68500 Assistant Teacher Bharti Chhand Study Material in Hindi
68500 Assistant Teacher Bharti Chhand Study Material in Hindi
छन्द
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
Very Short Question Answer
प्रश्न – छन्द किसे कहते हैं?
उत्तर – अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा की गणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना ‘छन्द’ कहलाती है।
प्रश्न -मात्रा और वर्ण क्रम के आधार पर छन्द के कितने भेद हैं?
उत्तर – मात्रा और वर्णक्रम के आधार पर छंदों के दो मुख्य भेद होते हैं-
1. मात्रिक छन्द
- वर्णिक छन्द।
प्रश्न -छन्द के मुख्यत: कितने भेद है?
उत्तर – छन्द के प्रमुख भेद हैं- चौपाई, दोहा रोला, कुंडलियाँ, सवैया, कवित्त आदि।
प्रश्न -चौपाई किसे कहते हैं?
उत्तर – चौपाई के चार चरण होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में सोलह-सोलह मात्राएं होती हैं। पहले-दूसरे और तीसरे-चौथे चरणों के अंतिम शब्दों की तुक (ध्वनि) मिलती है और अंत में गुरु के बाद लघु नहीं आता। तुक पहले चरण की दूसरी से तथा तीसरे की चौथे से मिलती है। जैसे-
सरवर तीर पदमिनी आई। खोंपा छोरि केस मुकलाई।
ससि-मुख, अंग मलयगिरि वासा। नागिन झाँपि लीन्ह चहुँ पासा।
प्रश्न -चौपाई किस प्रकार का छंद है?
उत्तर – चौपाई एक सममात्रिक छन्द है।
प्रश्न -दोहा किसे कहते हैं?
उत्तर – दोहा के पहले-तीसेर चरण में तेरह-तेरह और दूसरे-चौथे चरणों में ग्यारह-ग्यारह मात्राएं होती हैं। सम चरणों के अंत में क्रमश: गुरु-लघु आने आवश्यक हैं। यति चरण के अन्त में होती है विषम चरणों के आदि में जगण नहीं होना चाहिए। जैसे-
श्री गुरु चरन रोज रज, निज मन मुकुर सुधार।
बरनौ रघुवर विमल जस, जो दायक फल चार।।
प्रश्न -दोहा किस प्रकार का छंद है?
उत्तर – दोहा अर्द्धसम मात्रिक छन्द है।
प्रश्न -रोला किसे कहते हैं?
उत्तर – रोला के प्रत्येक चरण में चौबीस-चौबीस मात्राएं होती हैं। ग्यारह मात्राओं के बाद और पादांत में यति आती है। पहले-दूसरे तथा तीसरे-चौथे चरणों के अन्तिम शब्दों की तुक मिलती है। प्रत्येक चरण के अन्त में दो गुरु या लघु वर्ण होते हैं. दो-दो चरणों में तुक आवश्यक है।
जैसे-
जो जगहित पर प्राण निछावर है कर पाता।
जिसका तन है किसी लोकहित में लग जाता।
प्रश्न -रोला किस प्रकार का छंद है?
उत्तर – रोला एक सममात्रिक छन्द है।
प्रश्न -कुंडलियाँ किसे कहते हैं?
उत्तर – कुंजलिआं छन्द में छ: चरण होते हैं। पहले दो चरण दोहा छन्द के चार चरणों से मिलकर बनते हैं और शेष चार चरणों में रोला छन्द होता है। इस प्रकार दोहा और रोला छन्दों के योग से कुण्डलिया छन्द बनता है। इसके अतिरिक्त इस छन्द के आरंभ और अंत में एक ही शब्द का प्रयोग होता है तथा छन्द का चौथा चरण रोला छन्द के आरंभ में दोहराया जाता है। जैसे-
बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लेहु।
जो बनि आवै सहज में, ताही में चित्त देहु।।
ताही में चित्त देहु, बात जोई बनि आवै।
दुर्जन हँसे न कोय, चित्त में खेद न पावै।
कह “गिरिधर” कविराय यहै कर मन परतीती।
आगे की सुधि लेहु समुझि बीती से बीती।।
प्रश्न -कुंडलियाँ किस प्रकार का छंद है?
उत्तर – कुंजलियाँ विषममात्रिक छन्द है।
प्रश्न -सवैया छन्द को स्पष्ट करें?
उत्तर – बाईस से लेकर छब्बीस वर्णों के समवर्णिक छंदों को सवैया कहते हैं। सवैया में अक्षों की गिनती के साथ-साथ मात्राओं का क्रम भी निश्चित होता है, किन्तु अधिकतर यह लयात्मक छन्द है। तैईस वर्णों वाले सवैया का उदाहरण-
दानव, देव अहीस, मही, महामुनि तापस सिद्ध समाजी।
जाचक, दानि दुतीय नहीं तुम ही सबकी सब राखत बाजी।
एते बड़े तुलसीस तऊ सबरी के दिए बिनु भूख न भाजी
राम गरीबनवाज भए हैं गरीबनवाज गरीब नवाजी।
प्रश्न -सवैया किस प्रकार का छंद है?
उत्तर – सवैया समवर्णिक छंद है।
प्रश्न – कवित्त किसे कहते हैं?
उत्तर – छब्बीस से अधिक वर्णों के छन्दों को दंडक या कवित्त कहते हैं। इनमें घनाक्षरी कवित्त प्रसिद्ध है। घनाक्षरी कवित्त के प्रत्येक चरण में इकत्तीस-इकत्तीस वर्ण होते हैं। सोलह और पन्द्रह अक्षरों पर यति होती है और अंत में गुरु मात्रा आवश्यक है।
किसबी किसान-कछु, बनिक, भिखारी भाट,
चाकर चपट नट चोर चार चेटकी।
पेट को पढ़त गुन गढ़त चढ़त गिरि,
अटल गहन बन अहन अखेट की।
ऊंचे नीवे करम धरम अधरम करि,
पेट ही को पचत बेचत बेटा-बेटकी।
तुलसी बुझाई एक राम-घनश्याम ही ते,
आगि बड़वागि ते बड़ी है आगि पेट की।।
प्रश्न -कवित्त किस कहते हैं?
उत्तर – कवित्त का दूसरा नाम मनहरण भी है।