SSC CGL TIER 1 Bhukamp Earthquake Study Material in Hindi
SSC CGL TIER 1 Bhukamp Earthquake Study Material in Hindi :
भूकम्प
भूगर्भशास्त्र की एक विशेष शाखा, जिसमें भूकम्पों का अध्ययन किया जाता है, सिस्मोलॉजी कहलाती है। भूकम्प की तीव्रता की माप रिक्टर पैमाने पर की जाती है।
भूकम्प में तीन तरह के कम्पन होते हैं
प्राथमिक तरंग ‘P’ ये तरंगें पृथ्वी के अन्दर प्रत्येक माध्यम से होकर गुजरती हैं। इसकी गति सभी तरंगों से तेज होती है जिससे ये तरंगे किसी भी स्थान पर पहले पहुँचती हैं।
द्वितीय तंरगे ‘S’ इन्हें अनुप्रस्थ तरंगें भी कहते हैं। ये तरंग केवल ठोस माध्यम से होकर गुजरती हैं।
एल तरंगे ‘L’ इन्हें धरातलीय या लम्बी तरंगों के नाम से भी पुकारा जाता है। इन्हें L-Waves तथा R- Waves भी कहते हैं। ये ठोस, तरल तथा गैस किसी भी माध्यम से गुजर सकती हैं।
केन्द्र भूकम्प के उद् भव स्थान को उसका केन्द्र कहते हैं। यहाँ P, S तथा L तीनों तरंगे पहुँचती हैं।
अधिकेन्द्र भूकम्प के केन्द्र के ठीक ऊपर पृथ्वी की सतह पर स्थित बिन्दु को भूकम्प का अधिकेन्द्र कहते हैं।
वन
Know Forest For SSC CGL TIER 1
वन निम्न प्रकार के होते हैं
उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन इस प्रकार के वन विषुवत् रेखीय प्रदेश और उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में पाए जाते हैं, जहाँ 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है। यहाँ पेड़ों की पत्तियाँ चौड़ी होती हैं।
शब्दावली
Glossary For SSC CGL TIER 1
डाइक (Dyke) पृथ्वी के आन्तरिक भाग में मैग्मा के ऊधर्वाधर चट्टान।
सिल (Sill) मैग्मा के क्षैतिज या समानान्तर परतों में जमने से निर्मित चट्टान। 1 मी से कम मोटाई वाले सिल को शीट कहते हैं।
लैकोलिथ (Lacolith) मैग्मा के गुम्बद या लेन्स के रुप में जमने से बनी चट्टान।
बैथोलिथ (Batholith) धरातल के आधार पर मैग्मा में जमने से बनी चट्टान। छोटे आकार का बैथोलिथ को स्टॉक कहते हैं।
लैपोलिथ (Lapolith) अवसादी चट्टानों में मैग्मा के तश्तरीनुमा रुप में जमने से निर्मित चट्टान।
फैकोलिथ (Phacolith) मैग्मा का लहरदार आकृति में जमना। इसमें अभिनति तथा अपनति आकृतियाँ बनती हैं।
पायरोक्लास्ट ज्वालामुखी से निकलने वाले ठोस चट्टानी टुकड़े।
प्यूमिस लावा के झाग से हल्के और छिद्रयुक्त शिलाखण्ड।
टफ धूल कणों और राख के संगठित टुकड़े।
धुँआरे (Fumaroles) ऐसे ज्वालामुखी छिद्र जिनसे गैस तथा वाष्प निकला करती है, ये ज्वालमुखी की सक्रियता के अन्तिम लक्षण माने जाते हैं।
मेसा कठोर चट्टानों से निर्मित सपाट संरचनाएँ जो पठार पर अवशेष रुप में अपरदन के प्रभाव के बावजूद बची रह जाती हैं।
ब्यूट या बुटी (Butte) स्पष्ट दृष्टिगोचर होने वाली सपाट शिखरीय एक लघु पहाड़ी, जो प्राय: प्रतिरोधी शैल स्तरों से ढकी रहती है।
कार्डिलेरा जब विभिन्न युग्मों में निर्मित पर्वत श्रेणियाँ, पर्वत श्रृंखलाएँ तथा पर्वत तन्त्र एकसाथ ही बिना किसी क्रम के विस्तृत होते हैं तब उसे कार्डिलेरा कहा जाता है।
भू-सन्नति (Geosynclines) भू-सन्नतियाँ लम्बे, सँकरे तथा उथले जलीय भाग होती हैं, जिनमें तलछटीय निक्षेप के साथ-साथ तली में धँसाव होता है, इन्हें ‘पर्वतों का पालना’ कहा जाता है।
