेय के समाधान का आवश्यक अंग है समस्या का समाधान, चिन्तन तथा तर्क का उददेश्य है स्टेनले ग्रे के शब्दों में समस्या समाधान वह प्रतिमान है जिसमें तार्किक चिन्तन निहित होता है। समस्या समाधान के अनेक स्तर है कुछ समस्याएं बहुत सरल होती है जिनको हम बिना किसी कठिनाई के हल कर सकते है, जैसे पानी पीने की इच्छा। हम इस इच्छा को निकट की प्याऊ पर जाकर तृपुत कर सकते है इसके विपरीत, कुछ समस्य़ाएँ बहुत जटिल होती है, जिनको हल करने में हमें स्थान पर जल प्रणाली स्पधिपित करने की इच्छा है। इस समस्या का समाधान के लिए अनेक उपाय किए जाने आवश्यक है जैसे पानी कहाँ से प्राप्त किया जाए? उसके लिए धन किस प्राकर प्रचाप्त किआ जाए? इत्यादि इस समस्याओं को हल करने के बाद ही पानी की मुख्य इच्छा पूरी की जा सकती है।
समस्या समाधान की विधियाँ(UPTET CTET Child problem Solver Scientific investigator Study Material in Hindi)
स्किनर ने समस्या समाधान की निम्नांकित विधियों की चर्चा की है
- अनसीखी विधि इस विधि का प्रयोग निम्न और उच्च कोटि के प्राणियों द्वारा किया जाता है। उदाहरणार्थ, मधुमक्खियों की भोजन की इच्छा, फूलों का रस चूसने से और खतरे से बचने की इच्छा, शत्रु को डंक मारने से पूरी हो जाती हैं।
- प्रयास एवं भूल विधि इस विधि का प्रयोग निम्न और उच्च कोटि के प्राणियों द्वारा किया जाता है इस सम्बन्ध में थॉर्नडाइक का बिल्ली पर किया जाने वाला प्रयोग उल्लेखनीय है बिल्ली अनेक गलतियाँ करके अन्त में पिंजड़डे से बाहर निकलाना सीख गई
- अन्तदृष्टि विधि इस विधि का प्रयोग उच्च कोटि के प्राणियों द्वारा किया जाता है इस सम्बन्ध में कोहलर का वनमानुषों पर कीय जाने वाला प्रयोग उल्लेखनीय है।
- वाक्यात्मक भाषा- विधि इस विधि का प्रयोग मनुष्य के द्वारा लम्बे समय से किया जा रहा है। बह पूरे वाक्य बोलकर अपनी अनेक समस्याओं का समादान करता है और फलस्वरुप प्रगति करता चला आ रहा है इसलिए , वाक्यात्मक भाषा को सारी सभ्यता का आधार माना जात3 है
बच्चा: एक समस्या समाधाक के रुप में स्कूली जीवन में एक बच्चे के समक्ष अनेकों समस्याएँ ती है तथा उसका समाधान भी उसे हा ढूँढना होता है बच्चों को इस स्तर के योग्य बनाने के लिए आवशय्क है कि उसका व्यक्तिगत विकास किया जराए जिससे कि वह सभी प्रकार की परिस्थितियों के रुप में बनाने के लिए निम्नलिखित गुणों का विकास किया जा सकता है
- बच्चे में आत्म पहचानका गुण विकसिरत करकै इसके लिए बच्चों को ऐसे काम दिए जाने चाहिए , जिनममें सफलता निश्चत हो इन कामों को करने से बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ता है जो जिन्दगी में प्रसन्नता व सहयोग की भावना को बढाता है। बच्चे का जन्मदिन मानान चाहिए। इससे बच्चे की आतम अनुमोदन तथा सामजिक अनुमोदन की भावना को सन्तुष्टि मिलती है समय समय पर बच्चे के काम की प्रशंशा करनी चाहिए तथा छोटी छोटी बातों पर उन्हे परस्कृत करना चाहिए जिससे कि वह भविष्य में अपनी समसेयाओं का समाधान स्वयं कर सके।
- अपनी कमियों को स्वीकार करना तथा दूर करना सिखाकर बच्चे में यह भावना पैदा करनी चाहिए कि कोई भी व्यक्ति सम्पूरण नही है। इसीलिए अपनी कमियों को हँस कर स्वीकार करना चाहिए तथा उन्हेदूर करने का प्रयतन करना चाहे, नाटक दिखाने, कठपुतली का कहनियाँ सुनानी चाहिए, नाटक दिखाने चाहिए। बच्चे के गुणों की खुलक कार्यक्रम दिखाना चाहिए बच्चे की खुलकर प्रशंसा करनी चाहिए ताकि बच्चा अपनी कमियों को भूलकर अपनी प्रतिभा निखार सके।
- बच्चे को स्वालवल्म्बी बनाने के लिए प्रोत्साहित करके बच्चे को आत्मनिर्भर बनाने के ले हमेशा प्रत्साहिक करते रहना चाहिए इसके लिए बच्चे को कहानियाँ सुमानू चाहिए नाटक दिखाने चाहिए वड़कियों को गुटिया को कपटे पहनाने सफाई करने कंघी करने जैसे काम करने देने चाहिए इससे बच्चों में आत्मनिर्भरता बढती है बच्चों को चुनौतीपूर्ण व उत्तर दायितव वाले काम सौंपने चाहिए जिससे की वह समस्याओं के समाधानों का हल सही दिशा में निकालने के ले सक्षम हो सके
- बच्चे में भाषा का विकास करके बच्चों में भाषा विकास करके क शिक्षक उसे समस्याओं को सुलझाने में सक्षम बना सकता है यदि बच्चे में भाषा कौशल होगा तो वह अपनी समस्याओँ को हल करने के लिए कोई ना कोई मार्ग अवश्य निकाल लेगा।
- बच्चे को बार बार प्रयास कराके बच्चों को यदि छोटी- छोटी समस्याओं को स्वयं हल करने के ले बार बार प्रेरित किया जाएतो एक दिन वह अपनी समस्याएँ स्वयं हल करने लगता है यह विधि बच्चों के समसेया समाधान के लिए सबसे उपयुक्त विधि मानी गई है
समस्या समाधान की वैज्ञानिक विधि(Child problem Solver Scientific investigator Study Material in Hindi)
स्किनर के अनुसार, समस्या समाधान की वैज्ञानिक विधि में निम्नलिखित छ: सोपनों का अनुसरण किया जाता है
- समस्या को समझना इस सोपन में बच्चा यह समझने का प्रयास करता है कि समस्या क्या है, उसके समाधान में क्या कठिनाइयाँ है या हो सकती है और उनका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है?
