68500 Assistant Teacher Written Exam Shikshan Kaushal Question Answer in Hindi
68500 Assistant Teacher Written Exam Shikshan Kaushal Question Answer in Hindi
प्रश्न- शिक्षार्थी केंद्रित उपागम से क्या सुनिश्चित करता है?
उत्तर- शिक्षार्थी केंद्रित उपागम शिक्षार्थियों की सक्रिय सहभागिता को सुनिश्चित करता है और उन्हें अपने अनुभवों को उपयोग करने और अधिक आत्मनिर्देशित और उत्तरदायी बनने को प्रोत्साहित करता है।
प्रश्न- शिक्षार्थी केंद्रिय उपागम किन रुपों में अधिक प्रभावी हैं?
उत्तर- शिक्षार्थी केंद्रित उपागम व्यक्ति-सापेक्ष अधिगम को बढ़ावा देता है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक शिक्षार्थी को अधिगम प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता का अवसर मिलता है।
प्रश्न- शिक्षार्थी केंद्रित उपागम में, शिक्षक की क्या भूमिका है?
उत्तर- शिक्षार्थी केंद्रित उपागम में, शिक्षक की भूमिका अत्यंत निर्णायक और कठिन है। शिक्षक शिक्षार्थियों को अभिप्रेरित करना होता हैं।
प्रश्न- शिक्षक, शिक्षार्थियों की सहभागिता को बढ़ाने के लिए कदम उठाता है?
उत्तर- शिक्षक प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सभी शिक्षार्थियों को प्रोत्साहित करता है, यथासंभव अधिकाधिक प्रश्न पूछता है, प्रश्नों के उत्तर देने में हिचकते हैं शिक्षार्थियों को प्रोत्साहित करता है, एक शिक्षार्थी के उत्तर को दूसरे शिक्षार्थी से शुद्ध करवाता है, शिक्षार्थियों को एक-दुसरे के साथ सहयोग करने के अवसर देता है, शिक्षार्थियों को सामूहिक क्रिया-कलापों के लिए प्रोत्साहित करता है और शिक्षार्थियों से कुछ विचारोत्तेजक प्रश्न पूछता है।
प्रश्न- शिक्षण के दौरान कौन-से सोपान अपनाए जा सकते हैं?
उत्तर- शिक्षण के समय प्रस्तावना, प्रस्तुतीकरण, क्रियान्वयन, पुनरावृत्ति, मूल्यांकन, अनुवर्ती क्रिया, सुझाव एवं स्व-मूल्यांकन सोपान अपनाए जा सकते हैं।
प्रश्न- उन चरणों की सूची बनाइए जिन्हें आपने शिक्षण-पूर्व क्रिया-कलापों के रुप में अपनाना है।
उत्तर- पाठ योजना, उद्देशय, प्रस्तावना, पुनरावृत्ति एवं मूल्यांकन शिक्षण पूर्ण क्रिया-कलापों के रुप में अपनाया जाता है। कक्षा, विषय, प्रकरण और समय नोट करना, शिक्षण-बिंदुओं का चयन करना, उद्देश्यों का निर्माण करना, उपयुक्त शिक्षण साधन तैयार करना।
प्रश्न- पाठ आयोजना के लिए शिक्षण द्वारा अपनाए जाने वाले सोपानों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर- प्रभावी शिक्षण और संप्रेषण के लिए प्राथमिक स्तर पर प्रयुक्त होने वाली दृश्य-श्रव्य साधनों को रुप से कोटियों में वर्गीकृत किया जाता है।
प्रश्न- संप्रेषण क्या है?
उत्तर- संप्रेषण विद्यालय जीवन में स्वस्थ अंतर्वैयक्तिक अंत:क्रिया की कुंजी है, जिसके फलस्वरुप विद्यालय जीवन प्रभावी और व्यवस्थित होता है। संप्रेषण प्रभावी निर्णय के लिए भी आवश्यक है यह एक ऐसा माध्यम है, जिससे निर्णय के लिए संगत सूचना स्थानांतरित होती है।
प्रश्न- संप्रेषण बाधाएं क्या हैं?
उत्तर- संप्रेषण की बाधाएं निम्नलिखित हैं- वैयक्तिक बाधाएं, भौतिक बाधाएं और शब्दार्थ-विषयक बाधाएं।
प्रश्न- स्वानुभविकता/अन्वेषणात्मकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- अन्वेषणात्मकता का अर्थ है समस्या समाधान तथा ज्ञान संसाधन के लिए सामान्य अनुभवाधारित (व्यवहारपरक) प्राविधिक मार्गदर्शक सिद्धांत, जैसे- यह मालूम करना कि क्या-क्या सूचनाएं दी गई है और क्या करना आपेक्षित है।
प्रश्न- जॉन ड्यूई ने प्रभावी समस्या समाधान के लिए कितने पग प्रस्तावित किए?
