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68500 Assistant Teacher Written Exam Shikshan Kaushal Study Material in Hindi

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शिक्षण कौशल

“शिक्षण की विधियां एवं कौशल, शिक्षण अधिगम के सिद्धान्त, वर्तमान भारतीय समाज एवं प्रारंभिक शिक्षा, समावेशी शिक्षा, प्रारंभिक शिक्षा के नवीन प्रयास, शैक्षिक मूल्याकंन एवं मापन, आरंभिक पठन कौशल, शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशासन”

Shikshan Kaushal Question Answer in Hindi

प्रश्न – शिक्षण क्या है?

उत्तर – शिक्षण (अनुदेशन) नियंत्रित वातावरण प्रदान करने की वह प्रक्रिया है जिसके विभिन्न कारकों से अंत:क्रिया द्वारा छात्र अनुभव ग्रहण करता है तथा पूर्वनिर्धारित अधिगम निष्पत्तियों की प्राप्ति करता है।

प्रश्न- वैयक्तिकीकरण का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- प्रत्येक बच्चे की एक पृथक सत्ता है। प्रत्येक बच्चे की अपनी अनूठी अस्मिता, व्यक्तित्व है, जिसको हमनें संभालना संवारना है तथा साथ ही सम्मान भी देना है। यह विशिष्ट वैयक्तिक आवश्यकताओं, सामर्थ्यों, कमजोरियों और आकांक्षाओं पर ध्यान देता है।

प्रश्न- वैयक्तिकीकरण की प्रकृति का क्या अभिप्राय है?

उत्तर- प्रत्येक बच्चे के सीखने की गति भिन्न होती है। उसके अधिगम/समस्या से निपटने का तरीका अलग होता है। कोई बच्चा चाक्षुष चित्रण के माध्यम से बेहतर ढंग से सीखता है, तो कोई चाक्षुष तथा श्रव्य, दोनों ही प्रकार के उद्दीपनों के द्वारा सीखता है। कोई मूर्त पदार्थों के माध्यम से बेहतर ढंग से समझता है, तो कोई ‘करके’ समझता है।

प्रश्न- स्वतंत्र अध्ययन का क्या आशय है?

उत्तर- स्वतंत्र अध्ययन से तात्पर्य उस प्रकार की अनुदेशात्मक विधियों से है जिनका वैयक्तिक स्तर पर शिक्षार्थी में पहल, आत्म-निर्भरता और आत्म-सुधार के विकास के पोषण के लिए उद्देश्यत: प्रावधान किया जाता है।

प्रश्न- दत्तकार्य किसे कहते हैं?

उत्तर- दत्तकार्य सामान्यत: पढ़ाए गए विषय/प्रकरण पर दिया जाता है शिक्षार्थी जो कुछ सिखाया गया है उसका मूल्यांकन करना इसका मुख्य उद्देश्य होता है। दत्तकार्य व्यक्तिय हो सकता है अथवा सामूहिक।

68500 Assistant Teacher Written Exam Shikshan Kaushal Study Material in Hindi
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प्रश्न- शिक्षा की प्रमुख विधाएं कौन-सी हैं?

उत्तर- औपचारिक, गैर-औपचारिक और अनौपचारिक, शिक्षा की प्रमुख विधाएं हैं।

प्रश्न- विद्यालय के सामाजिक संगठन का वर्णन कीजिए।

उत्तर- विद्यालय के सामाजिक संगठन के चार मुख्य स्तर हैं। संरचना के शार्ष पर विद्यालय बोर्ड होता है, जो विद्यालय नीति बनाता है। दूसरे स्तर पर विद्यालय प्रशासक/अधीक्षक/प्रधानाचार्य/पर्यवेक्षक होते हैं। विद्यालय के तीसरे स्तर पर अध्यापक होते हैं। चौथे स्तर पर विद्यार्थी होते हैं।

प्रश्न- विद्यालयों के उद्देश्य कैसे निर्धारित किए जाते हैं?