- जानकारी का संग्रह इस सोपान में बच्चा समस्या से सम्बन्धित जानकारी का संग्रह करता है। हो सकता है कि उससे पहले कोई और बच्चा उस समसया को हल कर चुका हो। अत: बह अने समय की बचत करने के लिए उस बच्चे द्वारा संग्रह कि एगए तथ्यों की जानकारी प्राप्त करता है।
- सम्भावित समाधानों का निर्माण सोपान में बच्चा संग्रह की गी जानकारी की सहायता से समस्य4 का समाधान करने के लिए कुछ विधियों को निर्धारित करता है। वह जितना अधिक बुद्धिमान होता है, उतनी ही अधिक उत्तम ये विधियाँ होती है। इस सोपान में सृजनात्मक चिन्तन प्राय: सक्रिय रहता है।
- सम्भावित समाधानों का मूल्यांकन इस सोपान में बच्चा निर्धारित की जाने वाली विधियों का मूल्यांकन करता है। दूसरे शब्दों में वह प्रत्येक विधि के प्रयोग के परिणामों पर विचार करता है। इस कारय में उसकी सफलता आंशिक परि से उसकी बुद्धि और आंशिक रुप से संग्रह की गई जानकारी के आधार पर निर्धारित की जाने वाली विधियों पर निर्भर रहती है
- सम्भावित समाधानों का परीक्षण इस सोपान में बच्चा अपने परीक्षणों के आधार पर विधियों के सम्बन्ध में अपने निष्कर्षो का निर्माण करता है। फलस्वरुप, वह यह अनुमान लगा लेता है कि समसया का समादान करने के लिए उनमें से कौसी सी विधि सर्वोत्तम है।
- समाधान का प्रयोग इस सोपान का उल्लेख क्रो एवं क्रो ने किया है। बच्चा अपने द्वारा निश्चित की गी सर्वोत्तम विधि को समसेया का समाधान करने के लिए प्रयोग करता है
समस्या समाधान की वैज्ञानिक विधि का महत्व बताते हुए क्रो एवं क्रो का सुझाव है शिक्षकों को समस्या समाधान की वैज्ञानिक विधि में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए केवल तभी वे शुद्ध स्पष्ट र निष्पक्ष चिन्तन का विकास करने के लिए छात्रो का पथ प्रदर्शन कर सकेंगे।
बच्चा : एक वैज्ञानिक अन्वेषक के रुप में जब वालक अपने ज्ञान और अनुभव के माध्यम से किसी समस्या के प्रत्येक पहलू को जानने लगता है तथा स्वयं ही समस्या का समाधान खोज लेता है तब बच्चे में एक वैज्ञानिक अन्वेषक क गुण आने लगते है तथा वह अपनी समस्याओं का स्वयं समाधान करने लगता है।
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बच्चे को वैज्ञानिक अन्वेषक के रुप मं बनाने के लिए निम्नलिखित गुणों का विकास किया जा सकता है।
- बच्चों के समक्ष छोटी- छोटी समस्याएँ रखकर बच्चों में एक वैज्ञानिक अन्वेषक बनने के लिए यह आवश्यक है कि से यह जानकारी हो कि समस्या क्या है?इसके लिए बच्चों के समक्ष छोटी छोटी समस्याओं को रखकर उनसे समस्या के विषय में पूछा जा सकता है।
- बच्चों को समभावित समाधानों के निर्माण हेतु प्ररित करके बच्चों को समसया देकर उस समस्या से सम्बन्धित समाधान हेतु उपाय बताने को प्रेरित करना चाहिए जिससे बच्चों में समस्या को स्वयं हल करने कते गुण कचसित हो सके।
- बच्चे के द्वारा बताए गए सम्भावित समाधानों का परीक्षण करके एक शिक्षक को बच्चे में वैज्ञानिक अन्वेषक के गुण विकसित करने के लिए बच्चे द्वारा समस्या पर बताए गए समाधानों का परीक्षण करना अत्यन्त आवशय्क है कि बच्चा समस्या का समाधान सही दिशा में कर भी रहा है अथावा नही