SSC CGL TIER 1 Madhya Kaleen Bharat Study Material History of India
मध्यमकालीन भारत (Medieval India)
SSC CGL TIER 1 Madhya Kaleen Bharat Study Material History of India : इतिहासकारों ने 1206 ई. से 1707 ई. के बीच के कालखण्ड के नाम से पुकारा है। इस दौरान शासन सत्ता हिन्दुओं के हाथ से निकलकर मुस्लिमों के हाथ में चली गई, जिससे ‘इण्डो-इस्लामिक नामक एक नवीन सभ्यता एवं संस्कृति का विकास हुआ। इस समय दिल्ली की राजगद्दी पर क्रमसः गुलाम, खिलजी, तुगलक, सैय्यद, लोदी, मुगल, सूरी, पुनः मगल वंश के शासकों ने शासन किया। मध्यकाल के अध्ययन की शूरुवात अरबों एवं तुर्को के आक्रमण से होती है।

विदेशी आक्रमण Foreign Invasion
- भारत पर अरबों का प्रथम आक्रमण 712 ई. में मुहम्मद-बिन-कासिम के नेतृत्व में सिन्ध क्षेत्र पर हुआ था। इस समय सिन्ध का शासक दाहिर था।
- भारत में सर्वप्रथम जजिया कर मुहम्मद –बिन-कासिम ने ही लगाया था।
महमूद गजनवी
- महमूद गजनवी का प्रथम आक्रमण (1001 ई.) वैहिन्द के शासक जयपाल के विरूद्ध था।
- 1025 ई. में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मन्दिर पर आक्रमण किया।
- इनका अन्तिम आक्रमण (1027)ई. में जाटों के विरूद्ध था।
- अलबरूनी, फिरदौसी, उत्बी तथा फारुखी महमूद गजनवी के दरूबार में थे।
मुहम्मद गोरी
- इनका प्रथम आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान में हुआ था।
- 1191 ई. के तराईन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान III ने गोरी को हराया परन्तु 1192 ई. के तराईन के द्वितीय युद्ध में वे गोरी से पराजित हो गए।
- चन्दावर के युद्ध 1194 ई. में मुहम्मद गोरी ने जयचन्द को (कन्नौज) पराजित किया।
- 1206 ई. में खोखरों द्वारा मुहम्मद गोरी की हत्या कर दी गई।
- मुहम्मद गोरी का सेनापति बख्तियार खिलजी था, उसने नालन्दा एवं विक्रमशिला को नष्ट कर दिया था.
दिल्ली सल्तनत The Delhi Sultanate
गुलाम वंश 1206-1290 ई. )
कुतुबुद्दीन ऐबक (1206 -1210 ई.)
- दिल्ली के प्रथम तुर्क शासक जिन्हें लाखबख्श भी कहा जाता था।
- 1206 ई. में सुल्तान बने तथा लाहौर को राजधानी बनायाय़
- इन्होंने कुतुबमीनार, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (दिल्ली में) तथा अजमेर में अढ़ाई दिन का झोपड़ा बनवाया।
- 1210 ई. में चौगान (पोलो) खेलते समय इनकी घोड़े से गिरकर मृत्यु हुई तथा इन्हें लाहौर में दफनाया गया।
इल्तुतमिश 1210-1236 ई.)
- इन्होंने 1229 ई. में बगदाद के खलीफा से वैधानिक स्वीकृति प्राप्त कर ली।
- प्रारम्भ में यह बदायूँ का सूबेदार था।
- इन्होंने तुर्कान-ए-चहलगानी (चालीस गुलाम सरदारों का एक दल) का गठन किया।
- इनके समय चंगेज खाँ का भारत पर आक्रमण (1219 ई. के आस-पास) हुआ था।
अक्ता/इक्ता जाने।
इक्ता यानि हस्तान्तरणीय लगान अधिन्यास जहाँ इक्ता प्राप्तकर्ता को भावी सेवा शर्तो पर लगान का हस्तान्तरण किया जाता था। इक्ता पाने वाला व्यक्ति सुल्तान की सेवा के लिए एक निश्चित संख्या में सैनिक रखता था और राजस्व की वसूली करता था। वो सैनिकों का वेतन और अपना खर्च काटकर बाकी (फवाजिल) केन्द्र (सुल्तान) को भेज देता था।
इक्तादार का स्थानान्तरण सकता था या उसे हटाया जा सकता था अतः यह वंशानुगत अधिकार नही था। इस प्रकार इक्तादार सुल्तान पर पूर्णतः निर्भर हो गए। इक्ता प्रथा ने शासक के हाथों धन का अभूतपूर्व केन्द्रीकरण किया और इससे शासकों को विशाल सेनाएं रखने नें मदद मिली।
- वहख्वारिज्म के अन्तिम शाह जलालुद्दीन मंगबर्नी का पाछा करता हुआ सिन्ध तक पहुँच गया था।
- इन्होंने यल्दौज तथा कुबाचा को समाप्त किया था।
- चाँदी के टका तथा ताँबे के जीतल नामक सिक्कों के प्रचलन किया।
- इन्होंने इक्ता व्यवस्था को लागू किया। इन्होंने सिक्कों पर टकसाल का नाम लिखने की परम्परा शुरू की।
- इन्होंने कुतुबमीनार का निर्माण कार्य पूर्ण कराया।
रजिया सुल्तान
- इल्तुतमिश ने इसे अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
- रजिया के राज्यारोहण में दिल्ली की जनता, सेना तथा अधिकारियों का सहयोग था।
- रजिया भारत की प्रथम तथा अन्तिम मुस्लिम शासिका थी।
- इन्होंने भटिंडा के सुबेदार अल्तूनिया से विवाह किया।
- रजिया ने जमालुद्दीन याकूत (अबीसीनियाई) को अमीर-ए- आखूर (अश्वशाला प्रमुख) का पद प्रदान किया।
- रजिया तथा अल्तूनिया की हत्या कैथल में कर दी गई।
- रजिया के बाद बहराम साह सासक बना। उसने नायब-ए-मुमलकत नामक नये पद का निर्माण किया।