SSC CGL TIER 1 Soil Study Material In Hindi
SSC CGL TIER 1 Soil Study Material In Hindi
मिट्टी
भू–पृष्ठ की सबसे ऊपरी परत, जो पौधों को उगने व बढ़ने के लिए जीवांश, खनिजांश प्रदान करती है, मृदा या मिट्टी कहलाती है अर्थात् मृदा ह्रूमस से युक्त ढीला पदार्थ है, जो पौधों के लिए आर्द्रता तथा आहार प्रदान करता है।
भारत एक विशाल क्षेत्रफल व विभिन्न भौतिक परिस्थितियों वाला देश है, जहाँ कई प्रकार की मिट्टियाँ पाई जाती हैं। मृदाओं का वर्गीकरण कई आधार पर किया जाता है; जैसे—उपजाऊ वन के आधार पर, रासायनिक संघटन के आधार पर, संरचना के आधार पर आदि। परन्तु किसी और आधार पर किया गया वर्गीकरण पूर्णत: उचित नहीं होता।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने सन् 1953 में अखिल भारतीय भूमि उपयोग तथा मृदा सर्वेक्षण संगठन की स्थापना की, जिसने 1986 में भारतीय मिट्टियों को 8 प्रमुख एवं 27 गौण प्रकार की मिट्टियों में विभाजित किया।
जलोढ़ मिट्टी
Know Alluvial Soil For SSC CGL TIER 1
- 22% क्षेत्रफल
- नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी का जमाव जलोढ़ कहलाता है।
- पोटाश की अधिकता तथा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस व ह्रूमस की कमी होती है।
- इसमें धान, गेहुँ, मक्का, तिलहन, दलहन, आलू आदि की फसलें उगाई जाती हैं।
काली मिट्टी
Know Black Soil For SSC CGL TIER 1
- इसका निर्माण बेसाल्ट चट्टानों से हुआ हैं।
- इसमें आयरन, चूना, एल्युमीनियम एवं मैग्नीशियम की बहुलता होती हैं।
- यह रेगुर मिट्टी कहलाती है।
- काला रंग टिटेनीफेरस मैग्नेटाइट के कारण होता है।
- कपास, गेहूँ, ज्वार, बाजरा आदि फसलें उगाई जाती हैं।
लाल मिट्टी
Know Red Soil For SSC CGL TIER 1
- लौह ऑक्साइड के कारण लाल दिखाई देती हैं।
- इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं ह्रूमस की कमी होती हैं।
- चूने का प्रयोग कर उर्वरता बढ़ाते हैं।
लैटेराइट मिट्टी
Know Latterite Clay For SSC CGL TIER 1
- इसमें आयरन तथा सिलिका की बहुलता होती हैं।
- इसमें चूना, नाइट्रोजन, पोटाश एवं ह्रूमस की कमी होती हैं।
- लेटेराइट मिट्टी चाय के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
Know Power Points For SSC CGL TIER 1
पावर प्वॉइन्ट्स
- यू.एस.डी. के वर्गीकरण के अनुसार इन्सेप्टीसॉल संवर्ग की मृदा भारत में सर्वाधिक पाई जाती हैं।
- प्रायद्वीपीय लाल मिट्टियों का विकास आर्कियन ग्रेनाइट नीस शैलों पर हुआ हैं।
- उत्तर प्रदेश में काली मृदा को करेल के नाम से जाना जाता हैं।
- मकान बनाने के लिए लैटेराइट मृदाओं का प्रयोग ईंटें बनाने में किया जाता हैं।
- काली मिट्टी को स्वत: जुताई वाली मृदा कहा जाता है।
- मृदा की उर्वरता के ह्रास को मृदा अवकर्षण की संज्ञा दी जाती हैं।
- लैटेराइट मिट्टियों का स्वरुप ईंट की तरह होता है, भीगने पर ये कोमल तथा सूखने पर कठोर व डलीदार हो जाती हैं।
- पीटमयी मृदाओं में कभी–कभी बड़ी मात्रा में फेरिक और एल्युमीनियम सल्फेट होते हैं इसके कारण ये पौधों के लिए जहरीली हो जाती हैं।
- अधिकांश पर्वतीय मृदाएँ टर्शियरी युग की चट्टानों का अपक्षय होने से बनी हैं।
- पीटमयी मृदाओं में जैव पदार्थों की मात्रा 40 से 50 तक पाई जाती हैं।
- लवणीय मृदाओं के उपचार के लिए आजकल पाइराइट्स का भी प्रयोग किया जा रहा हैं।
- मृदा में उपस्थित जैव एवं खनिज तत्वों के हटाए जाने को मृदा अपक्षय कहते हैं।
मरुस्थलीय मिट्टी
Know Desert Soil For SSC CGL TIER 1
- यह बलुई मिट्टी होती हैं।
- लोहा तथा फॉस्फोरस की पर्याप्त मात्रा तथा नाइट्रोजन व ह्रूमस की कमी होती है।
- मोटे अनाज–ज्वार, बाजरा, रागी, तिलहन आदि पैदा किए जाते हैं।
पर्वतीय या वनीय मिट्टी
Know Mountain Or Vane Soil For SSC CGL TIER 1
- बागानी कृषि के लिए उपयुक्त होती हैं।
- चाय, कहवा एवं मसाले की कृषि की जाती हैं।
- तमिलनाडु, कर्नाटक, मणिपुर के पर्वतीय भागों में पाई जाती हैं।
लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी
Know Saline & Alkaline Soil For SSC CGL TIER 1
- इसे रेह, कल्लर या उसर भी कहते हैं।
- इसमें सोडियम, मैग्नीशियम व कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में तथा नाइट्रोजन व चूने की कमी होती हैं।
पीट या जैविक मिट्टी
Know Peat Or Organic Soil For SSC CGL TIER 1
- इसमें जैविक पदार्थों की अधिकता होती हैं।
- सुन्दरवन डेल्टा व अन्य डेल्टाई क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
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