SSC CGL TIER 1 Oceanic Streams Study Material In Hindi
SSC CGL TIER 1 Oceanic Streams Study Material In Hindi
महासागरीय जलधाराएँ
- महासागरों की सतह पर एक निश्चित दिशा में बहुत अधिक दूर तक बहने वाले जल को महासागरीय धारा कहते हैं।
- जो धाराएँ भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर (निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों की ओर) गति करती हैं, वे गर्म होती हैं। ये मार्ग क्षेत्र का ताप बढ़ा देती हैं।
- जो धाराएँ ध्रुवीय क्षेत्रों से भूमध्य रेखा की ओर (उच्च अक्षांशों से निम्न अक्षांशों की ओर) गति करती हैं, वे ठण्डी होती हैं। ये मार्ग क्षेत्र का ताप घटा देती हैं।
एल-निनो तथा ला-निना धारा एल-निनो पेरु के पश्चिमी तट से 200 किमी दूरी पर उत्तर से दक्षिण दिशा में चलने वाली एक गर्म जलधारा है। इस विपरीत धारा भी कहते हैं क्योंकि सामान्य समय में इस भाग में पेरु जल धारा दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है। एल-निनो के कारण पेरु में सामान्य से अधिक वर्षा होती है।
जब एल-निनो का विस्तार प्रशान्त महासागर से हिन्द महासागर तक हो जाता है तब हिन्द महासागर पर निम्न दाब और भारतीय प्रायद्वीप पर उच्चदाब का आविर्भाव हो जाता है तथा हवाएँ भारत से हिन्द महासागर की ओर चलने लगती हैं अत: भारत में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
शब्दावली
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एटॉल (Atoll) एक वृत्ताकार या दीर्घ वृत्तीय प्रवाल द्वीपमाला जो किसी लैगून और खुले सागर के मध्य पाई जाती है, इसे प्रवाल द्वीपवलय भी कहते हैं।
अन्तरीप (Cape) प्रमुख शीर्ष भूमि या अन्तस्थ भूखण्ड अथवा किसी स्थल का नुकीला भाग जो समुद्र की ओर निकला हुआ हो।
भृगु (Cliff) किसी समुद्री तटरेखा या अन्त: स्थल में एक ऊँचा तथा खड़ा शैल फलक जो ऊधर्वाधर दृष्टिगोचर होता है।
फियॉर्ड (Fiord) समुद्र की एक लम्बी संकीर्ण भुजा जिसके किनारे के ढाल खड़े होते हैं और गहरी हिमनदीय घाटी के धैंस जाने से बनते हैं। इसके समुद्र की ओर के मुहाने पर एक डूबी रोधिका होती है।
रिया तट ये तट नदी घाटियों के समुद्र में डूब जाने से बनते हैं, इन तटों पर कहीं-कहीं गहरी और चौड़ी घाटियाँ तथा विशाल कगारें मिलती हैं।
डालमेशियन तट सागर के समीप की पर्वत श्रेणियों के जलमग्न होने से इन तटों की रचना होती है।
सारगैसो सागर उत्तरी अटलाण्टिक महासागर में उत्तरी विषुवतरेखीय धारा, गल्फस्ट्रीम एवं कनारी धारा द्वारा घिरा हुआ एवं 200 से 400 उत्तरी अक्षांश एवं 350 से 750 पश्चिमी देशान्तर के मध्य शान्त एवं गतिहीन जल राशि पाई जाती है, जिसमें सारगैसम घास फैली होती है, इस भाग को सारगैसो सागर कहा जाता है।
खाड़ी (Gulf) समुद्र का स्थलीय भाग में प्रवेश कर जाने पर जो जल का क्षेत्र बनता है, उसे खाड़ी कहते हैं।
प्रवाल भित्तियाँ (Coral Reefs) इनका निर्माण मूँगा जीवों के अस्थिपंजरों के समेकन एवं संयोजन द्वारा होता है। इनके विकास के लिए 20-250C तापक्रम, सूर्य का प्रकाश व सामान्य सामुद्रिक लवणता अनिवार्य है।
प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) सागरीय जल के तापमान में वृद्धि होने से प्रकाश-संश्लेषण में बाधा पड़ती है और हरे रंग के शैवाल सफेद हो जाते हैं जिसे प्रवाल ग्रहण नहीं करते तथा मरने लगते हैं, इसे ही प्रवाल विरंजन की संज्ञा दी जाती है।
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