उत्तर- जॉन ड्यूई ने प्रभावी समस्या-समाधान करने के लिए अधोलिखित पग प्रस्तावित किए हैं- समस्या का प्रस्तुतीकरण, समस्या की परिभाषा, परिकल्पनाओं का विकास, परिकल्पनाओँ का परीक्षण तथा सर्वोत्तम परिकल्पना का चयन।
प्रश्न- पृष्ठ स्तर तथा गहन स्तर अध्येताओं के बीच अंतर स्पष्ट करें?
उत्तर- पृष्ठ-स्तरी अध्येता विषय सामग्री को रटने का प्रयत्न करते हैं ताकि वे उसे सुना सकें, जबकि गहन-स्तरी अध्येता सामग्री को समझने, उसके प्रति अंतर्दृष्टि पैदा करने, और यह सोचने का प्रयास करते हैं कि इसे प्रभावी रुप से कैसे प्रयोग में लाया जाए।
प्रश्न- प्रमुख चिंतन कौशलों के नाम उल्लेख कीजिए?
उत्तर- दस चिंतन कौशल हैं- वर्गीकरण करना, अनुमान लगाना, परिकल्पना करना, संक्षेपण करना, संश्लेषित करना, अनुक्रमण करना, पूर्वकथन करना, पुन:संगठित या व्यवस्थित करना तथा निश्चित करना।
प्रश्न- विद्यालयों में चिंतन कौशल क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर- विद्यालयों में चिंतन कौशलों के लिए अध्यापन आवश्यक है, क्योंकि इससे विद्यार्थियों के परीक्षण समंकों तथा बुद्धि परीक्षण समकों में सुधार होता है।
प्रश्न- एडगर डेल ने अनुभव को कितने वर्गों में वर्गीकृत किया है?
उत्तर- एडगर डेल ने ‘अनुभव’ को प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष या प्रतिस्थानिक (vicarious) और अमूर्त में वर्गीकृत किया है।
प्रश्न- शैक्षिक प्रौद्योगिकी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- शैक्षिक प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग शिक्षण/अधिगम प्रक्रिया में पद्धति को और अधिक दक्ष और प्रभावशाली बनाने के प्रमुख उद्देश्य से किया जाता है।
प्रश्न- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के मूल्यांकन का प्रयोजन स्पष्ट करें।
उत्तर- शैक्षिक प्रौद्योगिकी या शैक्षिक प्रौद्योगिकी के किसी कार्यक्रम के मूल्यांकन की योजना में किसी भी निर्देश की रणनीति सम्मिलित होती है, जैसे- विद्यालयी बालकों के लिए शैक्षिक टेलीविजन कार्यक्रमों का मूल्यांकन, बालकों के लिए बहुआयामी कंप्यूटर शिक्षण कार्यक्रम का मूल्यांकन, दूर शिक्षा प्रणाली का मूल्यांकन इत्यादि।
प्रश्न- शैक्षिक प्रौद्योगिकी का प्रमुख प्रयोजन क्या है?
उत्तर- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के प्रमुख प्रयोजन निम्नलिखित हैं- शैक्षिक प्रौद्योगिकी की प्रभावशीलता को परखने में, लागत लाभ एवं समय के संदर्भ में शैक्षिक प्रौद्योगिकी की गुणता को निर्धारित करने में तथा शैक्षिक प्रौद्योगिक की रुपरेखा, उसके निष्पादन तथा बजट बनाने के संदर्भ में निर्णय लेने हेतु प्रतिपुष्टि प्राप्त करने में।
प्रश्न- मूल्यांकन को कितने वर्गों में वर्गीकृत किया गया है?
उत्तर- मूल्यांकन को विभिन्न दृष्टिकोणों से वर्गीकृत किया जाता है- उत्पाद मूल्यांकन तथा प्रक्रिया मूल्यांकन, उद्देश्य आधारित मूल्यांकन तथा लक्ष्य मुक्त मूल्यांकन, संकलन मूल्यांकन तथा रचनात्मक मूल्यांकन।
प्रश्न- उत्पाद मूल्यांकन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- ‘उत्पाद मूल्यांकन’ शैक्षिक प्रौद्योगिकी की शक्ति तथा कमियों की ओर संकेत करता है।
प्रश्न- प्रक्रिया मूल्यांकन से क्या समझते है?