उत्तर- विद्यालय के उद्देश्य राष्ट्रीय ध्येयों से व्युत्पन्न शिक्षा ध्येयों के आधार पर निरुपित होते हैं।

प्रश्न- विद्यालय तभी प्रभावी हो सकता है, जब वह समुदाय से जुड़कर कार्य करे, अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- विद्यालय को अपने ध्येयों की प्राप्ति के लिए समुदाय के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हुए कार्य करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, ग्रामीण विद्यालय गांव के किसानों के कृषि ज्ञान से लाभान्वित हो सकते हैं और ग्रामीण विद्यालय अपनी ओर से किसानों को कृषि में नवीनतम परिवर्तनों से अवगत करा सकते हैं।

प्रश्न- अभिभावक, समुदाय और विद्यालय के बीच किस प्रकार के संबंध हैं?

उत्तर- अभिभावक, विद्यालय और समुदाय के बीच एक व्यवहार्य कड़ी होते हैं। वे विद्यालय को समुदाय की अपेक्षाओं से अवगत करा सकते हैं और विद्यालय भी उनके माध्यम से अपनी बात समुदाय तक पहुंचा सकता है।

प्रश्न- विद्यालय संकुल में किसका उपयोग कर सकते हैं?

उत्तर- विद्यालय संकुल में विद्यालय, पुस्तकालय सुविधाओं, प्रयोगशाला सुविधाओं, खेलकूद संबंधी सुविधाओं, विज्ञान क्लब, आदि का मिलकर उपयोग कर सकते हैं।

प्रश्न- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के मूल्यांकन में गुणता बनाए रखने की क्या कसौटी है?

उत्तर- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के मूल्यांकन में गुणता बनाए रखने की दृष्टि से हमें कुछ बिन्दुओं को अपने ध्यान में रखना चाहिए। वे हैं- उपयोगिता, सुसाध्यता, उपयुक्तता तथा परिशुद्धता।

प्रश्न- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के संदर्भ में प्रबंधन की अवधारणा को स्पष्ट करें?

उत्तर- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के प्रबंधन का अर्थ ध्येय की प्राप्ति एवं परिणाम के प्रभावी उपलब्धि हेतु उपस्थित संसाधनों का क्रमबद्ध उपयोग है।

प्रश्न- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के संदर्भ में प्रबंधन के प्रकार्य को स्पष्ट करें?

उत्तर- प्रबंधन विशेषज्ञ प्रबंधन के पांच प्रमुख प्रकार्यों पर बल देते हैं- योजना बनाना, आयोजन, कर्मचारी भर्ती, निदेशन एवं नियंत्रण करना।

प्रश्न- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के प्रबंधन के लिए प्रणाली उपागम से क्या आशय है?

उत्तर- शैक्षिक प्रौद्योगिकी के प्रबंधन में प्रणाली उपागम का व्यवस्थित अनुप्रयोग प्रबंधन की क्रिया विधि की ओर प्रभावी एवं सक्षण बनाता है। प्रणाली उपागम का उद्देश्य है वैज्ञानिक उपागम द्वारा “प्रभावी” एवं “दक्ष” कार्यनीतियों को सम्मिलित करते हुए समस्या का समाधान करना।

प्रश्न- दक्षता से क्या तात्पर्य है?

उत्तर- “दक्षता” अन्य उपागमों की तुलना में लगाए गए समय और ऊर्जा के रुप में किसी उपागम की संभाव्यता को दर्शाता है, इसे अनकूलतम निर्गत के रुप में देखा जाना चाहिए जो कि कुशल माध्यम को अपनाने से उत्पन्न हुई है।

प्रश्न- शैक्षिक प्रौद्योगिकी प्रबंधन के कितने चरण हैं?

उत्तर- शैक्षिक प्रौदेयोगिकी के प्रभावी प्रबंधन हेतु निम्नलिखित चरण अपनाया जा सकता है-

1.“जो किया जाना चाहिए”, उसका विश्लेषण। (उद्देश्यों का विश्लेषण)

  1. “उसे किस प्रकार किया जाए”, उसका अभिकल्प बनाना। (कार्यनीति निर्माण)
  2. अभिकल्प लागू करने हेतु संसाधनों को पहचानें/प्राप्त करें।

प्रश्न- उद्देश्यों और लक्ष्यों के निर्धारण के लिए कौन-कौन से घटक प्रयोग में लाए जाते हैं?

उत्तर- उद्देश्यों और लक्ष्यों के निर्धारण के घटक हैं- लक्षित समष्टि का विश्लेषण, स्थिति/संदर्भ आवश्यकताएं एवं समस्याएं।

प्रश्न- मनश्चालक पक्ष के विकास हेतु कौन-सा माध्यम सर्वोत्तम है?

