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CTET UPTET 2018 Muhavare Lokoktiyan Study Material in Hindi

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मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ (Muhavare And Lokoktiyan)

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मुहावरा (Muhavara)

जो वाक्यांश सामान्य अर्थ के स्थान पर विलक्षण अर्थ प्रकट करता है, उसे मुहावरा कहते हैं। मुहावरों के प्रयोग से भाषा में सरलता, सरसता तथा चमत्कार उत्पन्न होता है।

प्रमुख मुहावरे : अर्थ और प्रयोग

अपने मुँह मियाँ-मिट्ठू बनना – अपनी प्रशंसा स्वयं करना।

वाक्य प्रयोग – अपने मुँह मियाँ-मिट्ठू बनने वाले व्यक्ति का सम्मान नहीं होता।

अपना उल्लू सीधा करना – अपना मतलब निकालना।

वाक्य प्रयोग – आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं।

अपना-सा मुँह लेकर रह जाना – कार्य में असफल होने पर लज्जा का अनुभव करना।

वाक्य प्रयोग – जब योगेश अमित के भड़कावे में न आया, तो वह अपना-सा मुँह लेकर रह गया।

आँखों का तारा – अत्यधिक प्रिय।

वाक्य प्रयोग – संदीप माता-पिता की आँखों का तारा है।

आँखें दिखना – क्रोध करना।

वाक्य प्रयोग – एक तो टक्कर मार दी ऊपर से आँखें दिखा रहे हो।

आस्तीन का साँप – कपटी मित्र।

वाक्य प्रयोग – रवि अकेला तुम्हारे लिए आस्तीन का साँप बना हुआ है। हर जगह तुम्हारी निंदा करता है।

आग में घी डालना – क्रोध को भड़काना।

वाक्य प्रयोग – माँ-बेटे में झगड़ा हो रहा था, बहू ने माँ की कमियाँ गिनाकर और आग में घी डाल दिया।

ईंट का जवाब पत्थर से देना – दुष्ट की दुष्टता से बढ़कर दुष्टता करना।

वाक्य प्रयोग – कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया।

ईद का चाँद होना – बहुत दिनों बाद दिखाई देना।

वाक्य प्रयोग – मसूद भाई बहुत दिन बाद मिले हो, आप तो सच में ईद का चाँद हो गए हो।

कलेजे पर साँप लोटना – ईर्ष्या करना।

वाक्य प्रयोग – अमित का उच्च पद पर चयन हो जाने पर रवि के कलेजे पर साँप लोट गया।

कान भरना – चुगली करना।

वाक्य प्रयोग – चापलूस लोग किसी न किसी के विरुद्ध अधिकारियों के कान भरते रहते हैं।

कोल्हू का बैल – दिन-रात काम में जुटे रहना।

वाक्य प्रयोग – मोहन दिन-रात कोल्हू के बैल की तरह काम में जुटा रहता है फिर भी उसे समय से पारिश्रमिक नहीं मिलता।

चिराग तले अंधेरा – सर्वाधिक उपयुक्त स्थान पर किसी गुण का अभाव।

वाक्य प्रयोग – कल रात थाने से पुलिस अधिकारी की गाड़ी चोरी हो गई, सच है चिराग तले अंधेरा होता है।

छक्के छुड़ाना – बुरी तरह हराना।

वाक्य प्रयोग – छत्रपति शिवाजी ने मुगलों के छक्के छुड़ा दिए।

जमीन-आसमान एक कर देना – प्रयास करने में कोई कसर नहीं छोड़ना।

वाक्य प्रयोग – मैंने अपनी अंकतालिका खोजने में जमीन-आसमान एक कर दिया।

ढाक के तीन पात – सदा एकसा रहना।

वाक्य प्रयोग – अनपढ़ को उसके हित की बात समझाना व्यर्थ है, क्योंकि वह तो वही ढाक के तीन पात है।

लोकोक्ति (Lokoktiyan)

लोकोक्ति लोक-अनुभव पर आधारित उपवाक्य होते हैं। यह श्रोता के ह्रदय पर तीखा तथा गहरा प्रभाव डालते हैं। लोकोक्तियाँ युगों-युगों से संकलित होती हुई अपने विशेष अर्थों में आज तक लोक-लोक में प्रचलित हैं। इनका प्रयोग बोलचाल की भाषा में किए जाने के कारण, इन्हें कहावत भी कहा जाता है।

प्रमुख लोकोक्तियाँ तथा उनके प्रयोग

अंधों में काना राजा गुणहीन लोगों में थोड़े गुणों वाला व्यक्ति बहुत गुणवान माना जाता है।

अंधा क्या चाहे दो आँखें बिना किसी प्रयास के इच्छित वस्तु का मिलना।

अधजल गगरी छलकत जाए अधूरी योग्यता और कम क्षमता का व्यक्ति ही अधिक इतराता हैं।

अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुरा गई खेत काम बिगड़ जाने पर पछताने से कोई लाभ नहीं।

अपनी करनी पार उतरनी मनुष्य को अपने कर्म के अनुसार ही फल मिलता है।

आ बैल मुझे मार स्वयं ही मुसीबत खड़ी कर लेना।

आम के आम गुठलियों के दाम दोहरा लाभ होना।

इधर कुआँ उधर खाई दोनों ओर से संकट।

उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे दोष अपना धमकाए निर्दोष को।

ऊँची दुकान फीका पकवान नाम बड़ा होने पर भी बहुत कम गुण।

एक अनार सौ बीमार एक ही वस्तु के अनेक इच्छुक।

एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा एक दोष तो था ही, दूसरा और लग गया।

घर का भेदी लंका ढावे आपस की फूट से सर्वनाश होना।

घर की मुर्गी दाल बराबर घर की चीज का आदर नहीं होता।

चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात थोड़े समय का सुख

चोर की दाढ़ी में तिनका दोषी स्वयं डरता है।

चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए महा कंजूस होना।

जिसकी लाठी उसकी भैंस बलवान की हो जीत होती है।

जो गरजते हैं वो बरसते नहीं जो डींग मारते हैं, वे काम नहीं करते।

जल में रहे मगर से बैर जिसके सहारे रहे उसी से दुश्मनी करना।

तेते पाँव पसारिए जैती लाम्बी सौर आय के अनुसार खर्च करो।

तबले की बला बन्दर के सिर दोष किसी का, सजा दूसरे को।

धोबी का कुत्ता घर का न घाट का  कहीं का न रहना।

दूध का दूध पानी का पानी उचित न्याय।

देखें ऊँट किस करवट बैठता है देखें क्या फैसला होता है।

दूर के ढोल सुहावने होते हैं दूर की बातें अच्छी लगती हैं।

न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी न शर्त पूरी  होगी, न काम बनेगा।

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