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SSC CGL TIER 1 Human Ear Study Material In Hindi

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मानव कर्ण

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  • कर्ण ध्वनि तंरगों को सुनने एवं सन्तुलन बनाने में सहायक हैं।
  • मध्य कर्ण में शरीर की सबसे छोटी अस्थि स्टेपीस होती है।
  • कर्ण पल्लव की तन्तुमय उपास्थि ध्वनि तंरगों का संग्रह करती है।
  • मनुष्य में कर्ण पल्लव अवशेषी अंग हैं, जो हिल-डुल नहीं सकते, परन्तु कुछ जन्तुओं, जैसे-पशु, कुत्ता, बिल्ली, खरगोश आदि में ये हिल-डुल सकते हैं।

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मानव नेत्र

  • नेत्र प्रकाश संवेदी अंग हैं। प्रत्येक नेत्र एक गेंद के आकार की गोल एवं खोखली रचना है, इसे नेत्र गोलक (Eyeball) कहते हैं।
  • नेत्र गोलक मुख्यतया तीन स्तरों का बना होता है।
  1. दृढ़ पटल (Sclerotic) बाह्रा दृढ़ तथा गोलक के कोटर से बाहर पारदर्शी कॉर्निया (Cornea) बनाता है।
  2. रक्तक पटल (Choroid) कोमल, संयोजी ऊतक का बना। इसमें रंगा कणिकाएँ होती हैं। रंगा कणिकाएँ खरगोश में लाल, मनुष्य में काली, भूरी या नीली होती हैं।
  3. दृष्टि पटल (Retina) सबसे भीतरी परत है, जो संवेदी होती है। दृष्टि पटल पर प्रतिबिम्ब सत्य एवं उल्टा बनता है।

  • दृष्टि पटल (retina) नेत्र गोलक की सबसे भीतरी संवेदी परत है, यह दो प्रकार की कोशिकाओं—दृष्टि शलाकाएँ (Rods) एवं दृष्टि शंकुओं (Cones) का बना होता है।
  • शलाकाएँ कम प्रकाश के लिए संवेदी होती हैं तथा इनमें लाल गुलाबी वर्णक, रोडोप्सिन (Rhodopsin) पाया जाता है।
  • शंकु तेज प्रकाश के लिए संवेदी है तथा रंगों में अन्तर उत्पन्न करते हैं; जैसे— लाल, हरा, नीला आदि।

मानव के प्रमुख दृष्टि दोष निम्नलिखित हैं

निकट दृष्टि दोष (Myopia)   इसमें केवल कम दूरी की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देती हैं। प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल के सामने बनता है। इस रोग अवतल लैंस (Concave lens) के उपयोग द्वारा ठीक हो सकता है।

दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia) इसमें केवल दूर की वस्तुएँ दिखाई देती हैं। प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल के पीछे बनता है। इस रोग को उत्तल लैंस (Convex lens) का उपयोग करके दूर किया जा सकता है।

दृष्टिवैषम्य (Astigmatism) इसमें कॉर्निया की आकृति असामान्य हो जाती है। सिलैण्ड्रीकल (Cylindrical) लैंस द्वारा यह रोग दूर हो सकता है।

मोतिया बिन्द (Cataract) इसमें विटामिन-A की कमी से रोडोप्सिन का संश्लेषण कम होने लगता है, जिससे कम प्रकाश में दिखाई नहीं देता।

कन्जक्टीवाइटिस (Conjunctivitis) जीवाणु द्वारा कन्जक्टिवा में सूजन आ जाती है।

रतौंधी (Night blindness) विटामिन-A की कमी से रोडोप्सिन (Rhodopsin) का निर्माण कम होता है, जिसके कारण कम प्रकाश में दिखाई नहीं देता।

वर्णान्धता (Colour blindness)  यह आनुवंशिक रोग है, जो आँखों में शंकु कोशिकाओं की कमी से होता है। ऐसे व्यक्ति लाल व हरे रंग में अन्तर नहीं कर पाते।

  • कर्ण को भीतर से देखने के लिए अरीस्कोप का प्रयोग करते हैं।
  • उभयचर, सरीसृप तथा पक्षियों में एक ही कर्ण अस्थि मैलियस पाई जाती है। आइरिस के केन्द्र में दिखाई पड़ने वाला काला छिद्र तारा (pupil) है।
  • उल्लू की रेटिना में शलाकाएँ अधिक, जबकि मुर्गा (Fowl) की रेटिना में शंकु अधिक पाए जाते हैं।
  • कॉर्निया नेत्र का असंवहनीय भाग है।
  • कशेरुकियों की त्वचा का रंग मिलेनीन वर्णक के कारण होता है।

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