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SSC CGL TIER 1 Bhartiya Arthvyastha Economy Study Material in Hindi

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भारतीय अर्थव्यवस्था(Bhartiya Arthvyastha Economy Study Material in Hindi)

जाने अपने आर्थिक क्रिया- कलाप के बारे में

अर्थव्यवस्था का सम्बन्ध किसी भी राष्ट्र के नागरिको की आर्थिक क्रियाओं से है, जिसमे वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन, उपयोग तथा वितरण सम्मिलित किया जाता है। यह नागरिकों की आवश्यकताओं को सन्तुष्टि के स्तर तक ले जाने वाली एक संस्थागत प्रणाली है।

अर्थव्यबस्था: एक परिचय Economy : An Introduction(Bhartiya Arthvyastha Economy Study Material in Hindi)

राष्ट्र विशेष  की आर्थिक गतिविधियों के अध्ययन व विश्लेषण के लिए राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है अर्थव्यवस्था समस्त गतिविधियों का समेकन तथा संयोजन है।

विकास के स्तर, विकास के तरीकों के आधार पर अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है

उदारवादी अर्थव्यवस्था(Bhartiya Arthvyastha Economy Study Material in Hindi)

ऐसी अर्थव्यवस्था जहाँ आर्थि गतिविधियों पर राज्य का न्यूनतम नियन्त्रण होता है तथा निजी क्षेत्र अधिक प्रभावकारी तथा स्वतन्त्र होता है, उसे अर्थव्यवस्था पूँजीवादी अर्थव्यवस्था कहते हैं। यह अर्थव्यवस्था एजम स्थिथ के लेसेजफेयर या अहस्तक्षेप के सिद्धान्तों पर कार्रय करती है। इसमे बाजार की शक्तियाँ अधिक प्रभावकारी होती हैं जैसे- यू. एस. ए ब्रिटेन, फ्रास की अर्थव्यवस्थाएँ

समाजवादी अर्थव्यवस्था(Bhartiya Arthvyastha Economy Study Material in Hindi)

समाजवादी अर्थव्यवस्था राज्य की महत्वपूर्ण शक्ति होती है, जो राज्य की समस्त आर्थिक गतिविधियों को नियन्त्रित तथा निर्दोशित करती है। यह उत्पादन के साधनों पर सार्वजनिक स्वामित्व की संकल्पना को लेकर चलती है। बाजारी शक्तियाँ नियन्त्रित रहती है, जैसे – भूतपूर्व सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था।

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मिश्रित अर्थव्यवस्था

इस अर्थव्यवस्था में समाजवादी तथा उदारवादी दोनो प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं की विशेषताएँ निहित होती है।, जैसे – भारत की अर्थव्यवस्था ।

खुली अर्थव्यवस्था(Bhartiya Arthvyastha Economy Study Material in Hindi)

वे अर्थव्यवस्थाएँ, जिसमें उदावादी तथा निजी आर्थिक तत्वों की प्रभाविता रहता है तथा आयत व निर्यात पर न्यूनतम प्रतिबन्ध रहते है, उन्हें खुली अर्थव्यवस्था कहते है, जैसे – हांकांग, सिंगापुर

बन्द अर्थव्यवस्था

वे अर्थव्यवस्थाएँ, जो बाह्रा अर्थव्यवस्थाओं से किसी भी प्राकार से सम्बन्ध नही रखती है अर्थात आयात निर्यात की गतिविधियँ शून्य होती है तथा निजी क्षेत्र की भूमिका नगण्य होती है, उन्हे बन्द अर्थव्यवस्था कहते है,

अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

सामान्यत: सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की आर्थिक गतिविधियों को लेखाकिंत करने के लिए तीन क्षेत्रकों में विभीजित किया जाता है।

प्राथमिक क्षेत्रक

इसके अन्तर्गत अर्थव्यवस्था के प्राकृतिक क्षेत्रों का लेखांकन किया जाता है

इसके अन्तर्गत निम्न क्षेत्रों को सम्मिलित किया जाता है

  • कृषि
  • वानिकी
  • मत्स्यन (मछली पकड़ना)
  • खनन ऊर्वाधन (Verticel) खुदाई एवं उत्खनन क्षैतिज ( Horizontal) खुदाई

व्दितीय क्षेत्रक

इस क्षेत्रक के अन्तरर्गत मुख्यत: अर्थव्यवस्था की विनिर्मित वस्तुओं के उत्पादन का लेखाकन किया जाता है

