CCC Study material & Notes Hindi & English प्रेजेण्टेशन ( presentation)
CCC Study material & Notes Hindi & English डाटा रिप्रेजेण्टेशन ( Data Representation) इस पोस्ट में कम्प्यूटर के डाटा रिप्रेजेण्टेशन सें सम्बंन्धित सम्पूर्ण जानकारी details में दी गई हैं। इसमें डाटा को इलेक्ट्रॉनिक संकेतों की उपस्थिति या अनुपस्थिति के रूप में व्यक्त किया गया हैं।
कम्प्यूटर बाइनरी लॉजिकल परिपथ से निर्मित होता है। इसमें डाटा को इलेक्ट्रॉनिक संकेतों की उपस्थिति या अनुपस्थिति के रूप में व्यक्त किया जाता है। डाटा का यह प्रतिनिधित्व बाइनरी या द्धि-अवस्था निरूपण कहलाता है। कम्प्यूटर में डाटा को व्यक्त करने के लिए संख्या पद्धति (Number System) की सहायता ली जाती है। यह संख्या प्रणाली बाइनरी अवस्था होती है, क्योंकि इसके इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के ट्रॉंजिस्टर दो अवस्थाओं को समझते हैं आँन (On) और आफ (Off) । आँन अर्थात् 1 कम्प्यूटर में कई कारणों से हमें आधार 2 वाली बाइनरी संख्या पद्धति का प्रयोग करना पड़ता है, लेकिन छोटी-छोटी संख्याओं को भी बाइनरी में लिखने पर बिटों की संख्या बहुत हो जाती है। उदाहरण के लिए यदि हम दाशमिक संख्या 555 को बाइनरी में लिखें तो हमें 9 बिटों का प्रयोग करना पड़ेगा। यदि यह संख्या और बढ़ जाए तो बिटों की संख्या भी असाधारण रूप से बढ़ जाएगी। ऐसी संख्याओं को लिखना और सम्भालना तो कठिन है ही, इन्हें याद करना तो लगभग असम्भव ही है। कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली को समझने के लिए संख्या प्रणालियों को समझना आवश्यक है। मुख्य संख्या प्रणालियाँ निम्नलिखित हैं
Computer Systems are based on logic circuits. This type of circuit only has two states. For example, a current can either be flowing/non flowing or a switch can be either on/off. These two states are easily and reliably detected and transmitted by computer systems.
In computer, data is represented in binary form because binary numbers are made up of only two digits (0 and 1 ) which means the two states of a logic circuit can easily represent/store a binary number (0 for OFF and 1 for ON).
In Computer storage, data is also easily stored in binary form. Every possible type of data such as numbers, text, audio, images etc has to be converted (digitised) into binary form before it can be stored or processed by computer system.
संख्या प्रणाली (Number System)
जिस पद्धति के अनुसार संख्याएँ लिखी जाती हैं तथा उनका मान (Value) निकाला जाता है, उसे संख्या पद्धति या संख्या प्रणाली कहतते हैं।
किसी संख्या प्रणाली में जितने अंकों का प्रयोग किया जाता है उन्हें उस संख्या प्रणाली का आधार कहा जाता है विभिन्न आधारों की कई संख्या प्रणालियाँ हो सकती हैं।
There are 4 main number systems-
1.Binary Number System
- Octal Number System
- Decimal Number System
- Hexadecimal Number System
दाशमिक संख्या प्रणाली (Decimal Number System)
हम अपने दैनिक जीवम में जिन संख्या पद्धति का उपयोग करते हैं, उसे दाशमिक संख्या प्रणाली (Decimal Number System) कहा जाता है। इसमें हम सभी संख्याओं का 0,1,2,3,4,5,6,7,8 तथा 9 चिह्नों या अंकों (digits) का प्रयोग करके लिखते हैं। उदाहरण के लिए 3437, -420, 12.53,+6.789 आदि कुछ संख्याएँ हैं, जो दाशमिक संख्या प्रणाली में लिखी गई हैं। अब संख्या 3437 पर ध्यान दीजिए। इसमें 3 अंक दो बार प्रयोग किया गया है।
पहली बार इसका मान 3000 है और दूसरी बार केवल 30 इसका कारण यह है कि किसी संख्या में प्रत्येक अंक के दो मान होते हैं- मुख मान (Face Value) तथा स्थानीय मान (Place Value)। प्रत्येक अंक का मुख मान सदा स्थिर रहता है; जैसे-अंक 3 का मुख मान सदा 3 ही रहेगा, लेकिन स्थानीय मान उसके स्थान के अनुसार बदलता रहता है।
दाशमिक संख्या पद्धति में अंकों के स्थानीय मान दाई ओर से बाईं ओर से क्रमश: दस गुने होते जाते है; जैसे-इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार, दस हजार, लाख, दस लाख आदि। दस गुना होने का कारण यह है कि दस संख्या प्रणाली में 0 से 9 अंक हैं अर्थात् इस संख्या पद्धति का आधार (Base) 10 है।
The decimal number system has this name because it has ten digits ranging from 0-9. Because of these ten digits, it is also called a Base Ten Number System. Usually number systems are written with a subscript (their base) but since decimal no. system is most widely used no. system is the world the subscript is usually understood and ignored. For example.
3437 =3 x 103 + 4 x102 + 3 x 101 + 7 x 100
=3 x 1000 + 4 x 100 + 3 x 10 + 7 x 1
=3000 + 400 + 30 + 7 =3437
बाइनरी संख्या प्रणाली (Binary Number System)
कम्प्यूटर एक ऐसी संख्या पद्धति में कार्य करते हैं, जिसमें केवल दो अंक है- 0 तथा 1, इसलिए इस पद्धति का आधार 2 है। इस पद्धति को बाइनरी अंक (Binary Digit) या बिट (Bit) कहा जाता है। अत: किसी बिट के दो मान हो सकते हैं- 0 तथा 1। बाइलरी प्रणाली का आधार 2 होने के कारण उसके स्थानीय मान दाईं ओर से बाईं ओर क्रमश: दोगुने होते जाते हैं अर्थात् 1,2,3,4,8,16,32,64 आदि। ये संख्याएँ 2 की घातों में क्रमश: 20,21,22,23,24,25,26 आदि के रूप में लिखी जा सकती है।
It is a base 2 number system. According to its name it supports only 2 numbers. Each digit or bit in binary numbers may be use to represent different quantities like 1010.
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