उत्तर- प्रक्रिया मूल्यांकन संकेत देता है कि, कार्यक्रम निर्धारित मार्ग को अपना रहा है या उनसे विचलित हो रहा है।
प्रश्न- संकलानात्मक मूल्यांकन का क्या अर्थ है?
उत्तर- संकलनात्मक मूल्यांकन का अर्थ है शैक्षिक प्रौद्योगिकी के उत्पाद का उसके कार्यान्वयन की समाप्ति पर मूल्यांकन करना।
प्रश्न- रचनात्मक मूल्यांकन का क्या अर्थ है?
उत्तर- रचनात्मक मूल्यांकन का अर्थ है शैक्षिक प्रौद्योगिकी के निष्पादन का समय-समय पर मूल्यांकन।
प्रश्न- उद्देश्य-आधारित मूल्यांकन का क्या अर्थ है?
उत्तर- उद्देश्य-आधारित मूल्यांकन का अर्थ है शैक्षिक प्रौद्योगिकी की उपयोगिता को पूर्व-निर्धारित उद्देश्यों की कसौटी के विरुद्ध मूल्यांकित करना।
प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न उपागम कौन-कौन से है?
उत्तर- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के मूल्यांकन के उपागम है- वैज्ञानिक उपागम एवं मानवतावादी उपागम।
प्रश्न- संदर्भ मूल्यांकन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- संदर्भ मूल्यांकन घटक में विशिष्ट अनुदेश व्यवस्था से संबंधित आवश्यकताओं की जांच तथा समस्याओं की जानकारी का आंकलन करना सम्मिलित है। आवश्यकता का अर्थ है विद्यमान स्थिति तथा अपेक्षित स्थित में अंतर।
प्रश्न- निवेश मूल्यांकन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- निवेश मूल्यांकन घटक का संबंध उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक संसाधनों व कार्यनीतियों के विषय में निर्णयन से है। मूल्यांकनकर्ता साधनों एवं मानव संबंधी वैकल्पिक सुविधाओं संबंध में सभी प्रकार की सूचनाएं एकत्रित करता है, वह संसाधनों तथा कार्यनीतियों के औचित्य के संबंध में निर्णय करता है तथा बाध्यताओं के बीच वह श्रेष्ठतम संसाधनों तथा कार्यनीतियों का चयन करता है।
प्रश्न- प्रक्रिया मूल्यांकन का क्या तात्पर्य है?
उत्तर- प्रक्रिया मूल्यांकन घटक में कार्यक्रम क्रियान्वयन संबंधी सामग्री का मूल्यांकन किया जाता है। क्रियान्वयन के संबंध में सभी प्रकार की संभावित सूचनाएं एकत्रित की जाती है। एक निश्चित समयावधि के लिए कार्यक्रम की घटनाओं की रिकॉर्ड रखा जाता है। परियोजना के संचालन के संबंध में दिन प्रतिदिन के आधार पर अनुवीक्षण किया जाता है।
प्रश्न- उत्पाद मूल्यांकन का क्या तात्पर्य है?
उत्तर- उत्पाद मूल्यांकन का लक्ष्य यह निर्धारित करना है कि कार्यक्रम के लक्ष्य किस सीमा तक प्राप्त किए जा चुके है। विभिन्न कसौटियों से संबंधित विभिन्न उपकरण तैयार कर उन्हें प्रशासित किया जाता है। उत्पाद मूल्यांकन निर्णयकर्ताओं को यह निर्णय लेने में सहायता करता है कि कार्यक्रम को कुछ सुधारों के साथ जारी रखा जाए अथवा नहीं।
प्रश्न- अनुभव किसे कहते है?
उत्तर- ‘अनुभव’ अंग्रेजी शब्द ‘ऐक्सपीरिएन्स’ (Experience) का समानार्थी है जिसकी व्युत्पत्ति ‘Expert’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है ‘परीक्षण करना’।
प्रश्न- आनुभविक अधिगम क्या है?
उत्तर- आनुभविक अधिगम की प्रकृति का निर्धारण निम्नांकित कारकों से होता हैं- 1. करके सीखना, 2. दैनिक अनुभव के द्वारा व्यक्तिगत अधिगम, 3. आनुभविक सामाजिक समूह प्रक्रियाएं तथा 4. कक्षा में आनुभविक अधिगम।
प्रश्न- आनुभविक अधिगम की कौन-कौन सी अवस्थाएं हैं?