उत्तर- मनश्चालक पक्ष के विकास हेतु श्रव्य टेप माध्यम सर्वोत्तम है।

प्रश्न- कौन-सा माध्यम सावधानीपूर्ण विचार-विमर्श द्वारा विश्लेषण प्रदान करता है?

उत्तर- व्याख्यान माध्यम सावधानीपूर्ण विचार विमर्श द्वारा विश्लेषण प्रदान करता है।

प्रश्न- प्रभावी संप्रेषण का क्या अर्थ है?

उत्तर- मीडिया के चयन में प्रभावी संचरण (संप्रेषण) सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक होता है। जब भी किसी माध्यम का चयन करना हो तो इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि वह चयनित माध्यम प्रभावी रुप से निर्दिष्ट संदेश या सूचना का संचरण या संप्रेषण कर सके।

प्रश्न- शैक्षणिक परिवेश के अंतर्गत क्या आता है?

उत्तर- एक शैक्षणिक परिवेश के अंतर्गत अध्यापक, अध्येता, विषय-वस्तु या अधिगम अनुभव, विधि और मीडिया आते हैं।

प्रश्न- उपलब्धता तथा अधिगम्यता किसी संचार माध्यम के चयन को कैसे प्रभावित करती है?

उत्तर- जब भी हम किन्हीं साधनों का चयन करते हैं तो वे स्थानीय रुप से अथवा विद्यालय में उपलब्ध होने चाहिए। कई बार कुछ संचार साधन (माध्यम) विद्यालय में उपलब्ध होते हैं, परंतु कक्षा के कार्यकलापों के लिए अभिगम्य नहीं होते। ऐसे मीडिया का चयन निरर्थक होगा। अत: मीडिया चयन में मीडिया की उपलब्धता तथा अभिगम्यता दोनों को ध्यान में रखना चाहिए।

प्रश्न- मीडिया के चयन में लागत की भूमिका स्पष्ट करें?

उत्तर- मीडिया का चयन करते समय अध्यापक को मीडिया की लागत से अवगत होना चाहिए या इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि वह उसे खरीदने में समर्थ है अथवा नहीं। उसको सदैव उन्हीं मीडिया का चयन करना चाहिए जो विद्यालय बजट के अंदर हों।

प्रश्न- मीडिया चयन के प्रमुख चरणों पर प्रकाश डालिए?

उत्तर- मीडिया चयन में चार चरण होते हैं। ये हैं : 1. उद्देश्य का लिखना, 2. उस क्षेत्र को मालूम करना जिसके अंतर्गत उद्देश्य को वर्गीकृत किया जा सकता हों, 3. मीडिया चयन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों को मालूम करना।

प्रश्न- मल्टीपलमीडिया तथा मल्टीमीडिया का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- जब अध्यापन में एक से अधिक मीडिया का समाकलन करते हैं तो इससे मल्टीपलमीडिया या मीडिया-मिश्र कहते हैं, परंतु जब एक ही मीडिया में कई सारे मीडिया के लक्षण या विशेषक विद्यमान हों तो इसे मल्टीमीडिया कहते हैं।

प्रश्न- अधिगम कौशल से क्या तात्पर्य हैं?

उत्तर- अधिगम संबंधी कौशलों का तात्पर्य विद्यार्थियों में अधिगम के प्रति आत्मविश्वास और सक्षमता के विकास से है। परंपरागत अर्थ में वाचन, लेखन तथा अंकगणित (3R’s) तीन मूलभूत अधिगम कौशल समझे जाते हैं।

प्रश्न- अधिगम प्रक्रिया की कितनी अवस्थाएं होती हैं?

उत्तर- अधिगम प्रक्रिया में अनिवार्यत: तीन अवस्थाएं होती हैं, उदाहरणार्थ- नए ज्ञान अथवा नई सूचनाओं को ग्रहण करना (उपार्जन), संश्लेषित करना तथा अनुप्रयोग करना।

प्रश्न- विज्ञान शिक्षण का प्रयोजन क्या है?

उत्तर- विज्ञान शिक्षण का प्रयोजन और उद्देश्य मानव क्षमताओं के विकास से है जिसमें विज्ञान शिक्षण का ज्ञानात्मक, भावात्मक और मनश्चालित विकास होता है।

प्रश्न- प्रक्रिया में कौन-सी क्रियाएं शामिल होती हैं?