डेल्टा जब नदियाँ सागरों या झीलों में गिरती हैं, तो वेग में कमी के कारण मुहाने के पास तलछट या निक्षेप होने से समतल तिकोनाकार मैदान का निर्माण होता है, जिसे डेल्टा कहते हैं। डेल्टा के ऊँचे भागों को चार तथा निचले भागों को बील कहते हैं।
अपक्षय (Weathering) प्रकृति, मानव व प्राणियों की क्रियाओं द्वारा यान्त्रिक तथा रासायनिक परिवर्तनों से चट्टानों का अपने स्थान पर ही टूटना-फूटना अपक्षय कहलाता है।
अपरदन (Erosion) विघटित तथा वियोजित पदार्थों के अन्यत्र स्थानान्तरण को अपरदन कहते हैं।
निक्षेपण (Deposition) अपरदन के कारकों के वेग में कमी आ जाने पर, अपरदित अवसादों का जमना, निक्षेपण कहलाता हैं।
अपघर्षण (Abrasion) वह प्रक्रिया जिसमें कोई जल प्रवाह अपने बोझिल पदार्थों (कंकड़, पत्थर, बालू) से तल तथा किनारों को क्षरित करता है।
सन्निघर्षण (Attrition) किसी प्रवाह में प्रवाहित होने वाले बोझित पदार्थों के परस्पर घर्षण द्वारा छोटे हो जाने की क्रिया।
संक्षारण (Corosion) घुलनशील चट्टानों का जल क्रिया द्वारा घुलकर शैल से विलग होने की प्रक्रिया।
भूस्खलन (Landslides) सामूहिक स्थानान्तरण का एक प्रक्रम जिसमें शैलें तथा शैलचूर्ण गुरुत्व के कारण ढालों पर से नीचे की ओर सरकते हैं।
उष्ण कटिबन्धीय अर्द्ध पतझड़ वन यहाँ 150 सेमी से कम वर्षा होती है तथा साल, सागवान एवं बाँस आदि के वन पाए जाते हैं।
विषुवत रेखीय वन इन वनों में वृक्ष और झाड़ियों का मिश्रण होता है- जैतून, कॉर्क तथा ओक यहाँ के मुख्य वृक्ष हैं।
टैगा वन ये सदाबहार वन हैं। इस वन के वृक्ष की पत्तियाँ नुकीली होती हैं।
टुण्ड्रा वन यह बर्फ से ढका रहता है। गर्मी में यहाँ मॉस तथा लाइकेन उगते हैं।
पर्वतीय वन यहाँ चौड़ी पत्ती वाले शंकुधारी वृक्ष पाए जाते हैं।
घास के मैदान
Know Grassland For SSC CGL TIER 1
उष्ण कटिबन्धीय घास भूमियाँ सवाना (अफ्रीका), कम्पोज (ब्राजील), लानोस (वेनेजुएला व कोलम्बिया)
शीतोष्ण कटिबन्धीय घास भूमियाँ प्रेयरी (संयुक्त राज्य अमेरिका व कनाडा), पम्पास (अर्जेण्टीना), वेल्ड (दक्षिण अफ्रीका), डाउन्स (ऑस्ट्रेलिया), स्टेपी (एशिया, यूक्रेन, रुस, चीन)।
बाहृ कारकों द्वारा निर्मित स्थलाकृतियाँ
Topographies Created By External Factors For SSC CGL TIER 1
बाहृ कारक | अपरदन द्वारा निर्मित | निक्षेपण द्वारा निर्मित |
नदी | ‘V’ घाटी, गार्ज, केनियन, जल प्रताप, विसर्प, गोखुर झील | जलोढ़ शंकु, जलोढ़ पंख, नदी विसर्प, गोखर झील, प्राकृतिक तटबन्ध, बाढ़ का मैदान, डेल्टा उर्मिका, बालुका टिब्बा, बरखान, लोयस, बालुका कगार |
पवन | अपवाहन बेसिन, छत्रक शिला, इन्सेलबर्ग, ज्यूगेन, यारडंग, ड्राइकैंटर | उर्मिका, बालुका टिब्बा, बरखान, लोयस, बालुका कगार |
हिमनद | ‘U’ आकार की घाटी, सर्क या हिमगझर, अरेत या तीक्ष्ण कटक, गिरिक्षृंग, कॉल, नुनाटक, श्रृंग व पुच्छ, मेष शिला, हिम सोपान, फियोर्ड | ड्रमलिन, एस्कर या मृदकरक, केम, केटिल, हिमनद अपक्षेप मैदान |
भूमिगत | घोल रन्ध्र, डोलाइन, युवाला, | अश्चुताश्म (स्टेलेक्टाइट), |
जल | कन्दरा, कास्ट झील, उत्स्त्रुतकुआँ | निश्चुताश्म (स्टेलेग्माइट) |
समुद्री तरंग | भृंगु, सागरीय कंदरा, तंग घार्षित वेदिका, खाड़ी, अपतटीय सोपान | पुलिन, रोधिका एवं रोध, अपतट रोधिका, स्पिट, हुक, उभयाग्र रोधिका, टोम्बोलो, लूप |
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