उत्तर- आनुभविक अधिगम अवस्थाएं निम्नलिखित हैं- ठोस व्यक्तिगत अनुभव, उस अनुभव का प्रेक्षण और मनन, अमूर्त अवधारणाएं और सामान्यीकरण, सक्रिय प्रयोगीकरण अर्थात् नवीन स्थितियों में सामान्यीकरण का परीक्षण।
प्रश्न- अधिगम संप्रत्यय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- अधिगम की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं- अधिगम लक्ष्य निर्दिष्ट तथा सप्रयोजन होता है, अधिगम एक सक्रिय प्रक्रिया है, अधिगम व्यक्तिगत होता है, अधिगम सृजनात्मक होता है और अधिगम अंतरणीय होता है।
प्रश्न- अधिगम प्रक्रिया से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- अधिगम ऐसी प्रक्रियाएं हैं जिनके द्वारा हम विश्वास, दृष्टिकोणों और कौशलों को अर्जित करते हैं।
प्रश्न- अधिगम के मुख्य सिद्धांत कौन-से हैं?
उत्तर- प्रमुख अधिगम सिद्धांत निम्नलिखित हैं- प्रभाव (परिणाम) का नियम, प्रबलता का नियम, अभ्यास का नियम, तत्परता का नियम आदि।
प्रश्न- अधिगम की प्रवृत्ति के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
उत्तर- विषय-वस्तु से संबंधित अवस्थाएं एवं अध्यापक तथा अधिगमार्थी क्रिया-कलाप, उद्देश्य तथा पाठ्यक्रम का व्यवस्थापन अथवा संगठन आदि अधिगम-प्रक्रिया की प्रकृति के निर्धारक हैं।
प्रश्न- संप्रत्यय के स्वरुप से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- हिलडा टाबा (Hilda Taba) की दृष्टि में संप्रत्यय अत्यधिक अमूर्त भावों व धारणाओं का एक जटिल निकाय है जिसका निर्माण निरंतर और लगातार अनुभूतियों व अनुभवों के आधार पर ही संभव होता है।
प्रश्न- अधिगम के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर- अधिगम के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं- प्रेक्षण द्वारा अधिगम, अनुकरण द्वारा अधिगम, भूल औ प्रयास द्वारा अधिगम, अंतर्दृष्टि द्वारा अधिगम आदि।
प्रश्न- अधिगमांतरण का क्या अर्थ है?
उत्तर- अधिगमांतरण का अर्थ है कि, मन के एक शक्तिसंकाय को दिया गया प्रशिक्षण अन्य मानसिक शक्तियों के प्रकार्यों में सहायक हो सकता है।
प्रश्न- अधिगमांतरण के कितने प्रकार हैं?
उत्तर- अधिगमांतरण तीन प्रकार के हो सकते हैं- विधेयात्मक अंतरण, निषेधात्मक अंतरण तथा शून्य अंतरण।
प्रश्न- अधिगम उपागम किससे संबंधित है?
उत्तर- अधिगम के उपागम मुख्य रुप से उनकी कार्यशैली, प्रविधि तथा अधिगम तकनीकों से संबंधित होते हैं। ये उपागम सभी प्रकार के अधिगम कार्यों पर लागू हो सकते हैं।
प्रश्न- अधिगम के क्षेत्र में कितने उपागम प्रचलित हैं?
उत्तर- अधिगम के क्षेत्र में सामान्यत: दो प्रकार के उपागम प्रचलित हैं- तल उपागम तथा नितल उपागम या (गहन उपागम)।
प्रश्न- अधिगम का व्यवहारवादी उपागम किसे कहते हैं?
उत्तर- वह उपागम, जिसमें अधिगम का उद्दीपन तथा अनुक्रिया के मध्य संबंध व्यक्त किया गया हो, अधिगम की व्यवहारवादी विचारधारा कहा गया है।
प्रश्न- व्यवहारगत उपागम के मुख्य सिद्धांत क्या है?
उत्तर- अधिगम के फलस्वरुप व्यवहार परिवर्तन होता है। अधिगम उसी अवस्था में होता है, जबकि अपेक्षित परिवर्तन के लिए उपयुक्त वातावरणीय अवस्थाएं व्यवस्थित की जाएं परिणामी व्यवहारगत परिवर्तन वस्तुगत रुप से प्रेक्षणीय होता है।