  • निर्माण, जहाँ किसी स्थायी परिसम्पति का निर्माण किया जाए. जैसे भवन
  • विनिर्माण, जहाँ किसी वस्तु का उत्पादन हो, जैसे – कपड़ा, ब्रेड आदि
  • विद्दुत, गैस एवं जलापूर्ति इत्यादि से सम्बन्धित कार्य

तृतीयक या सेवा क्षेत्रक

यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था के प्राथमिक और व्दितीयक क्षेत्रक को अपनी उपयोगी सेवाएँ प्रदान करता है।

इसके अन्तर्गत है

  • परिवहन एवं संचार
  • बीमा
  • व्यापार
  • बैकिंग
  • भण्डारण
  • सामुदायिक सेवाएं आदि

इसके अतिरिक्त अर्थव्यवस्था को कई अन्य आधारों पर भी विभाजित किया जाता है।

इसे निम्न प्रकार से रेखाकित किया जाता है

वस्तु क्षेत्रक प्राथमिक क्षेत्रक और दितीयक क्षेत्रक को सम्मिलित रुप मे वस्तु क्षेत्रक कहा जाता है इसके अन्तर्गत भौतिक वस्तुओं के उत्पादन को शामिल किया जाता है।

गैर- वस्तु क्षेत्रक किसी अर्थव्यवस्था के सेवा क्षेत्रक को गैर वस्तु क्षेत्रक भी कहा जाता है।

संगठित क्षेत्रक इसके अन्तर्गत वे सभी इकाइयाँ आ जाती है, जो अपने आर्थिक कार्यकलापों का नियमित लेखांकन करती है, भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभाग 9% इस क्षेत्र से है।

असंगठित क्षेत्रक इसके अन्तर्गत वे सभी इकाइयाँ आ जाती है, जो अपने कार्यकलापों का कोई लेखा जोखा नही रखती है, जैसे- रेहडी खोमचे, सब्जी की खुदरा दुकाने दैनिक मजदूर आदि। भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका योगदान लगभग 91% है।

आर्थिक विकास(Bhartiya Arthvyastha Economy Study Material in Hindi)

आर्थिक विकास का तात्पर्य उस प्रक्रिया से है, जिसके परिणामस्वरुप देश के समस्त उत्पादन साधनों का कुशालतापूर्वक विदोहन होता है। राष्टीय उत्पाद, सकल घरेली उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है, तो हम कह सकते है कि आर्थिक संवृद्धि हो रही है । सत्तर के दशक में आर्थिक संवृद्धि तथा आर्थिक विकास को एक ही माना जाता था लेकिन अब इसमें अन्तर किय़ा जाता है अब आर्थिक संवृद्धि आर्थिक विकास के एक भाग के रुप में देखी जाती है।

भारतीय अर्थव्यवस्था Indian Economy (Bhartiya Arthvyastha Economy Study Material in Hindi)

भारतीय अर्थव्यवस्था एशिया की तीसरी एवं क्रय शक्ति क्षमता के आधार पर दुनिया की चौथई सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। विनियम दर के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था में समाज की समाजवादी प्रणाली को प्राप्त करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ –साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उद्दम ौथई सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। विनियम दर के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था में समाज की समाजवादी प्रणाली को प्राप्त करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ –साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उद्दम भी विद्दमान है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ

भारतीय अर्थव्यवस्था एक निम्न माध्यम आय वाली विकासशील अर्थव्यवस्था है किन्तू सकल घरेलू (GDP) में हो रही तेज वृद्धि के चलते यह आगामी कुछ वर्षो में मध्यम आय वाले वर्ग में प्रवेश कर जाएगी। स्वतन्त्रत –पश्चात् देश की आर्थिक आधारभूत संरचना अधिक सशक्त तथा मजबूत हुई है। मात्रात्मक तथा गुणात्मक दृष्टि से भी देश की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार हुआ है।

भारत की अर्थव्यवस्था को हम निम्नलिखित बिन्दुओ से स्पष्ट कर सकते है

  • कृषि आधरित अर्थव्यवस्था
  • जनसंख्या वृद्धि
  • बेरोजगारी तथा अर्द्ध- बेरोजगारी
  • औद्दोगिक पिछड़ापन
  • पूँजी निर्माण की निम्न दर
  • अल्पविकसित अर्थव्यवस्था
  • प्रतिव्यक्ति निम्न आय
  • मिश्रित अर्थव्यवस्था

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