SSC CGL TIER 1 Earth Study Material in Hindi
SSC CGL TIER 1 Earth Study Material in Hindi : We will start with the Structure of Earth topic for SSC CGL TIER 1.
पृथ्वी की संरचना
Know Structure Of Earth For SSC CGL TIER 1
पृथ्वी की उत्पत्ति 4.6 अरब वर्ष पूर्व हुई। पृथ्वी का 2/3 भाग (71%) जल से ढका है। पृथ्वी ध्रुवों पर कुछ चपटी तथा भूमध्य रेखा पर उभरी हुई हैं।
पृथ्वी का संघटन (Composition of Earth For SSC CGL TIER 1 )
तत्व | भूपृष्ठ में मात्रा (प्रतिशत में) |
ऑक्सीजन | 46.8 |
सिलिकॉन | 27.7 |
एल्युमीनियम | 8.1 |
लोहा | 5.0 |
कैल्शियम | 3.6 |
सोडियम | 2.83 |
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना
Know Internal Structure Of The Earth For SSC CGL TIER 1
- पृथ्वी की बाहरी सतह जिस पर महाद्वीप तथा महासागर स्थित हैं भूपटल कहलाता है, जिसकी रचना सियाल तथा सीमा से हुई है (क्रस्ट)
- निचली परत बेसाल्ट चट्टानों से बनी है। यह परत सिलिका व मैग्नीशियम से निर्मित है और सीमा कहलाती है। (मेण्टल)
- पृथ्वी की अन्तिम परत में निकिल तथा लोहे की प्रधानता होती है इसलिए इसे निफे कहा जाता है। (Ni+Fe )। (कोर)
- पृथ्वी के नीचे 8 किमी तक जाने पर प्रति 32 किमी की गहराई पर 1oC तापमान बढ़ता है।
पृथ्वी की गतियों से सम्बन्धित घटनाएँ
- बसन्त विषुव की घटना 21 मार्च (दिन रात समान) तथा शरद विषुव की घटना 23 सितम्बर (दिन रात समान) को होती है।
- सूर्यग्रहण की घटना में पृथ्वी एवं सूर्य के बीच चन्द्रमा आ जाता है। सूर्यग्रहण की घटना सदैव अमावस्या को होती है। सूर्य ग्रहण के समय सूर्य में दिखाई देने वाले भाग को सूर्य किरीट कहते हैं। एक वर्ष में न्यूनतम दो व अधिकतम सात ग्रहण हो सकते हैं।
- चन्द्रग्रहण की घटना, सूर्य एवं चन्द्रमा के बीच पृथ्वी के आ जाने के कारण होती है। चन्द्रग्रहण सदैव पूर्णिमा को पड़ते हैं लेकिन पृथ्वी एवं चन्द्रमा के कक्ष तलों में 5oC के झुकाव के कारण प्रत्येक पूर्णिमा को नहीं पड़ते।
- ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गईं काल्पनिक रेखाओं को अक्षांश कहते हैं। अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या 181 हैं।
- प्रति 10 की अक्षांशीय दूरी लगभग 111 किमी होती है। 00 अक्षांश रेखा को भूमध्य रेखा बी कहते हैं।
- 50 उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा तथा 23.50 दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा कहते हैं। पृथ्वी पर दो अक्षांशों के मध्य कोणीय दूरी को देशान्तर कहते हैं। दो देशान्तर रेखाओं के बीच की दूरी गोरे नाम से जानी जाती है।
- 00 देशान्तर रेखा (ग्रीनविच रेखा) को पृथ्वी की मानक समय रेखा माना जाता है।
- पृथ्वी 4 मिनट में 10 देशान्तर दूरी तय करती है।
- अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा की कल्पना 1800 देशान्तर पर उत्तर से दक्षिण की गई है। इस रेखा के पूर्व एवं पश्चिम में एक दिन का अन्तर माना जाता है।
- भारत की मानक समय रेखा 82.50 पूर्वी देशान्तर है जो नैनी, इलाहाबाद से गुजरती है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में 66.50 उत्तरी अक्षांश को आर्कटिक तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में 66.50 दक्षिणी अक्षांश को अण्टार्कटिक वृत्त कहते हैं।
- ग्रीनविच माध्य समय 00 देशान्तर पर है जो ग्रीनलैण्ड व नार्वेजियन सागर तथा ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, अल्जीरिया, माले, बुर्कीना फासो, घाना व दक्षिणी अटलाण्टिक सागर से गुजरती है।
- भारत की मानक रेखा (IST) भारत के पाँच राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा तथा आन्ध्र प्रदेश से गुजरती हैं।
- अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा आर्कटिक सागर, बेरिंग स्ट्रेट तथा प्रशान्त महासागर से गुजरती है।
शब्दावली
Know Glossary For SSC CGL TIER 1
उपसौर सूर्य और पृथ्वी के बीच न्यूनतम दूरी (1470 लाख किमी) की घटना जो 3 जनवरी को होती है।
अपसौर सूर्य और पृथ्वी के बीच अधिकतम दूरी (1521 लाख किमी) की घटना जो 4 जुलाई को घटित होती है।
एपसाइड रेखा उपसौर एवं अपसौर को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा जो सूर्य के केन्द्र से गुजरती है।
नक्षत्र दिवस (Sidereal Day) पृथ्वी को अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करने में 23 घण्टे, 56 मिनट व 4.9 सेकण्ड लगते हैं, उसे नक्षत्र दिवस कहते हैं।
संक्रान्ति या अयनान्त (Solstice) वर्ष की वे तिथियाँ जिनमें दिन एवं रात की लम्बाई में सर्वाधिक अन्तर होता है।
ग्रीष्म अयनान्त 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकता है। परिणामस्वरुप उत्तरी गोलार्द्ध में दिन बड़े व ग्रीष्म ऋतु होती है, इसे कर्क संक्रान्ति भी कहते हैं।
शीत अयनान्त 22 दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा पर लम्बवत् चमकता है परिणामस्वरुप दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन बड़े व ग्रीष्म ऋतु होती है, इसे मकर संक्रान्ति भी कहते हैं।
विषुव (Equinox) पृथ्वी की वह स्थिति जब सूर्य की किरणें भूमध्यरेखा पर लम्बवत् चमकती हैं जिससे सर्वत्र रात-दिन बराबर होते हैं। 21 मार्च को बसन्त विषुव तथा 23 सितम्बर को शरद विषुव होता है।
सिजगी (Syzgy) सूर्य, चन्द्रमा एवं पृथ्वी की एक रेखीय स्थिति।
भू-सन्तुलन वह अवस्था जिसमें, परिभ्रमण करती हुई पृथ्वी पर स्थित क्षेत्रों (पर्वत, पठार, मैदान, झील आदि) के बीच यान्त्रिक स्थिरता बनी रहती है।
See Also
SSC CGL Study Material Sample Model Solved Practice Question Paper with Answers
Join Our CTET UPTET Latest News WhatsApp Group