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CTET UPTET Environmental Studies Family Study Material in Hindi

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पर्यावरण अध्ययन  Environmental Studies

परिवार एवं मित्र (Family and Friends)

परिवार CTET UPTET Study Material Question Paper)

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। व्यक्ति के सामाजिक जीवन में सबसे बड़ी भूमिका परिवार की होती है। व्यक्ति का जन्म प्राकृतिक प्राणी के रूप में परिवार में होता है। परिवार मानव समाज की प्राचीनतम एवं आधारभूत इकाई है। परिवार समाजिक व्यवस्था का लघुरूप, तथा ज्ञान की प्रथम पाठशाला हैं। समाज का लघुरूप परिवार है, जहाँ मनुष्य ने सामूहिक रूप से रहना सीखा। सामाजिक संगठनों में परिवार सबसे प्रमुख है। यही से व्यक्ति की शिक्षा प्रारम्भ होती है। मानवीय गुणों जैसै त्याग, प्रेम, सहयोग, भाईचारा, सेवा भावना, अनुशासन, आज्ञापालन, कर्तव्यपालन आदि की शिक्षा परिवार से ही प्राप्त होती है। बालक परिवार से ही सत्य- असत्य, न्याय-अन्याय, अपना-पराया, उदारता-अनुदारता, आलस्य परिश्रम, अच्छा- बुरा आदि में फर्क करने की शिक्षा प्राप्त करता है। परिवार ही व्यक्ति के सामाजिक जीवन का आधार है। अत: परिवार को अनौपचारिक शिक्षा का प्रभावशाली एवं प्रमुख साधन माना गया है।

परिवार शब्द अंग्रेजी भाषा के फैमिली शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है। फैमिली शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के फैमुलस नामक शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है- नौकर। लेककिन इस रथ में परिवार का अर्थ नहीं लगाया जाता है। फैमलस के विस्तृत अर्थ में, परिवार समाज की ऐसी इकाई है, जिसमें माता- पिता तथा उनके विवाहित एवं अविवाहित बच्चे तथा अन्य सदस्य सम्मिलित रहते हैं।

परिवार की विशेषताएँCTET UPTET Previous Year Study Material)

  1. सामाजिक संस्था
  2. वैवाहिक अनिवार्यता
  3. रक्त सम्बन्ध
  4. निवास स्थान
  5. नाम एवं वंशावली
  6. आर्थिक व्यवस्था
  7. सामाजिक सुरक्षा की बुनियादी इकाई

परिवार का वर्गीकरण (CTET UPTET Study Material)

परिवार को आकार की दृष्टि से दो भागों में विभक्त किया जाता है

  1. संयुक्त परिवार
  2. एकल परिवार

संयुक्त परिवार भारतीय सामाजिक जीवन का मुख्य आधार संयुक्त परिवार ही है। संयुक्त परिवार में दो तीन पीढियों के सदस्य शामिल रहते हैं और ये एक –दूसरें से सम्पत्ति, आय तथा पारस्परिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों से जुड़े रहते हैं। संयुक्त परिवार में माता- पिता, पुत्र-पत्री, भाई-बहन, पुत्रवधू एवं उनके बच्चे, चाचा –चाची, दादा-दादी आदि एक साथ एक ही घर में रहते हैं, अत: संयुक्त परिवार का आकार बड़ा होता है। सदस्यों का एक –दूसरे के प्रति असीमित उत्तरदायित्व होता है। सर्वाधिक आयु वाला व्यक्ति परिवार का मुखिया होता है और मुखिया ही प्रत्येक सदस्य के लिए आवश्यकतानुसार धन का व्यय सम्मिलित रूप से करता है।

एकल परिवार संयुक्त परिवार की एक लघु इकाई ही एकल परिवार है। संयुक्त परिवार विभिन्न प्रकार की समस्याओं के कारण विघटन होने पर एकल परिवार का कारण एकल परिवार में तीव्रता से वृद्धि हुई। एकल परिवार में पति-पत्नी तथा उनके अविवाहित बच्चे होते है।

