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SSC CGL TIER 1 Nuclear Fission Study Material In Hindi

SSC CGL TIER 1 Nuclear Fission Study Material In Hindi

SSC CGL TIER 1 Nuclear Fission Study Material In Hindi

नाभिकीय विखण्डन

SSC CGL TIER 1 Nuclear Fission Study Material In Hindi
SSC CGL TIER 1 Nuclear Fission Study Material In Hindi

यह वह प्रक्रम है, जिसमें कोई भारी नाभिक दो या दो से अधिक मध्यम आकार के नाभिकों में टूट जाता है। इसमें सामान्यत: न्यूट्रॉन तथा अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित होती है। इसका प्रयोग नाभिकीय रिऐक्टर तथा परमाणु बम में किया जाता है।

नाभिकीय विखण्डन की प्रक्रिया से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों में से कुछ न्यूट्रॉन अन्य नाभिकों पर प्रहार करती हैं इसकी परिणामत: प्रारम्भिक प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती है। इस प्रकार एक श्रृंखला प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाता है।

Nuclear Reactor For SSC CGL TIER 1

नाभिकीय रिऐक्टर

  • यह वह यन्त्र है, जिससे नियन्त्रित नाभिकीय विखण्डन द्वारा विद्युत का उत्पादन किया जाता हैं।
  • इसमें ईंधन (उदाहरण—92U235 तथा प्लूटोनियमा, मन्दक (जैसे—ग्रेफाइट तथा भारी जल D2O) न्यूट्रॉनों की गति को मन्द करने के लिए तथा नियन्त्रक छड़ (बोरॉन स्टील अथवा कैडमियम की बनी) न्यूट्रॉनों को अवशोषित करने के लिए उपस्थित होती हैं।
  • इसमें द्रव सोडियम का प्रयोग शीतलक (Coolant) के रुप में किया जाता है।

नाभिकीय रिएक्टर के उपयोग

  • इससे प्राप्त नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
  • रिएक्टर में अनेक प्रकार के समस्थानिक उत्पन्न किए जा सकते हैं जिसका उपयोग चिकित्सा, विज्ञान, कृषि आदि में किया जा सकता है।

Atom Bomb Study Material In Hindi 

परमाणु बम

यह अनियन्त्रित नाभिकीय विखण्डन पर आधारित है। इसमें ईंधन के रुप में 235U या 239Pu का प्रयोग किया जाता है।

Nuclear Fusion For SSC CGL TIER 1

नाभिकीय संलयन

  • यह वह प्रक्रम है, जिसमें दो या दो से अधिक हल्के नाभिक संयुक्त होकर भारी नाभिक बनाते हैं।
  • यह प्रक्रम अत्यधिक उच्च तापमान (>106K) पर होता है अत: इन्हें ऊष्मानाभिकीय अभिक्रियाएँ (thermonuclear reactions) भी कहते हैं.
  • इसका प्रयोग हाइड्रोजन बम के चारों ओर ड्यूटीरियम ऑक्साइड (D2O) तथा ट्राइटियम ऑक्साइड (T2O) का मिश्रण भरा होता है।
  • नाभिकीय संलयन से ऊर्जा की विशाल राशि उत्पन्न होती है जिससे टरबाइन चलाए जाते हैं। इस ऊर्जा का उपयोग वायुयान, जहाज, पनडुब्बी आदि को चलाने में किया जाता है और साथ ही रॉकेट प्रौद्योगिकी में इसका प्रयोग करते हैं।
  • सूर्य एवं अन्य तारों से प्राप्त ऊर्जा (ऊष्मा व प्रकाश) का स्त्रोत नाभिकीय संलयन है। यह लगातार चलती रहती है।

Uses Of Radioisotopes Study Material In Hindi

रेडियोसमस्थानिकों के उपयोग

आयोडीन-131 (Iodine-131)  इसका प्रयोग थॉयराइड ग्रन्थि की संरचना तथा कार्यशीलता (Activity) का अध्ययन करने एवं घेंघे के उपचार के लिए किया जाता है।

आयोडीन-123 (Iodine-123)  इसका प्रयोग ब्रेन इमेंज्रिंग (Brain Imaging) के लिए किया जाता है।

कोबॉल्ट-60 (Cobalt-60)  इसका प्रयोग कैन्सर के उपचार की बाह्रा विकिरण पद्धति में किया जाता है।

सोडियम-24 (Sodium-24)  इसे रक्त के बहाव की जाँच करने के लिए नमक के विलयन के साथ शरीर में इंजेक्शन द्वारा डाल दिया जाता है।

फॉस्फोरस-32 (Phosphorus-32)  इसका प्रयोग ल्यूकैमिया के उपचार के लिए किया जाता है।

कार्बन-14 (Carbon-14)  इसका प्रयोग प्रकाश संश्लेषण की गतिकी का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।

रेडियोकार्बन डेटिंग (Radiocarbon dating)  इसका प्रयोग कार्बन युक्त पदार्थों; जैसे— लकड़ी, जन्तु के जीवाश्म आदि की आयु ज्ञात करने के लिए किया जाता है। इसमें कार्बन के C12 तथा C14 समस्थानिकों की सान्द्रता के आधार पर आयु की गणना की जाती है।

यूरेनियम डेंटिग (Uranium dating)  इसका प्रयोग पृथ्वी, खनिज तथा चट्टानों की आयु के निर्धारण में किया जाता है।

SSC CGL Study Material Sample Model Solved Practice Question Paper with Answers

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