उत्तर- प्रक्रिया में निम्नलिखित क्रियाएं शामिल हैं- कार्य करने की विधियां/तरीके, किसी क्रिया की विभिन्न अवस्थाओं की योजना, सूचनाएं एकत्रित करना और ध्यान में रखने के लिए उन्हें क्रमानुसार चरणों में व्यवस्थित करना।

प्रश्न- विज्ञान की प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है?

उत्तर- विज्ञान में सूचना एकत्रित करने का तरीका, विचार, मापन, समस्या का समाधान या दूसरे शब्दों में विज्ञान सीखने की विधियां  “विज्ञान की प्रक्रिया” कहलाती है।

प्रश्न- प्रक्रमण कौशल किसे कहते हैं?

उत्तर- प्रेक्षण, वर्गीकरण, संप्रेषण, मापन, अनुमान लगाना, पूर्व कथन/प्रायुक्ति को प्रक्रमण कौशल कहते हैं।

प्रश्न- वर्गीकरण से क्या तात्पर्य है?

उत्तर- वर्गीकरण का तात्पर्य निश्चित वस्तुओं के समूह को एक स्थान पर उनकी समानताओं के आधार पर इकट्ठा रखने से हैं।

प्रश्न- तथ्य क्या है?

उत्तर- तथ्य (यर्थाथता) विशिष्ट प्रमाणित करने योग्य, सूचना का एक भाग है जो प्रेक्षण और मापन द्वारा प्राप्त होता है।

प्रश्न- संकल्पनाएं (अवधारणाएं) क्या हैं?

उत्तर- संकल्पनाएं अमूर्त विचार हैं, जो तथ्यों या विशिष्ट अनुभवों के सामान्य अनुमान से संबंधित हैं। साथ ही संकल्पनाएं एकाकी विचारधाराएं हैं जो अकेले शब्दों द्वारा प्रस्तुत की जाती हैं। जैसे- कुर्सी, किताब, फूल, बफादारी, लोकतंत्र, विद्यार्थी आदि।

प्रश्न- नियम से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- नियम विभिन्न जटिल संकल्पनाओं की जटिल विचारधाराएं हैं। यह वे नियम हैं जिन पर क्रियाओं या वस्तुओं के व्यवहार आधारित हैं। जैसे- पॉली ता निषेध नियम, अफबाऊ के नियम, हुंड का नियम इत्यादि।

प्रश्न- सिद्धांत से क्या तात्पर्य है?

उत्तर- विस्तृत रुप से संबंधित नियम जो घटना का विवरण प्रदान करते हैं सिद्धांत कहलाते हैं।

प्रश्न- विज्ञान शिक्षण के लक्ष्य क्या हैं?

उत्तर- विज्ञान शिक्षण के लक्ष्य हैं- प्रेक्षण, वर्गीकरण मापन तथा संप्रेषण आदि प्रक्रियाओं के कौशलों का विकास, ज्ञान की प्राप्ति तथा समझ, समस्या समाधान कौशल का विकास, अन्वेषण का कौशल, तर्कपूर्ण ढंग से विचार करने की योग्यता एवं प्रयोगों के आधार पर निष्कर्ष निकालना आदि।

प्रश्न- प्रोफेसर ब्लूम द्वारा किया गया शिक्षा का वर्गीकरण क्या है?

उत्तर- प्रो. ब्लूम और उनके साथियों ने शिक्षा के उद्देश्यों का वर्गीकरण के मॉडल में विद्यार्थी के विकास के संज्ञानात्मक, भावात्मक और मनश्चालक तीनों पक्षों का वर्णन किया है।

प्रश्न- संज्ञानात्मक पक्ष का क्या तात्पर्य है?

उत्तर- संज्ञानात्मक पक्ष का संबंध मानसिक जीवन के बौद्धिक अवयव से है। मानसिक योग्यता को निम्न क्रम में रखा गया है- ज्ञान->बोध->अनुप्रयोग->विश्लेषण-> संशलेषण-> मूल्यांकन

प्रश्न- विज्ञान शिक्षण के लिए सामान्य शैक्षणिक उद्देश्य क्या हैं?

उत्तर- विज्ञान शिक्षण के सामान्य शैक्षणिक उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. संज्ञानात्मक पक्ष-ज्ञान, बोध और अनुप्रयोग।
  2. मनश्चालक पक्ष-रुचि, अभिवृति, कौशल।

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