परिवार का आधुनिक स्वरूप CTET UPTET 2017, 2018 Study Material)

भारत में संयुक्त परिवार ही आदर्श परिवार माना जाता है, परन्तु सुख-सुविधा की उपलब्धता, औद्दोगिकरण एवं शहरीकरण के कारण भारतीय परिवार पर पश्चिमी प्रभाव बढ़ता जा रहा है। आज का शिक्षित समाज प्राचीन रूढियों, परम्पराओं एवं अन्धविश्वासों से ऊपर उठकर जीवन जीना पसन्द कर रहा है, फलत: संयुक्त परिवार में विघटन की प्रवृति बढ़ रही है। परिस्थितियों के प्रभावस्वरूप भी परिवार का स्वरू प बदलने लगा है। आज के नवयुवक एवं नवयुवतियाँ विवाह पूर्व ही स्वतन्त्र व नियन्त्रण मुक्त जीवन की कल्पना करने लगते हैं। उन्हे किसी तरह का बन्धन स्वीकार नहीं है। सम्बन्धों के मायने बदल रहे हैं, परिवार की मर्यादा टूट रही है, इस प्रकार संयुक्त परिवार पाश्चात्य प्रकार के एकल परिवार का आधुनिक स्वरूप ले रहा है।

परिवार का महत्व (CTET UPTET Importance of Family Study Material)

मानव की जीवन यात्रा का शुभारम्भ परिवार से ही होता है तथा प्रारम्भिक एवं मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति परिवार में ही होती है। परिवार में बालक के व्यक्तित्व एवं चरित्र की नींव पड़ती है परिवार के मह्त्व को समाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक दृष्टि से स्पष्ट किया जा सकता है

1.सामाजिक महत्व

परिवार में ही रहकर व्यक्ति समाजीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप पशु स्तर से मानव में प्रवेश करता है। परिवार में रहकर ही व्यक्ति समाज के तौर-तरीके, मान्यताओं, आदर्शों, परम्पराओं, सामाजिक मूल्यों एवं उत्तरदायित्वों का ज्ञान प्राप्त करता है। परिवार ही व्यक्ति को समाज के अनुरूप बनाता है।

2. आर्थिक महत्व

आर्थिक दृष्टि से भी परिवार का महत्व कम नहीं है। मनुष्य की समस्त आर्थिक रूप से व्यक्ति को परिवार पर ही निर्भर रहना पड़ता है, परन्तु धीरे-धीरे परिवार के प्रयत्नों, साधनों एवं सहयोग द्वारा वह आत्मनिर्भर एवं स्वावलम्बी बनता है।

3. शैक्षिक महत्व

परिवार को एक शिक्षा –संस्था के रूप में स्वीकार किया जाता है। परिवार समाज का लघुरूप एवं बालक की प्रथम पाठशाला है और माँ उसकी प्रथम आदर्श शिक्षिका है। परिवार ही वह स्थान है जहाँ बालक को सभी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त होती हैं। परिवार में ही उसके शारीरिकस मानसिक, संवेगात्मकस सांस्कृतिक एवं नैतिक विकास की रूपरैखा तैयार होती है और उसके भावी जीवन की नींव पड़ती है। बालक के जीवन में शिक्षा का सर्वोपरि स्थान है। अत: शैक्षिक महत्व को स्पष्ट करने के लिए कुछ विद्नों के कथन निम्न हैं

  • मैजिनी के अनुसार बालक नागरिकता का सुन्दरतम पाठ माता के चुम्बन एवं पिता के दुलार से सीखता है।
  • लॉक के अनुआर, बालक को यदि परिवार से अलग रखा जाए, तो उसका व्यक्तित्व जटिल हो जाएगा।
  • गाँधी जी के अनुसार बालक को प्रथम पाँच वर्ष में जो शिक्षा मिलती है, वह फिर कभी नहीं मिलती।
  • पेस्टालॉजी के अनुसार माता ही बालक की प्रथम सर्वोच्च शिक्षिका है, घर शिक्षा का सर्वोत्तम स्थान बालक का प्रथम विद्दालय है।

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