SSC CGL TIER 1 Solar System Study Material in Hindi
SSC CGL TIER 1 Solar System Study Material in Hindi : सौरमण्डल
Solar System for SSC CGL TIER 1
सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं तथा अन्य आकाशीय पिण्डों के समूह को सौरमण्डल कहते हैं। ग्रहों की गति का नियम ‘केपलर’ ने प्रतिपादित किया।
सूर्य
Know Sun For SSC CGL TIER 1
इसका परिक्रमण काल 25 करोड़ वर्ष है, जिसे ब्रह्राण्ड वर्ष कहते हैं। यह एक गैसीय गोला है जिसमें हाइड्रोजन 71%, हीलियम 26.5% एवं अन्य तत्व 2.5% होते हैं। सूर्य का केन्द्रीय भाग क्रोड है जिसका ताप 1.5X107 oC होता है तथा बाहरी सतह 6000 oC है। सूर्य की ऊर्जा का स्त्रोत नाभिकीय संलयन है जिसमें हाइड्रोजन का हीलियम में रुपान्तरण है। सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिनट 16.6 सेकण्ड लगते हैं।
बुध
Know Mercury For SSC CGL TIER 1
यह सूर्य का सबसे नजदीकी, सबसे छोटा ग्रह है तथा इसके पास कोई उपग्रह नहीं है इसमें चुम्बकीय क्षेत्र पाया जाता है। यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय 87 दिन 28 घण्टे में पूरी करता है। इसके पास से गुजरने वाला ग्रह-मैरिनर है।
शुक्र
Know Venus For SSC CGL TIER 1
पृथ्वी का निकटतम ग्रह है। यह सबसे चमकीला व गर्म ग्रह है। इसे साँझ का तारा या भोर का तारा भी कहते हैं। यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त चक्रण करता है। इसे पृथ्वी का भगिनी ग्रह कहते हैं। यह घनत्व आकार एवं व्यास में पृथ्वी के समान है। इसके पास भी कोई उपग्रह नहीं है।
पृथ्वी
Know Earth for SSC CGL TIER 1
यह आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 1/2o झुकी हुई है। यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किमी/घण्टा की चाल से 23 घण्टे 56 मिनट और 4 सेकण्ड में एक पूरा चक्कर लगाती है। इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं। इसके कारण दिन व रात होते हैं। पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घण्टे 48 मिनट 46 सेकण्ड का समय लगता है। इसे पृथ्वी की वार्षिक गति या परिक्रमण गति कहते हैं। पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है। पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी अक्ष पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन, इसकी अक्ष पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानी वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन-रात छोटे या बड़े होते हैं। जल की उपस्थिति के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है। इसका एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है।
Know Moon for SSC CGL TIER 1
चन्द्रमा
पृथ्वी से माध्य दूरी | 382200 किमी |
व्यास | 3475 किमी |
चन्द्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान के अनुपात में | 1:8.1
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चन्द्रमा तथा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बलों में अनुपात | 1:6
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चन्द्रमा की सतह का अदृश्य भाग | 41% (सी ऑफट्रेन्क्विलिटी) |
चन्द्रमा की पृथ्वी से अधिकतम दूरी (अपभू दूरी) | 406000 किमी |
चन्द्रमा की पृथ्वी से न्यूनतम दूरी (उपभू दूरी) | 364000 किमी
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परिक्रमण गति | 27 दिन 8 घण्टे |
पृथ्वी व चन्द्रमा के बीच का अन्तरिक्ष | सिसलुनर |
रासायनिक संघटन | सिलिकॉन, लोहा, मैग्नीशियम |
उच्चतम पर्वत | लीबनिट्स |
Know Mars for SSC CGL TIER 1
मंगल
‘आयरन ऑक्साइड’ की अधिकता के कारण इसे लाल ग्रह कहा जाता है। इसके दो उपग्रह फोबोस तथा डीमोस हैं। इसका सबसे बड़ा पर्वत ‘ओलिम्पस मीन्स ( ऊँचाई 25 किमी) तथा सबसे बड़ी घाटी मेरीनेरिस है। इसके दिन का मान एवं अक्ष का झुकाव पृथ्वी के समान है।
Know Jupiter for SSC CGL TIER 1
बृहस्पति
यह सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसे अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घण्टे (सबसे कम समय) लगते हैं। इसके उपग्रहों की संख्या 67 है, जिसमें गैनीमीड सबसे बड़ा उपग्रह है। यह पीले रंग का है। इससे रेडियो तरंगे प्रसारित होती हैं।
Know Saturn for SSC CGL TIER 1
शनि
यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इसकी विशेषता है इसके चारों ओर वलय का होना। यह पीले तारे के समान दिखाई पड़ता है। इसके उहग्रहों की संख्या 62 है। शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है। फोबे नामक शनि का उपग्रह इसकी कक्षा में घूमने की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है।
Know Uranus for SSC CGL TIER 1
अरुण
यह आकार में तीसरी सबसे बड़ा ग्रह है। इसकी खोज 1781 ई. में विलियम हर्शेल द्वारा की गई थी।
इसके चारों ओर नौ वलयों में पाँच वलय α (एल्फा), β(बीटा), γ(गामा), Δ(डेल्टा) एवं έ(इप्सिलॉन) हैं। यह भी अपने अक्ष पर पूर्व की ओर घूमते हैं। इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहा जाता है। यहाँ सूर्योदय पश्चिम की ओर एवं सूर्यास्त पूर्व की ओर होता है। इसके 27 उपग्रह हैं तथा सबसे बड़ा टाइटेनिया है।
Know Pluto for SSC CGL TIER 1
अलविदा प्लूटो
सन् 1930 मे क्लाइड टॉम्बेग द्वारा खोजा गया ग्रह प्लूटो को 24 अगस्त, 2006 में प्राग (चेक गणराज्य की राजधानी) में हुए इन्टरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) के सम्मेलन में विभिन्न देशों के सम्मिलित वैज्ञानिकों ने ग्रह के दर्जे से हटा दिया। इस सम्मेलन में ग्रह की निम्न परिभाषा दी गई जिसमें निम्न तीन शर्तें होनी आवश्यक हैं
- वह आकाशीय पिण्ड जो सूर्य की परिक्रमा करता हो।
- उसमें पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण बल हो जिससे वह गोल रुप धारण कर सके।
- ग्रह की परिक्रमण कक्षा किसी अन्य ग्रह से ओवरलैप (Overlap) न हो।
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